
गृह मंत्रालय द्वारा विधि आयोग की मृत्युदंड खत्म करने की सिफारिश को यह कहते हुए खारिज किए जाने की संभावना है कि आतंकवाद के खतरे को देखते हुए संविधान से इसे पूरी तरह खत्म करने का अभी वक्त नहीं आया है.
केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने आतंकवाद से जुड़े मामलों को छोड़कर अन्य मामलों में मृत्युदंड खत्म करने के समर्थन में विधि आयोग की रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा की.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘कानून मंत्रालय के भीतर चर्चा चल रही है और इस सप्ताह अंतिम निर्णय लिये जाने की उम्मीद है. पूरी संभावना है कि मृत्युदंड खत्म करने की सिफारिश खारिज कर दी जाएगी.’ अधिकारियों की राय है कि भारत में आतंकवाद के खतरे को देखते हुए मृत्युदंड खत्म करने का अभी समय नहीं आया है.
अपनी रिपोर्ट में विधि आयोग ने आतंकवाद संबंधी मामलों को छोड़कर अन्य मामलों में मृत्युदंड को शीघ्र खत्म करने की सिफारिश की थी. समिति ने कहा था कि यह अपराधों को रोकने के मकसद को पूरा नहीं करता.
हालांकि नौ सदस्यीय पैनल की सिफारिश सर्वसम्मति से नहीं हुयीं एक पूर्णकालिक सदस्य और दो सरकारी प्रतिनिधियों ने असहमति जतायी और मृत्युदंड बनाये रखने का समर्थन किया.
कानूनी पैनल पर सरकार की तरफ से नियुक्त किये गए गैर पदेन सदस्य पी के मल्होत्रा (विधि सचिव) और संजय सिंह (विधायी सचिव) ने असहमति जतायी. इसके अलावा पैनल की एक स्थायी सदस्य न्यायमूर्ति (अवकाशप्राप्त) उषा मेहरा ने भी इसका विरोध किया.
आयोग की ओर से एक रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय को भी सौंपा गयी क्योंकि शीर्ष न्यायालय ने पैनल को इस मुद्दे पर गौर करने को कहा था. 1967 में आयोग ने अपनी 35 वीं रिपोर्ट में मृत्यदुड को बरकरार रखने का समर्थन किया था.