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कहते हैं कि कोई लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं, हारा वही है जो लड़ा नहीं. और इसी अदम्य लडा़के का नाम है कार्तिक साहनी. यह नौजवान देख नहीं सकता लेकिन इन तमाम झंझावतों से लड़ता हुआ वह आज दुनिया की बहुप्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी पहुंच चुका है. पढ़ें उसके संघर्षों की अद्भुत दास्तां...
पिता एक मामूली दुकानदार और मां गृहणी हैं...
कार्तिक साहनी का जन्म नई दिल्ली में साल 1994 में हुआ था और वे एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनकी मां सामान्य गृहणी हैं. उनके एक जुड़वा बहन और बड़ा भाई भी है. उनके माता-पिता के लिए सामान्य तौर पर घर का खर्चा चलाना हमेशा से ही मुश्किल रहा है.
छोटी उम्र में ही हो गए दृष्टिबाधित...
कार्तिक की पैदाइश के कुछ दिनों के भीतर ही उन्हें पता चला कि कार्तिक को 'रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी' नाम की बीमारी है. इसकी वजह से उनके आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जाती रही. हालांकि उनके माता-पिता ने उनके देखभाल में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने कार्तिक को नेशनल एसोशिएशन ऑफ ब्लाइंड में ट्रेनिंग के लिए भेजा. यहां मिली ट्रेनिंग की वजह से कार्तिक का हौसला बरकरार रहा और वे धीरे-धीरे अच्छा करने लगे. आगे चल कर वे सामान्य बच्चों के लिए चलने वाले स्कूल - दिल्ली पब्लिक स्कूल का भी हिस्सा बने. हालांकि दिल्ली पब्लिक स्कूल जैसे संस्थान अपने यहां दृष्टिबाधित स्टूडेंट्स को दाखिला नहीं देते.
सभी को धता बताते हुए चुना साइंस...
गौरतलब है कि कई बार मुख्यधारा के स्कूल इस तरह के स्टूडेंट्स को किन्हीं दबाव के तहत दाखिला तो दे देते हैं लेकिन वे उन्हें आर्ट्स जैसे सब्जेक्ट दिला कर मेहनत से बचना चाहते हैं. कार्तिक ने भी तय किया हुआ था कि विज्ञान और गणित जैसे सब्जेक्ट पढ़ेंगे.
सीबीएसई के लिए भी थी चुनौती...
कार्तिक के इस फैसले के बारे में जान कर सीबीएसई बोर्ड के पदाधिकारी भी संशय में थे, लेकिन उनके पिछले रिकॉर्ड और काबिलियत को देखते हुए वे उन्हें दाखिला देने को तैयार हो गए. विज्ञान और गणित में दाखिला कार्तिक की एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी. दाखिले के बाद कार्तिक ने किसी को भी निराश नहीं किया. उन्होंने 11वीं की परीक्षा में 93.4 फीसदी और 12वीं में उससे भी बढ़ कर 95.8 फीसद अंक हासिल किए. कार्तिक अपने तरह की उपलब्धि हासिल करने वाले भारत के पहले दृष्टिबाधित छात्र भी हैं, और यही चीज उन्हें सामान्य से भी विशेष साबित करती है.
आईआईटी था सपना मगर वे और भी बढ़ कर निकले...
बोर्ड की परीक्षाओं में तो उन्होंने अच्छे अंक हासिल ही किए और आगे वे आईआईटी के ज्वाइंट एंट्रेंस परीक्षी की तैयारी करने लगे. हालांकि आईआईटी के तयशुदा नियमों के हिसाब से वे इस दाखिला परीक्षा का हिस्सा नहीं हो सकते थे. वे इस बात से निराश जो जरूर हुए लेकिन टूटे नहीं.
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिले की योग्यता हासिल की...
जी हां, आप सही पढ़ रहे हैं. कार्तिक ने अपनी प्रतिभा के दम पर दुनिया के बहुप्रतिष्ठित संस्थान के तौर पर शुमार किए जाने वाले स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में फुल स्कॉलरशिप हासिल कर ली. उन्हें वहां कोई फीस नहीं देनी पड़ी. वे वहां से बीएस की डिग्री हासिल कर चुके हैं और आगे की पढ़ाई के तौर पर कंप्यूटर साइंस भी पढ़ रहे हैं. आगे वे अपने तरह के दृष्टिबाधित स्टूडेंट्स के बेहतर भविष्य के लिए संघर्ष करने की चाह रखते हैं, और हम ईश्वर से बस यही पार्थना करेंगे कि वे अपने सारे प्रयासों में बस इसी तरह सफल होते रहें.