
सैनिकों की इस भारी भीड़ के कारण, चीनी भी कुछ देर के लिए आश्चर्य में पड़ गए थे, क्योंकि इन क्षेत्रों में तैनात भारतीय सुरक्षा बलों की तुलना में उनके पास ज्यादा संख्यात्मक बल हैं.
सूत्रों का कहना है कि भले ही चीनी सेना ल्हासा सैन्य जिले के तहत सीमा पर अपने अभ्यास में हिस्सा ले रही थी, लेकिन उन्होंने तेजी से अपने सैनिकों को भारी वाहनों में भारतीय सीमा के पास भेजा था.
हवाई क्षेत्र के लिए अधिग्रहण
आस-पास के क्षेत्रों से अधिक ट्रकों को बुलाया गया था जहां पीएलए द्वारा एक हवाई क्षेत्र का अधिग्रहण किया जा रहा था और इसके विस्तार के लिए कीचड़ की आपूर्ति की जा रही थी, जिसकी आड़ में भारी वाहनों से सैनिकों को भारतीय सीमा में भेजा जा सके.
5-6 मई के आसपास, चीनी सैनिकों ने एलएसी पर निर्माण करना शुरू कर दिया और आक्रामक तरीके से काम को आगे बढ़ाया. कुछ भारतीय क्षेत्रों में चल रही बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर आपत्ति भी जताई गई और उन पर हिस्सेदारी का दावा भी किया गया.
सूत्रों ने कहा कि सीमा पर उनकी ओर से तैयार चीनी बुनियादी ढांचे को दो दशक से अधिक हो गए हैं और इस कारण इलाके में वे तेजी से मदद जुटा सकते हैं. पश्चिमी राजमार्ग और वहां की राज्य सड़कों की कनेक्टिविटी ने भी चीन को तेजी से तैनाती करने में मदद की है.
हालांकि बुनियादी ढांचे के संदर्भ में चीन को फायदा यह मिला कि कोरोना वायरस के प्रसार के मद्देनजर लगाए पाबंदियों के कारण भारत का काम प्रभावित हुआ था.
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चीन ने तेजी से एलएसी के करीब 5,000 सैनिकों और भारतीय क्षेत्र में कुछ स्थानों पर तैनात किया है.
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भारतीय सैनिक अब चीनी सैनिकों को भारतीय सीमा के पास किसी भी तरह के युद्धाभ्यास की अनुमति नहीं दे रहे हैं. जब भी वे कहीं से बढ़ने की कोशिश करते हैं, तो वे भारतीय सैनिकों द्वारा समान माप (Equal Measure) का सामना करते हैं.
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भारत ने यह भी तय किया है कि वह लद्दाख क्षेत्र में अपनी बुनियादी सुविधाओं की परियोजनाओं में बाधा डालने के लिए किसी भी बाहरी आपत्ति की अनुमति नहीं देगा, जिसमें काराकोरम मार्ग पर क्लोजेस्ट बिंदु तक एक सड़क शामिल है.