
राष्ट्रपति चुनाव में जेडीयू की पलटी के बाद उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर कांग्रेस खासी सतर्क दिखी. इस बार कांग्रेस ने पहले ही तय कर लिया कि, उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार कांग्रेस का न भी हो तो उसे कोई ऐतराज नहीं. राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के दलित उम्मीदवार के सामने शायद ऐन मौके पर कांग्रेस से मीरा कुमार का नाम तय हुआ था. इसीलिए मंगलवार की विपक्ष की बैठक से सबसे तय हुआ कि, उपराष्ट्रपति कैंडिडेट किसी गैर कांग्रेसी बुद्धिजीवी को चुना जाए.
सपा नहीं थी गैर राजनीतिक व्यक्ति के पक्ष में
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश टीएस ठाकुर के नाम की चर्चा हुई, लेकिन वो खुद ही लड़ने के इच्छुक नहीं थे. हालांकि समाजवादी पार्टी ने साफ किया था कि पूरी तरह से गैर राजनीतिक व्यक्ति के पक्ष में वह नहीं है और वह दक्षिण से किसी को उम्मीदवार चाहती है.
प्रकाश अम्बेडकर का नाम भी आया था सामने
इसके बाद अम्बेडकर के पोते प्रकाश अम्बेडकर के नाम की भी बात आई, लेकिन राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति उम्मीदवार भी दलित लाने के सवाल के बाद उनका नाम भी पीछे छूट गया. समाजवादी पार्टी ने सीपीआई नेता डी राजा का नाम भी बढ़ाया, लेकिन सीपीएम के सीताराम येचुरी ने एक बार फिर गोपाल कृष्ण गांधी का नाम आगे किया. इसके बाद सोमवार रात नीतीश कुमार समेत बाकी विपक्षी दलों के नेताओं से चर्चा की गई.
मंगलवार सुबह तक सभी में महात्मा गांधी के पोते और बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी के नाम पर सहमति बन गई. फिर दोपहर संसद की लाइब्रेरी में औपचारिक बैठक हुई, जिसमें एक सुर से सभी ने गोपाल गांधी के नाम पर हामी भर दी. इसके बाद सोनिया समेत 18 दलों के नेता हाल में रुके रहे और बाहर गैलरी में जाकर ग़ुलाम नबी आजाद, सीताराम येचुरी और डेरेक ओ ब्रायन ने फोन पर गोपाल कृष्ण गांधी से बात की.
गोपाल गांधी ने मांगा 10 मिनट का वक्त
तीनों से बात करने के बाद गोपाल गांधी ने कहा कि, उनको फैसला करने के लिए 10 मिनट का समय चाहिए. इसके बाद 10 मिनट तक सोनिया समेत सभी नेता बैठे रहे, तभी गोपाल गांधी का पलटकर फ़ोन आया और उन्होंने हामी भर दी. इसके फौरन बाद सोनिया गांधी ने मीडिया को बुलाकर गोपाल कृष्ण गांधी के नाम की घोषणा कर दी.