
2015 क्रिकेट वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मैच में जहां एक ओर दक्षिण अफ्रीकी टीम ने पहले कप्तान डी’विलियर्स और डु प्लेसिस और डकवर्थ लुईस पद्धति की बदौलत 298 रनों का टारगेट सेट किया वहीं मैक्कुलम के नेतृत्व में कीवी टीम शुरुआत से ही एक चैंपियन की भांति खेलती रही. कप्तान मैक्कुलम से लेकर इलियट तक सभी ने इस जीत को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. चलिए एक-एक कर देखते हैं, कैसे फाइनल में पहुंची न्यूजीलैंड की टीम.
न्यूजीलैंड की बॉलिंग बेहद दमदार
टॉस जीतकर डी’विलियर्स ने पहले बल्लेबाजी का फैसला किया लेकिन बाउल्ट और टिम साउदी की शानदार गेंदबाजी की बदौलत अफ्रीकी पारी की शुरुआत बेहद धीमी हुई. टूर्नामेंट में एक भी अर्धशतकीय साझेदारी के साथ शुरुआत देने में नाकाम रहे अफ्रीकी ओपनर्स संभल कर खेलने के चक्कर में रन रेट चार से ऊपर नहीं ले जा सके. बाउल्ट बेहतरीन गेंदबाजी करते रहे और जल्दी ही उन्हें सफलता मिल गई. पहले दोनों विकेट बाउल्ट ने ही लिए, उन्होंने एक एक कर दोनों ओपनर्स को पवेलियन का रास्ता दिखा दिया. पहले 8 ओवरों में स्कोर 32 रन पर दो विकेट था. बाद के ओवर्स में कोरी एंडरसन को भी विकेट मिले, हालांकि वो इकोनॉमिक साबित नहीं हो सके. इनके अलावा 23 वर्षीय मैट हैरी की गेंदबाजी की तारीफ करनी होगी जिन्होंने पांच की औसत से मैच में गेंदबाजी की.
कप्तान मैक्कुलम का आक्रामक रुख
न्यूजीलैंड के कप्तान ब्रैंडन मैक्कुलम ने मैच की शुरुआत से ही अपना इरादा जता दिया था. दक्षिण अफ्रीकी पारी के दौरान वो पांच स्लिप और एक गली के साथ आक्रमण कर रहे थे. बड़े टारगेट को बौना कैसे साबित किया जाता है ये मैक्कुलम से अच्छा कौन जानता है. अपने चिर परिचित अंदाज में उन्होंने एक बार फिर तूफानी शुरुआत दिलाई. चार छक्के और आठ चौके की मदद से मैक्कुलम ने केवल 26 गेंदों पर 59 रन बनाकर जीत की नींव रख दी. उन्होंने सिर्फ 22 गेंद में अर्धशतक पूरा किया. स्टेन पर छक्के से शुरुआत करने के बाद उन्होंने वर्नन फिलेंडर की ओवर में भी एक छक्का और दो चौके मारे. इसके बाद आया डेल स्टेन का वो ओवर जिसमें वो अपने करियर में सबसे ज्यादा पिटाई खाए. पारी के पांचवे ओवर में स्टेन की पहली ही गेंद पर मैक्कुलम ने छक्का दे मारा. इसके बाद तीन चौके और एक और छक्का समेत स्टेन की इस ओवर में 25 रन बने. जब तक मैक्कुलम क्रीज पर थे औसत 10 से ऊपर चलता रहा.
याद रहेगा ग्रांट इलियट का छक्का
128 रनों पर तीन विकेट गिरन के बाद 17वें ओवर में इलियट बल्लेबाजी करने उतरे. उन्होंने आते ही इस टूर्नामेंट में सबसे सफल अफ्रीकी गेंदबाज इमरान ताहिर की गेंद पर चौका जड़ अपना इरादा जता दिया. इलियट एक छोर से डटे रहे और लगातार रन बनाते रहे. उन्होंने मॉर्केल, डी’विलियर्स और स्टेन को छक्का जड़ा. अंतिम ओवर डेल स्टेन के हाथों फेंका जाने वाला था और जीत के लिए 12 रन चाहिए थे. ऐसे में इलियट ने छक्का लगाकर ऐतिहासिक जीत दिला दी. इलियट की 73 गेंद में सात चौकों और तीन छक्कों की मदद से नाबाद 84 रनों की पारी खेली और मैन ऑफ द मैच बने. इलियट ने कोरी एंडरसन (58) के साथ पांचवें विकेट के लिए 103 रन की साझेदारी भी की.
कोरी एंडरसन का ऑलराउंड प्रदर्शन
कोरी एंडरसन ने पहले तो गेंदबाजी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उसके बाद बल्ले से भी उन्होंने बेहद दमदार पारी खेली. बॉलिंग करते हुए उन्होंने रिली रोसू (39), डु प्लेसी (82) और डेविड मिलर (49) जैसे जमे हुए बल्लेबाजों को आउट किया वहीं बैटिंग के दौरान वो 17ओवरों तक एक छोर पर टिक कर प्रति बॉल की दर से रन बनाते रहे. उन्होंने दो छक्कों और चार चौकों की मदद से 57 गेंदों पर बेशकीमती 58 रनों की पारी खेली.
औसत दर्जे की रही अफ्रीकी फील्डिंग
न्यूजीलैंड की इस जीत में दक्षिण अफ्रीका की खराब फील्डिंग की भी भूमिका बराबर रही ऐसा कहना कहीं से भी गलत नहीं होगा क्योंकि उन्होंने विरोधी बल्लेबाजों को आउट करने के कुछ बड़े मौके गंवाए. इलियट भी दो बार आउट होने से बचे. सेमीफाइनल मुकाबला अहम मोड़ पर था. पलड़ा दोनों तरफ बराबर झुका हुआ था और ऐसे में दक्षिण अफ्रीकी कप्तान को एक ऐसा मौका मिला जिससे मैच का रुख पूरी तरह से बदल सकता था. 32वें ओवर की तीसरी गेंद पर एंडरसन नॉन स्ट्राइकर छोड़ से दौड़ रहे थे. वो आधी पिच पर पहुंचे ही थे कि गेंद अफ्रीकी कप्तान ए बी डी’विलियर्स के हाथों में पहुंच गई और उन्होंने बेल्स गिरा दी, लेकिन एंडरसन आउट नहीं हुए. दरअसल गेंद डी’विलियर्स के हाथों से छूट गई और बेल्स उनके हाथ विकेट में लगने की वजह से गिरे. इसके बाद भी उनके पास पूरा मौका था क्योंकि एंडरसन अभी आधी पिच तक ही पहुंचे थे. उन्होंने दोबारा बॉल उठाई और एक बार फिर स्टंप्स पर दे मारा, एंडरसन क्रीज में नहीं पहुंचे थे फिर भी आउट नहीं हुए क्योंकि इस बार डी’विलियर्स ने नियम का पालन नहीं किया. नियम के अनुसार जब एक बार बेल्स गिर गईं तो विकेट को उखाड़ कर उसपर बॉल मारने चाहिए था, तभी यह रन आउट माना जाता.
मैच का नतीजा सबसे सामने है और एक बार फिर ‘पोर्टीज’ को बड़े मैच में हार का सामना करना पड़ा है. ‘पोर्टीज’ एक बार फिर बड़े मैच में अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन करने में नाकाम रहे और उनपर पिछले कई सालों से लगा हुआ ‘चोकर्स’ का टैग बदस्तूर बरकरार रहा.