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मोदी सरकार 2.0: तीन माह में 49 अफसरों पर गिरी गाज, जबरन किया रिटायर

मोदी सरकार 2.0 में भ्रष्टाचार में घिरे अफसरों पर लगातार कार्रवाई हो रही है. 30 मई को दूसरी बार सरकार बनने से अब तक ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की तीन सूची जारी हो चुकी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 2:28 PM IST

मोदी सरकार दूसरे कार्यकाल में भ्रष्ट और काम से जी चुराने वाले अफसरों पर लगातार एक्शन मोड में है. चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने नारा दिया था- न खाऊंगा और न खाने दूंगा. अब इस नारे को सरकार चरितार्थ करते हुए दागी छवि वाले अफसरों को सेवा से बाहर कर रही है.

मोदी सरकार 2.0 के तीन महीने का कार्यकाल अभी पूरा नहीं हुआ है मगर 49 बड़े अफसरों को मोदी सरकार जबरन रिटायरमेंट दे चुकी है. लगभग सभी अफसर राजस्व सेवाओं से जुड़े हैं.

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नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के 22 सीनियर अधिकारियों को जबरन रिटायर (Compulsory Retirement) करने का सख्त कदम उठाया. जिन 22 अधिकारियों को रिटायर किया गया है वे सभी सुपरिटेंडेंट और एओ रैंक के थे. ये फैसला फंडामेंटल रूल 56 (J) के तहत लिया गया है.

इससे पहले वित्त मंत्रालय संभालने के बाद निर्मला सीतारमण ने दो बार में कुल 27 कथित भ्रष्ट अफसरों को नौकरी से निकाला था. सबसे पहले 10 जून को उन्होंने 12 आईआरएस अफसरों को डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के नियम 56 के तहत समय से पहले ही रिटायरमेंट दिया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक इनमें से कई अफसरों पर कथित तौर पर भ्रष्टाचार, अवैध और बेहिसाब संपत्ति के अलावा यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप थे.

इन 12 अधिकारियों में अशोक अग्रवाल (आईआरएस 1985), एसके श्रीवास्तव (आईआरएस 1989), होमी राजवंश (आईआरएस 1985), बीबी राजेंद्र प्रसाद, अजॉय कुमार सिंह, बी अरुलप्पा, आलोक कुमार मित्रा, चांदर सेन भारती, अंडासु रवींद्र, विवेक बत्रा, स्वेताभ सुमन और राम कुमार भार्गव शामिल रहे. इस कार्रवाई के एक हफ्ते बाद ही 18 जून को वित्त मंत्रालय ने कस्टम व सेंट्रल एक्साइज के 15 अफसरों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी थी. इन अफसरों में प्रिंसिपल कमिश्नर से लेकर असिस्टेंट कमिश्नर स्तर के अफसर शामिल थे.

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पांच साल में 312 अफसर-कर्मियों पर गिरी गाज

मोदी सरकार ने जुलाई में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया था कि 2014 से 2019 के बीच 312 अधिकारियों-कर्मचारियों को काम में लापरवाही बरतने के आरोप में जबरन रिटायर किया गया. इसमें ज्वाइंट सेक्रेटरी से ग्रुप बी तक के अधिकारी शामिल रहे. सरकार ने बताया ता कि ग्रुप बी के 187 कर्मचारियों को हटाया गया है, वहीं ग्रुप ए के 125 अफसर जबरन रिटायर किए गए. सरकार ने बताया था कि जुलाई 2014 से मई 2019 तक समीक्षा के दौरान ग्रुप ए के कुल 36000 और ग्रुप बी के 82000 अफसरों का ट्रैक रिकॉर्ड देखा गया. इनमें से ग्रुप ए के 125 और ग्रुप बी के 187 अधिकारियों को सेवा से बाहर करने का फैसला हुआ.

क्या है फंडामेंटल रूल 56?

फंडामेंटल रूल 56 के जरिए सरकार काम में लापरवाही बरतने और गलत कार्यों में लिप्त अफसरों को सेवा से हटा सकती है. इस रूल का इस्तेमाल ऐसे स्टाफ पर होता है, जो 50 से 55 साल की उम्र के हों और 30 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं.

सरकार के पास यह अधिकार है कि वह ऐसे अधिकारियों को अनिर्वाय रिटायरमेंट दे सकती है. ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद नॉन-परफॉर्मिंग सरकारी सेवक को रिटायर करना होता है. ऐसे में सरकार यह फैसला लेती है कि कौन से अधिकारी काम के नहीं हैं. यह नियम बहुत पहले से ही प्रभावी है.

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