
बोलने की कितनी आजादी?
कर्नाटक सरकार ने लंकेश पत्रिके की संपादक गौरी लंकेश के हत्यारों के बारे में कोई भी सूचना देने के लिए इनाम की घोषणा की है. 5 सितंबर को उनकी हत्या के बाद से पुलिस जांच जारी है. लंकेश की हत्या और जाने-माने विद्वान एम.एम. कलबुर्गी की हत्या के बीच संबंध की अटकलें लगाई जा रही हैं लेकिन पुलिस ने इस संदेह को तवज्जो नहीं दी है. कलबुर्गी की हत्या दो साल पहले धारवाड़ में हुई थी. उस मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और हत्यारे की खोज लगभग ठंडी पड़ चुकी है. प्रेस की आजादी (मिसाल के लिए चीन और उत्तर कोरिया की तुलना में) के मामले में भारत का स्थान कई सूचियों में बहुत नीचे है. पत्रकार पर अपना काम करते हुए हमले हुए हैं और कुछ तो मारे भी गए हैं. बहुत कम मामलों में हत्यारे पकड़े गए हैं, और दोषी तो शायद ही कोई साबित हुआ है. दबाव समूह और प्रेस की आजादी पर अंतरराष्ट्रीय रूप से नजर रखने वाली संस्था रिपोर्टर्स सैन्स फ्रंटियर्स (आरएसएफ) ने भारत में मौजूदा माहौल की तीखी आलोचना की है जो ‘सेल्फ- सेंसरशिप’ और ‘हिंदू राष्ट्रवादियों’ को नैतिक
पहरुए बनने की इजाजत देता है.