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CAT में 98.01 पर्सेंटाइल हासिल करने वाले ने खोला ढाबा, ऐसे कर रहा है कमाई

शशांक ने 50,000 रुपये उधार लिए और एक ढाबा खोल दिया.. जानें- कैसे हो रही है कमाई...

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
प्रियंका शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 29 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST

परेशानी हर किसी के जीवन में आती है लेकिन जो इंसान अपनी परेशानी का डट कर मुकाबला करें विजेता वही है. ऐसी ही एक कहानी है इंदौर के रहने वाले शशांक अग्रवाल की. जो अपने परिवार को सपोर्ट करने के लिए पढ़ाई के साथ- साथ एक ढाबा चला रहे हैं. 

कौन हैं शशांक ?

शशांक की उम्र 25 साल है. उन्होंने साल 2017 में हुई कैट की परीक्षा में 98.01 पर्सेटाइल हासिल किए थे. जिसके बाद उन्होंने इंडियन मैनेजमेंट रोहतक में एडमिशन ले लिया.

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कैसे खुला ढाबा

शशांक एक मिडिल क्लास फैमिली से हैं. पैदा होने के कुछ दिन बाद उनके पिता का निधन हो गया था. जिसके उनके दादाजी की पेंशन से ही घर का गुजारा चल पाता था. अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्हें इंदौर में एक इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन मिल गया. जब वह सेकेंड ईयर में थे तब उनके दादाजी की मृत्यु हो गई.  जिसके बाद परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधे पर आ गई. उस समय उनके घर आर्थिक स्थिति से काफी जूझ रहा था.

ऐसे आया आइडिया

शशांक एक स्टूडेंट थे जब उन्होंने ढाबा खोला.  वह जानते थे कि नौकरी करने के लिए उनके पास इतना समय नहीं है क्योंकि पढ़ाई भी पूरी करनी है. जिसके बाद उन्होंने 50,000 रुपये उधार लिए और इंदौर में ही स्टूडेंट्स के लिए एक ढाबा शुरू कर दिया. इंदौर में 'भावर कुआं स्क्वायर' एक जगह है जहां कई प्रतिस्पर्धी परीक्षा कोचिंग सेंटर चलते हैं.

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जिसके बाद उन्होंने वहां एक छोटा सा कमरा किराए पर लिया और खाना पकाने के लिए पांच लोगों का हायर कर लिया जिसमें एक खाने वाला भी शामिल था. शशांक ने बताया स्टार्टअप के दौरान मैंने महसूस किया काफी कई लोग जीवन की परेशानियों को झेलते हैं.

जब चलने लगा बिजनेस 

शशांक जानते थे छात्रों के पास ज्यादा पैसे नहीं होते. इसलिए उन्होंने अपने खाने के दाम बिल्कुल भी ज्यादा नहीं रखें. जिसके बाद उन्होंने 50 रुपये में अनलिमिटेड खाना बेचना शुरू कर दिया. जिसका काफी अच्छा रिस्पांस मिला. साथ ही उन्हें महीने का 30 हजार प्रॉफिट मिलने लगा.  

शशांक ने बताया वह सुबह 6 बजे उठकर लोकल मार्केट से सब्जियां लेने जाते हैं. जिसके बाद ढाबा के सभी वर्कर्स की मदद करते हैं. फिर कॉलेज के लिए निकल जाते हैं. कॉलेज से आने बाद रात 11 बजे तक ढाबे पर काम करते हैं. उन्होंने बताया इस बिजनेस से मुझे मालूम चला कि कैसे आप मार्केट में किसी भी चीज को बेच सकते हैं. साथ ही उन्होंने कहा मुझे महसूस हुआ मेरा झुकाव इंजीनियरिंग के अलावा मैनेजमेंट की ओर ज्यादा है.

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बता दें, ग्रेजुएशन पूरी होने के बाद वह हैदराबाद में एक स्टार्ट-अप में शामिल हो गए, इसके बाद इंदौर में एक एजुकेशन टेक्नोलॉजी कंपनी में. उन्होंने बताया उस दौरान हम कम्पेटेटिव परीक्षा, कैट परीक्षा के लिए कंटेट डेवलप कर रहे थे. जिसके साथ ही मैंने भी कैट परीक्षा की तैयारी की.

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