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अगर आप भी किसी किशोरी की मां हैं तो अब आपको पहले से अधिक सजग रहने की जरूरत है. लड़कों से दोस्ती, उनके प्रति आकर्षण, स्नैपचैट, वीलॉग, कूल कपड़े और कई दूसरी चीजें अब आपकी बेटी की आदत बन चुकी होंगी.
अब तक वो दुनिया को आपकी नजरों से देखती रही होगी लेकिन अब उसकी अपनी सोच विकसित होना शुरू हो गई होगी. ऐसे में आपको खासतौर पर सतर्क रहने की जरूरत है लेकिन सतर्क रहने का ये बिल्कुल भी मतलब नहीं है कि आप उस पर पाबंदियां लगाना शुरू कर दें.
सतर्क रहने का सीधा मतलब ये है कि आप उसे किसी गलत राह पर बढ़ने से पहले ही रोक लें. किशोरावस्था में आते ही बच्चे अपनी दुनिया को अपने तरीके से सजाने लगते हैं. कई बार उन्हें मां-बाप की रोक-टोक बुरी भी लग जाती है और इसके बाद वो उन्हीं चीजों को छिपाकर करना शुरू कर देते हैं.
ऐसे में मां-बाप को समझदारी से काम लेने की जरूरत है:
1. बदलाव के अनुसार ढलने में समय लगता है
बड़ी हो रही आपकी बेटी खुद भी अपने अंदर कई तरह के बदलाव महसूस कर रही होगी. ऐसे में उसे हर बार उन बातों को लेकर टोकना सही नहीं है. उसे अपने आपको समझने का पूरा वक्त देना ही सही विकल्प है. जब वो अपने भीतर और अपने आस-पास के बदलाव को खुद से समझेगी तो बेहतर तरीके से निर्णय ले पाएगी. अपने विचारों और सोच को उस पर थोपना बिल्कुल भी सही नहीं होगा.
2. दूसरों से उसकी तुलना न करें
अक्सर मां-बाप ऐसा करते हैं. पास-पड़ोस के बच्चों से या फिर रिश्तेदारों के बच्चों से अपनी बेटी की तुलना करना आपके लिए ही खतरनाक हो सकता है. बच्चे अक्सर इन बातों को अपमान के तौर पर ले लेते हैं और फिर उनके अपने मां-बाप ही उन्हें दुश्मन नजर आने लगते हैं.
3. उसे भी स्पेस की जरूरत है
हर इंसान को अपना स्पेस चाहिए होता है, आपकी बेटी को भी. ऐसे में हर वक्त उसके पीछे जासूस की तरह घूमना या फिर हर बात पर पूछताछ करना सही नहीं होगा. उसे उसका स्पेस दें. ऐसा करने से आप दोनों के बीच का भरोसा बढ़ेगा.