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कामदा एकादशी: सभी कामनाओं को पूरा करेगा ये व्रत

चैत्र शुक्ल पक्ष में 'कामदा' नाम की एकादशी होती है. कहा गया है कि 'कामदा एकादशी' ब्रह्महत्या आदि पापों तथा पिशाचत्व आदि दोषों का नाश करनेवाली है. इसके पढ़ने और सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है.

शुक्ल एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है शुक्ल एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है
वन्‍दना यादव
  • नई दिल्ली,
  • 16 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 2:41 PM IST

हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत ही बड़ा महत्व है. चैत्र मास की शुक्ल एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है. पद्म पुराण के अनुसार कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है. कामदा एकादशी व्रत के प्रभाव से मनुष्य प्रेत योनि से मुक्ति पाता है.

कामदा एकादशी व्रत विधि
हिन्दू धर्म ग्रन्थों के अनुसार कामदा एकादशी के दिन स्नानादि से शुद्ध होकर व्रत संकल्प लेना चाहिए. इसके पश्चात भगवान विष्णु का फल, फूल, दूध, पंचामृत, तिल आदि से पूजन करने की सलाह दी गई है. रात में सोना नहीं चाहिए बल्कि भजन- कीर्तन करते हुए रात बितानी चाहिए. अगले दिन यानि पारण के दिन पुनः पूजन कर ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए. दक्षिणा देकर ब्राह्मण को विदा करने के बाद भोजन ग्रहण कर उपवास खोलना चाहिए.

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कामदा एकादशी व्रत का महत्व
कामदा एकादशी व्रत का विधि- विधान द्वारा पालन करने से मनुष्य के सभी पाप दूर हो जाते हैं. कामदा एकादशी व्रत की कथा सुनने या सुनाने से भी समान पुण्य मिलता है.

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