
मेरठ के शताब्दी नगर मैदान में 4 फरवरी की दोपहर एक बजे बीजेपी की विजय शंखनाद रैली में प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी ने जोरदार आवाज में कहा, ''यूपी को स्कैम से मुक्ति दिलानी होगी. जब तक 'स्कैम' (एससीएएम) यानी सपा, कांग्रेस, अखिलेश, मायावती से यूपी मुक्त नहीं होगा, यहां की जनता सुख-चैन से नहीं बैठेगी.'' मोदी का इतना कहना था कि लखनऊ में विक्रमादित्य मार्ग पर सपा प्रदेश कार्यालय की बगल में जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट कार्यालय में काम कर रहा पार्टी का चुनावी श्वॉर रूम्य हरकत में आ गया. मोदी के गढ़े 'स्कैम' शब्द के जुमले पर पलटवार के लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का जवाब ढूंढा जाने लगा.
वॉर रूम में करीब डेढ़ घंटे चली मशक्कत के बाद 'स्कैम' के कुल चार जुमले तैयार किए गए. सपा के चुनावी वॉर रूम में रिसर्च शाखा के इंचार्ज अंशुमान शर्मा अपने मोबाइल पर वे सभी चार जुमले दिखाते हैं जो उनकी टीम ने तैयार कर अखिलेश यादव को भेजे थे. मोदी की मेरठ रैली के दो घंटे बाद औरैया में अखिलेश यादव ने इन चार जुमलों में एक का उपयोग कर बीजेपी पर हमला बोला. अखिलेश बोले, ''बीजेपी वाले स्कैम का असली अर्थ नहीं जानते हैं. इसके मतलब है—सेव कंट्री फ्रॉम अमित शाह ऐंड मोदी.'' अखिलेश हर रैली में वॉर रूम से मिले इनपुट के आधार पर उन स्थानीय मुद्दों को उठा जनता से सीधा जुडऩे की कोशिश कर रहे हैं.
विक्रमादित्य मार्ग पर बनी सफेद रंग की इस बिल्डिंग के बाहर केवल 'लोहिया के लोग' ही लिखा है. अंदर आने पर साफ दिखने लगता कि समाजवाद के योद्धा दुनिया की बेहतरीन संचार तकनीकों से लैस होकर विधानसभा चुनाव में कूद पड़े हैं. सपा के आनुषंगिक संगठन जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट की बिल्डिंग के पहले तल पर पहुंचते ही किसी कॉर्पोरेट ऑफिस की झलक दिखने लगती है. यहां कंप्यूटर से लैस तीन दर्जन से अधिक युवा सपा के चुनावी प्रबंधन को धार देने में दिन-रात डटे हुए हैं.
युवाओं ने संभाली कमान
झांसी के रहने वाले 40 वर्षीय आशीष यादव 10 वर्ष तक बीबीसी के लिए 'कम्युनिकेशन एक्सपर्ट' के तौर पर काम कर चुके हैं. बीबीसी से नाता तोड़ आशीष अब सपा के वॉर रूम के प्रभारी के रूप में काम कर रहे हैं. उन्होंने सपा के सभी टीवी पैनलिस्ट को व्हाट्सऐप ग्रुप बनाकर जोड़ा है. टीवी पैनलिस्ट को आंकड़े उपलब्ध कराने और किसी खास मुद्दे पर पार्टी के नजरिए से अवगत कराने जैसे काम आशीष और उनकी टीम कर रही है. हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट करने वाले 35 वर्षीय बुलंदशहर निवासी अंशुमान शर्मा भी बीबीसी की नौकरी छोड़ सपा के वॉर रूम में रिसर्च और कोऑर्डिनेशन का काम देख रहे हैं.
अंशुमान बताते हैं, ''हम यूपी के सभी 1,60,000 बूथ कार्यकर्ताओं से सीधे संपर्क में हैं. ये लोग न केवल स्थानीय मुद्दों की जानकारी देते हैं बल्कि प्रत्याशियों के बारे में भी फीडबैक देते हैं जिसे तुरंत सपा के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचा दिया जाता है.'' 30 वर्षीय बेंगलूरू के रहने वाले अहमद नकवी वॉर रूम में सोशल मीडिया का जिम्मा संभाल रहे हैं. अखिलेश यादव की हर रैली के वीडियो को तुरंत सोशल मीडिया पर जारी कर उसे वाइरल कर दिया जाता है. बॉलीवुड की चमक-धमक छोड़ रईस, अजहर, पीकू जैसी फिल्मों के गीतों में अपना हुनर दिखाने वाले आजमगढ़ निवासी मनोज यादव वॉर रूम के एक कमरे में सपा के चुनावी गीतों को बुनने में लगे हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा सुनाई पडऩे वाला 'काम बोलता है' जैसा चुनावी गीत लिखने वाले मनोज यादव अब दो नए गीत गढ़ रहे हैं.
आइआइटी छात्रों की जंग
विधानसभा चुनाव में बीजेपी और सपा के बीच चुनावी मुकाबला है तो इनके वॉर रूम के जरिए आइआइटी के छात्रों के बीच भी जंग का आगाज हो चुका है. लखनऊ में विधानभवन के सामने मौजूद बीजेपी के प्रदेश कार्यालय के पहले तल पर चल रहे पार्टी के चुनावी प्रबंधन कक्ष की कमान 50 वर्षीय जे.पी.एस. राठौर के पास है. आइआइटी बीएचयू से बीटेक और एमटेक करने वाले राठौर के पास बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता राठौर बीएचयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रह चुके हैं. उनके मुकाबले में सपा के वॉर रूम में 52 वर्षीय राम प्रताप सिंह हैं. आइआइटी-रुड़की से पढ़कर निकलने के बाद रामप्रताप ने भारतीय इंजीनियरिंग सेवा ज्वाइन कर ली थी. सरकारी नौकरी में मन नहीं लगा तो अपने घर आगरा लौट आए. यहां बीहड़ों में 'चंबल सफारी' बनाकर रामप्रताप चर्चा में आए. चंबल में किए गए इस अनोखे काम से प्रभावित होकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें सपा सरकार में पर्यटन विभाग का सलाहकार बना दिया. आगरा से लायन सफारी तक विश्व का सबसे लंबा साइकिल हाइवे बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले रामप्रताप चंबल में पिछले दो वर्षों से आयोजित होने वाले 'इंटरनेशनल वल्र्ड फेस्टिवल' के मुख्य आर्किटेक्ट भी हैं.
बूथ तक चुनाव प्रबंधन
बीजेपी प्रदेश मुख्यालय के पहले तल पर चल रहे बीजेपी के चुनाव प्रबंधन कक्ष के बाहर श्बिना अनुमति प्रवेश वर्जित्य की हिदायत लिखी पट्टी के नीचे बायोमीट्रिक मशीन लगी हुई है. यहां प्रबंधन कक्ष में हर कोई नहीं आ जा सकता सिवाए उन सवा सौ लोगों की एक टीम के जो दिन-रात चुनाव प्रबंधन का जिम्मा संभाल रही हैं. वॉर रूम प्रभारी राठौर बताते हैं, ''बीजेपी की नीतियों से प्रभावित युवा स्वेच्छा से चुनाव प्रबंधन में योगदान के लिए सामने आए हैं.'' बीजेपी ने यूपी को छह जोन पश्चिम, ब्रज, अवध, कानपुर, बुंदेलखंड, काशी और गोरखपुर में बांट रखा है. चुनाव प्रबंधन कक्ष के कार्यकर्ताओं को भी जोन के हिसाब से जिम्मेदारी दी गई है. राठौर बताते हैं, ''इन सभी छह जोन को मिलाकर हमारे पास कुल 1,28,000 बूथ स्तरीय कार्यकर्ता हैं जिनके सभी संपर्क नंबर चुनाव प्रबंधन की टीम के पास हैं. एक रोस्टर के हिसाब से चुनाव प्रबंधन कक्ष इन बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं से लगातार संपर्क में बना हुआ है.'' पार्टी ने इस बार पहली बार सेक्टर प्रभारी भी तैनात किए हैं. इन सेक्टर प्रभारियों को 10 बूथ का जिम्मा दिया गया है. इसी तरह 10 सेक्टर प्रभारियों पर एक मंडल प्रभारी बनाया गया है. ये सेक्टर और मंडल प्रभारी सीधे वॉर रूम के संपर्क में हैं. कहां किस नेता की चुनावी रैली की जरूरत है? विरोध जैसी सूचनाएं हर विधानसभा क्षेत्र के सेक्टर और मंडल प्रभारी से जुटा करके इसे प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व को भेजा जा रहा है.
हाइटेक औजारों से प्रहार
बीजेपी ने हर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी का प्रचार करने के लिए कुल 403 रथ रवाना किए हैं. चुनाव प्रबंधन कक्ष में लगीं आधा दर्जन बड़ी टीवी स्क्रीन से लगातार रथों की लोकेशन ली जा रही है. बीजेपी के युवा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी बताते हैं, ''सभी रथों में जीपीएस सिस्टम लगा हुआ है. इससे पता चलता रहता है कि रथ किस विधानसभा इलाके में पहुंच चुका है.'' बीजेपी ने चुनाव प्रबंधन में लगे आधा दर्जन वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को आइपैड भी दिया है जिससे वे 24 घंटे 'अपडेट' रह सकें और किसी आपात स्थिति में फौरन पार्टी नेतृत्व तक जानकारी पहुंचा सकें. सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के बीच बीजेपी ने उन लोगों पर भी ध्यान लगाया है जो फेसबुक या ट्यूटर नहीं बल्कि व्हाट्सऐप का ही प्रयोग करते हैं. इन तक पहुंचने के लिए बीजेपी के वॉर रूम ने सात मोबाइल नंबर लिए हैं.
इन सभी मोबाइल नंबर पर कम से कम आठ हजार ग्रुप बनाए गए हैं. एक सॉफ्टवेयर के जरिए कंप्यूटर स्क्रीन पर इन मोबाइल नंबरों को ऑपरेट किया जा रहा है. हर ग्रुप में औसतन डेढ़ सौ लोगों को जोड़ा गया है. इस तरह पूरे प्रदेश में कुल 12 लाख से अधिक लोग सीधे तौर पर बीजेपी की चुनावी रणनीति का हिस्सा बन चुके हैं. राठौर बताते हैं, ''इन व्हाट्सऐप ग्रुप पर दिन भर में कम से कम आधा दर्जन पोस्ट भेजी जाती हैं. ग्रुप के सदस्यों से इन पोस्टों को दूसरे ग्रुप में भेजने को भी कहा जाता है. इस तरह हम एक दिन में कम से कम एक करोड़ लोगों तक पहुंचते हैं.''
सोशल मीडिया का सहारा
मॉल एवेन्यू स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के पहले तल पर मौजूद सोशल मीडिया कक्ष अब चुनावी वॉर रूम में तब्दील हो चुका है. यहां पर दो दर्जन कार्यकर्ता कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी के शीर्ष नेताओं की यूपी में हो रही रैलियों पर नजरें गड़ाए हुए हैं. नेताओं के भाषण और वीडियो सेकंडों में ट्विटर और फेसबुक पर लोड हो जाते हैं. कांग्रेस ने पहली बार सभी जिलों में सोशल मीडिया प्रभारियों की तैनाती की है. प्रदेश कांग्रेस के सोशल मीडिया प्रभारी शिव पांडेय बताते हैं, ''हमने ब्लॉक स्तर तक सोशल मीडिया कार्यकर्ता तैनात किए हैं. हम कांग्रेस का घोषणापत्र और नीतियां सोशल मीडिया के जरिए गांव-गांव तक पहुंचाएंगे.''
आमतौर पर सोशल मीडिया पर सुस्त रहने वाली बीएसपी ने भी इस बार के चुनावों में साइबर जगत में अपनी आमद दर्ज कराई है. बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती की सभी चुनावी रैलियों और प्रेस कॉन्फ्रेंस को यू-ट्यूब और फेसबुक पर लाइव प्रसारित किया जाता है. हालांकि पार्टी ने इसके लिए कोई अलग से टीम का गठन नहीं किया है. बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्र कहते हैं, ''बीएसपी के समर्थक अपने दम पर सोशल मीडिया पर पार्टी का प्रचार कर रहे हैं. बीएसपी का इनसे किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं हुआ है.'' बीएसपी ने विधानसभा चुनाव के लिए 'बहन जी को आने दो्य, सिंहासन पर माया बहना' जैसे गीत तैयार कराए हैं. इन गीतों को बॉलीवुड के गीतकार मुंतजिर ने लिखा है. हिंदी फिल्मों के गायक दिव्य कुमार और ऐश्वर्य निगम ने इन गीतों को आवाज दी है. सोशल मीडिया पर इन गीतों को शेयर करके बीएसपी समर्थक अपनी नेता मायावती के लिए समर्थन मांग रहे हैं.