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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कैबिनेट विस्तार के बाद मानव संसाधन राज्य मंत्री बने रामशंकर कठेरिया विवादों के घेरे में आ गए हैं. आरोप है कि कठेरिया के स्नातक के अंकपत्र में जालसाजी की गई है. हालांकि मानव संसाधन राज्य मंत्री ने इन आरोपों का खंडन किया है.
आगरा से सांसद कठेरिया के खिलाफ उनके प्रतिद्वंदी बसपा उम्मीदवार ने 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक मामला दायर किया था. मामले में उन पर अंकपत्र में जालसाजी का आरोप लगाया गया था. हालांकि अदालत ने मामले को आगरा स्थित सत्र अदालत को भेज दिया है. मामले की सुनवाई 26 नवंबर को होगी.
कठेरिया ने अपने खिलाफ आरोप को खारिज करते हुए कहा, 'पूर्ववर्ती बसपा सरकार मेरे खिलाफ जान बूझकर प्रतिदिन चार मामले दायर करती थी, उन्हें कोई सबूत नहीं मिला. बसपा सरकार के सत्ता में रहने के बावजूद मुझे सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था.'
उन्होंने एक निजी समाचार चैनल से कहा कि उनके खिलाफ जालसाजी का यह मामला ‘राजनीतिक रूप से प्रेरित’था. उन्होंने उम्मीद जताई कि वह बेदाग होकर सामने आएंगे. शिकायत के अनुसार उन्होंने अपने हिंदी के साथ ही अंग्रेजी के अंकों के साथ भी छेड़छाड़ की थी.
दिलचस्प बात ये है कि मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी भी अपनी डिग्री और शिक्षा को लेकर विवादों में रह चुकी हैं.
इससे पहले मंत्रियों के पिछले रविवार को शपथ ग्रहण करने के एक दिन बाद एक एनजीओ ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि आगरा के बीजेपी सांसद कठेरिया ने घोषणा की है कि उनके खिलाफ हत्या के प्रयास का एक और दो समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने का एक मामला दर्ज है.
हालांकि वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कठेरिया के खिलाफ इस आरोप को खारिज कर दिया कि उनके खिलाफ हत्या का प्रयास सहित 27 आपराधिक मामले दर्ज हैं. उन्होंने कहा, 'राज्य में प्रत्येक बीजेपी कार्यकर्ता के खिलाफ एक आपराधिक मामला है, जो अखिलेश यादव सरकार ने दर्ज कराए हैं.'
- इनपुट भाषा से