
जून से अक्टूबर तक राजस्थान के करौली जिले में सेवाचिन का पुरा, माधोसिंह पुरा और मचेट गांवों के करीब दो सौ घरों की आबादी के 85 छात्रों को स्कूल जाने के लिए अपनी जान पर खेलना पड़ता है. इस दौरान इन गांवों से गुजरने वाली बरसाती नदी में इतना पानी भर जाता है कि लोगों को अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है.
सालों से हो रही है पुल बनाने की मांग
इस नदी का नाम भैंसावट है, जिस पर लोग बरसों से पुल बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन जनता की सेवा का वादा करने वाले जनप्रतिनिधियों और सरकार ने इसकी खबर तक नहीं ली. जब यह मामला मानवाधिकार आयोग तक पहुंचा, तो उसने राजस्थान के प्रमुख सचिव को नोटिस भेजकर इस बाबत जवाब तलब किया है.
मानसून के दौरान 15 फीट से भी ज्यादा पानी
दरअसल राजस्थान के करौली जिले से गुजरने वाली बरसाती नदी भैंसावट में मानसून के दौरान 15 फीट से भी ज्यादा ऊंचा पानी भर जाता है. तेज बहती धारा को पार करने के लिए ग्रामीण ट्रकों-बसों के हवा भरे ट्यूब का सहारा लेते हैं. इसमें जान का जोखिम तो है ही. खासकर स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए और भी खतरा है.
जीवन जीने के अधिकार का हनन
जब यह खबर मीडिया में आई, तो मानवाधिकार आयोग ने इसकी सुध ली. नोटिस भेज कर सरकारी बाबुओं से जवाब मांगा क्योंकि अक्सर इन चौमासों में प्रसव के लिए महिलाएं, बीमार, बच्चे और बुजुर्ग सबको इसी तरह से उस पार भेजा जाता है. आयोग ने इसे लोगों के जीवन के अधिकार और खासकर सम्मान के साथ जीने के अधिकार पर चोट माना है.