
आंध्र प्रदेश में तीन राजधानी से जुड़े बिल को राज्य विधानसभा से तो मंजूरी मिल गई लेकिन विधान परिषद में जाकर यह बिल अटक गया है. विधान परिषद ने इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का फैसला किया है जिसे लेकर राज्य में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं. सत्ताधारी पार्टी YSRCP ने इसके लिए चंद्रबाबू नायडू को जिम्मेदार ठहराया और उन पर विधान परिषद अध्यक्ष को प्रभावित करने का आरोप लगाया.
सत्ताधारी पार्टी वाईएसआरसीपी ने विधान परिषद के फैसले के खिलाफ विशाखापत्तनम में प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को यहां ट्रैफिक पूरी तरह से रोक दिया और चंद्रबाबू नायडू का पुतला भी फूंका. तीन दिन तक चलने वाला विधानसभा का विशेष सत्र एक और दिन के लिए बढ़ाया गया था.
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टीडीपी ने जगन सरकार को घेरा
टीडीपी ने विधानसभा से पारित होकर आए दो ऐतिहासिक विधेयकों को विधान परिषद में लटकाने में सफल रही और इस मुद्दे पर बीते दिन जोरदार हंगामा देखने को मिला. परिषद के अध्यक्ष एमए शरीफ ने कहा कि आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास विधेयक 2020 को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा गया है. उन्होंने कहा कि सत्र में नियम 71 की एंट्री के बाद इन दोनों विधेयकों सामान्य तरीके से पारित नहीं किया जा सकता और यही वजह है कि इन्हें सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का फैसला किया गया है.
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विधान परिषद अध्यक्ष ने कहा कि विपक्षी दल टीडीपी, बीजेपी और पीडीएफ के नेताओं का कहना कि सरकारी विधायकों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और जो भी बिल कानून के मुताबिक ना हों उनपर विचार नहीं किया जाए. यह साफ था कि दोनों बिल नियमों के मुताबिक नहीं आए हैं. उन्होंने कहा कि दोनों विधेयकों की समीक्षा कर मैंने अपने अधिकार का इस्तेमाल किया और नियम 154 के तहत इन्हें सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा गया है.
संख्याबल में कमजोर YSRCP
बता दें कि आंध्र प्रदेश विधान परिषद में टीडीपी का बहुमत है और चंद्रबाबू की पार्टी राज्य की तीन राजधानियां बनाने के खिलाफ है. विधान परिषद में टीडीपी के 58 सदस्य हैं जबकि सत्ताधारी वाईएसआर कांग्रेस के केवल नौ विधायक हैं. ऐसे में टीडीपी इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने में सफल रही है.
विधानसभा से जिस बिल को मंजूरी दी गई है उसके तहत विशाखापत्तनम को आंध्र प्रदेश की कार्यकारी राजधानी, अमरावती को विधायी राजधानी और कुरनूल को न्यायिक राजधानी बनाने का प्रस्ताव है. देश के इतिहास में यह पहला राज्य होगा जहां किसी एक प्रदेश की तीन-तीन राजधानी होंगी. इससे पहले अब तक महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश की दो राजधानियां रही हैं.