Advertisement

जब 28 साल पहले हुर्रियत नेता ने कबूला था मौत के खेल का गुनाह

हुर्रियत नेताओं में से एक फारुख अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे ने भी 28 साल पहले ऐसा ही कबूलनामा किया था. जिसमें कैमरे के सामने उसने खूनी हकीकत को बयान किया था और कश्मीरी पंडितों के कत्लेआम का जुर्म कबूला था.

बिट्टा कराटे बिट्टा कराटे
जावेद अख़्तर
  • ,
  • 23 मई 2017,
  • अपडेटेड 3:26 PM IST

'आजतक' ने स्टिंग ऑपरेशन 'ऑपरेशन हुर्रियत' के जरिए हुर्रियत नेताओं को बेनकाब किया. इस स्टिंग ऑपरेशन से कश्मीर में पत्थरबाजों को फंडिंग की साजिश का पर्दाफाश हुआ. जिसके बाद सरकार ने अलगाववादी नेताओं के खिलाफ केस दर्ज मामले की जांच एनआईए को सौंप दी. हुर्रियत नेताओं में से एक फारुख अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे ने भी 28 साल पहले ऐसा ही कबूलनामा किया था. जिसमें कैमरे के सामने उसने खूनी हकीकत को बयान किया था और कश्मीरी पंडितों के कत्लेआम का जुर्म कबूला था.

Advertisement

1988 में पीओके जाकर आतंक ट्रेनिंग लेने वाला बिट्टा कराटे जब वापस कश्मीर लौटा तो अपने आकाओं के हुक्म का गुलाम बन चुका था. ट्रेनिंग के दौरान जिहाद के नाम पर बिट्टा कराटे दिलोदिमाग में इतना जहर भरकर लौटा था कि अपने आकाओं के कहने पर अपने परिवार को मौत के घाट उतारने के लिए भी तैयार था.

बिट्टा के मंसूबे इतने खतरनाक थे कि तड़पते बेगुनाह लोगों को देखकर भी उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था. बिट्टा पर जिहाद के नाम पर बेगुनाह कश्मीरी पंडितों की हत्या का आरोप लगा. जिसके बाद 22 जून 1990 को बिट्टा को श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तारी के वक्त बिट्टा पर आतंकवाद फैलाने के 19 केस दर्ज थे. बिट्टा पर टाडा के तहत मुकदमा चलाया गया लेकिन 16 साल तक केस चलने के बाद सबूतों को अभाव में बिट्टा को जमानत मिल गई.

Advertisement

पाकिस्तानी फंडिंग को लेकर कश्मीर की बर्बादी का एजेंडा चलाने वाले हुर्रियत नेताओं के आजतक के स्टिंग में फंसने के बाद सरकार का एक्शन भी शुरु हो चुका है. बिट्टा समेत बाकी नेताओं से NIA की टीम पूछताछ कर चुकी है, अब इन्हें दिल्ली लाकर पूछताछ की जानी है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement