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'रामसेतु पर पड़े थे श्री राम के कदम, इसलिए सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट पर नहीं करूंगा सरकार की पैरवी'

देश के सॉलिसिटर जनरल मोहन परासरन ने राम सेतु मामले पर सरकार से जुदा राय देकर खुद को मामले से अलग कर लिया है. इंडिया टुडे ग्रुप से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि वह मानते हैं कि रामसेतु पर भगवान राम के कदम पड़े थे.

मोहन परासरन मोहन परासरन
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 सितंबर 2013,
  • अपडेटेड 9:17 AM IST

देश के सॉलिसिटर जनरल मोहन परासरन ने राम सेतु मामले पर सरकार से जुदा राय देकर खुद को मामले से अलग कर लिया है. इंडिया टुडे ग्रुप से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि वह मानते हैं कि रामसेतु पर भगवान राम के कदम पड़े थे.

मोहन विवादास्पद सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट मामले पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की याचिका की पैरवी नहीं करेंगे. इंडिया टुडे से बातचीत में उन्होंने कहा, 'मैं उसी इलाके से आता हूं और नहीं चाहता कि लोग इसका मेरे खिलाफ इस्तेमाल करें. मैं अपने विश्वास पर कायम हूं. संविधान मुझे अलग राय रखने की इजाजत देता है, इसलिए मुझे लगा कि जितना जल्दी हो सके मुझे सरकार को अपना रुख साफ कर देना चाहिए.'

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उन्होंने यह भी कहा कि उनके पिता भी सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट के याचिकाकर्ताओं के खिलाफ केस लड़ रहे थे, इसलिए वह हितों के टकराव की स्थिति से बचना चाहते हैं. मोहन परासरन ने कहा कि नियमगिरि के मामले में भी कोर्ट ने बॉक्साइट संपन्न इलाके के लोगों की इच्छा का सम्मान किया. उन्होंने कहा, 'अयोध्या की तरह इसमें राय बनाने के लिए स्थानीय लोगों को शामिल किया जाना चाहिए.'

सरकार को संदेश देना चाहते हैं परासरन!
नियमगिरि मामले में कोर्ट ने लोगों को यह फैसला करने की इजाजत दी थी कि पहाड़ में कहां से खनन किया जाए और कहां से नहीं. इस मामले में स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं को समर्थन देने खुद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी वहां पहुंचे थे.

सूत्रों के मुताबिक, परासरन अपने इस बयान से सरकार को यह संदेश भी देना चाहते हैं कि रामसेतु के मुद्दे पर उसका स्टैंड जोखिम भरा है. परासरन ने यह भी कहा कि सेतु के अस्तित्व को नासा भी मान चुका है. उन्होंने कहा, 'कुछ पर्यावरण से जुड़े मुद्दे भी हैं, मुझे उम्मीद है कि सरकार उनका भी ध्यान रखेगी.'

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सरकार का दावा, प्रोजेक्ट से होगा आर्थिक विकास

संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति ने सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट को पुनर्जीवित करने का फैसला लिया था. मामला फिलहाल अदालत के अधीन है. यूपीए ने पर्यावरण संबंधी रिपोर्टों को खारिज करते हुए प्रोजेक्ट के लिए प्रतिबद्धता जताई है. सरकार का कहना है कि प्रोजेक्ट से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी.

डीएमके इस प्रोजेक्ट की पक्की समर्थक है और केंद्र सरकार से अकसर मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने की अपील करती रहती है. बीजेपी प्रोजेक्ट के सख्त खिलाफ है.

हालांकि परासरन ने कहा है कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है. लेकिन केस से खुद को अलग करके उन्होंने सरकार को चौंका दिया है. जाहिर सी बात है, भारत में कोई भी मुख्यधारा की पार्टी नास्तिक नहीं दिखना नहीं चाहेगी.

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