
एक शेर है कि,
हर फैसला होता नहीं सिक्का उछाल के,
ये दिल का मामला है जरा देखभाल के.
मोबाइलों के दौर के आशिक को क्या पता,
रखते थे कभी खत में कलेजा निकाल के.
उदय प्रताप का लिखा ये शेर उस सुकून का एहसास दिलाता है जो महबूबा के लिखे खत को छूने के बाद होता है.
व्हाट्सऐप के दौर में भी एक ऐसा आशिक है जो अभी भी महबूबा को अपने हाथों से खत लिखता है. उनकी उम्र काफी हो गई है लेकिन वो आज भी अपनी महबूबा के लिए खत लिखते हैं. एक बड़ी वेबसाइट को उन्होंने बताया कि, 'मेरे दोस्त कहते हैं कि टेक्स्ट भेजना बहुत आसान है आप फोन का इस्तेमाल क्यों नहीं करते. लेकिन मुझे कागज और कलम का साथ बहुत अच्छा लगता है. मैं खत में अपने दिल का हाल बखूबी बयां कर पाता हूं. एक खत सिर्फ अक्षर नहीं ले जाता बल्कि एहसासों की खुश्बू भी समेटे हुए होता है.'
मैं उसे तब से खत लिख रहा हूं जब हम स्कूल में थे. तब ना फोन और इंटरनेट बहुत महंगे थे. मुझे एक लड़की पसंद थी जिसके लिए मैं लव नोट्स लिखता था और उसकी डेस्क पर छोड़ देता था. हालांकि मैंने उसे कभी नहीं बताया कि ये मैं लिखता हूं. एक दिन मेरे दोस्त ने बताया कि उसकी ख्वाहिश है कि उसका प्रेमी उसके लिए लव लेटर लिखे.
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कागज हाथों में लेकर उस पर पेन से कुछ लिखना बहुत रोमांटिक लगता है मुझे. ज़रूरी नहीं है कि आप हमेशा लिखने के मूड में हों इसलिए जब मेरा मूड ठीक होता है तो मैं लिखता हूं. आजकल तो मूड हो ना हो लोग लिख देते हैं. इससे आपके प्रेम का पता चलता है क्योंकि आप अपनी भावनाओं को फलन-फूलने का पूरा मौका देते हैं.
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मेरी प्रेमिका को भी मेरी यह आदत बहुत अच्छी लगती है. वो बताती है कि जब वह मेरे खत पढ़ती है तो उसे लगता है कि मैं उसके पास खड़ा हूं और उसके कान में कुछ कह रहा हूं. भले ही लोग संचार के कितने ही माध्यम खोज लें लेकिन मैं लव लेटर लिखना नहीं छोड़ूंगा.