
'एजेंडा आजतक' के दूसरे दिन पहले सेशन में कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर, मौलामा महमूद मदनी और बीजेपी के पूर्व नेता स्वामी चिन्मयानंद ने धर्म के नाम पर हो रही राजनीति पर अपने विचार रखें. तीनों वक्ताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि जबरिया धर्मांतरण को किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता है. पढ़िए पहले सेशन की दस झलकियां...
1. मणिशंकर अय्यर ने कहा, जब एनडीए के समय स्वामी चिन्मयानंद गृह राज्य मंत्री थे. तब हम साथ बैठते थे. मैं इनसे कई चीजों पर चर्चा करता था. सबसे बड़ी उत्सुकता तो ये जानने की थी कि इनके नाम के आगे ये 108 क्यों लगा है और ये पदवी कैसे मिलती है.
2. अय्यर ने नेहरू के साथ श्यामाप्रसाद मुखर्जी के मतभेदों पर बात की और फिर कह दिया कि जिस दिन मुखर्जी ने जनसंघ बनाया, उस दिन सियासत में कट्टरपंथ और मजहब आ गया.
3. स्वामी चिन्मयानंद ने सुनाया इंदिरा गांधी का किस्सा. उनके मुताबिक, मैंने इंदिरा जी और आनंदमयी मां के बीच धर्म पर विस्तृत व्याख्या और चर्चा सुनी है. अब वैसी समझ नहीं दिखती.
4. मदनी ने साफ किया. इस्लाम में भी युवाओं की चिंता को मस्जिद बनाने और डर से बचने तक महदूद किया जा रहा है. जबकि उन्हें देश की मजबूती का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए.
5. अय्यर बोले, अगर कोई नब्बे के दशक में रथयात्रा के दौर में ये कहता कि आप आडवाणी को बतौर पीएम देखना चाहेंगे, तो मैं कहता असंभव. मगर आज आडवाणी ही बेहतर पीएम लगते, मौजूदा लोगों की तुलना में.
6. स्वामी चिन्मयानंद ने कहा. मैं यूपी से आता हूं. बीजेपी ऐसी ऐसी सीटों पर जीती है, जहां जाति और धर्म के कथित समीकरण कतई उसके पक्ष में नहीं जाते. ये सब हुआ है क्योंकि लोगों ने मोदी के एजेंडे पर वोट दिया. कांग्रेस अब तक ये बात स्वीकार नहीं करती.
7. दर्शकों के बीच बैठे अमर सिंह बोले, मैं पार्टी में रहकर दरकिनार किए जाने की अय्यर और चिन्मयानंद की पीड़ा समझता हूं. उन्होंने कहा कि सपा में रहने के दौरान मैंने साक्षी महाराज को राज्यसभा में भेजे जाने का विरोध किया था. इस आदमी ने बाबरी मस्जिद की ईंट अपने पाखाना में लगाई थी. मगर मुलायम सिंह बोले, नहीं लोधियों का वोट जरूरी है.
8. लोग साध्वी और साक्षी की बात कर रहे हैं. मगर मसूद ने सहारनपुर में मोदी जी की गर्दन काटने की बात कही. सेकुलर लोगों ने इसका विरोध क्यों नहीं किया. ये बयान देकर अमर सिंह ने बीजेपी के प्रति अपना नरम रुख जाहिर कर दिया.
9. न धर्म बदला जा सकता है, न धरती बदली जा सकती है. ये बात भारत में रहने वाला हर शख्स समझ ले और नेता मान लें तो सारा टंटा ही खत्म हो जाए. ये कहकर स्वामी चिन्मयानंद ने बहस को एक नया रंग दिया. इस पर अय्यर फौरन संविधान का हवाला देने लगे.
10. आखिर में स्वामी चिन्मयानंद बोले, धर्मांतरण बिल्कुल गलत है. धर्म परिवर्तन हो ही नहीं सकता. ये विधर्मी चीज है. मनोविज्ञान के खिलाफ है. ईश्वर को नहीं बदला जा सकता. मौलाना मदनी ने इससे सहमति जताई. फिर कहा, कौन ईश्वर को कैसे मानता है. इस पर विरोध नहीं होना चाहिए.