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छत्तीसगढ़: गैंगरेप पीड़िता ने बताया- चचेरे भाई ने किया रेप, फिर रुपयों की खातिर बेच दिया

'तीन महीने तक मेरे चचेरे भाई ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर मेरा गैंगरेप किया. वो मुझ पर बेल्ट, जूतों और ब्लेड से हमला करता था. मुझे अब वो गिनती भी याद नहीं है, जितनी बार मेरे चचेरे भाई और उसके दोस्तों ने मेरा रेप किया और आखिर में मुझे बेच दिया.' ये आप बीती 23 साल की रेप पीड़िता की.

पीड़िता ने दिल्ली और छत्तीसगढ़ सरकार से की थी मदद की गुहार पीड़िता ने दिल्ली और छत्तीसगढ़ सरकार से की थी मदद की गुहार
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 जुलाई 2015,
  • अपडेटेड 1:14 PM IST

'तीन महीने तक मेरे चचेरे भाई ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर मेरा गैंगरेप किया. वो मुझ पर बेल्ट, जूतों और ब्लेड से हमला करता था. मुझे अब वो गिनती भी याद नहीं है, जितनी बार मेरे चचेरे भाई और उसके दोस्तों ने मेरा रेप किया और आखिर में मुझे बेच दिया.' ये है आप बीती 23 साल की रेप पीड़िता की.

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रेप पीड़िता ने बताया कि उसके चचेरा भाई ने बीते साल छत्तीसगढ़ से झारंखड के गुमला लाने के बाद पैसों के लिए उसे रोहित नाम के शख्स को बेच दिया. रोहित ने क्रूरता बरतते हुए अपने साथियों के साथ महिला से कई बार रेप किया. रेप पीड़िता को एनजीओ 'बचपन बचाओ आंदोलन' की कोशिशों से बचाया जा सका है. एनजीओ के सदस्यों की मौजूदगी में पीड़िता ने पुलिस थाने में अपना बयान दर्ज करवाया.

'किसी विभाग ने नहीं की मदद'
एनजीओ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर राकेश सेंगर ने बताया कि मामले में सबसे दुखद ये है कि पीड़िता ने कई विभागों के पास शिकायत भेज मदद मांगी, पर किसी ने कोई कदम नहीं उठाया. पीड़िता को गुमला के बाद दिल्ली के निहाल विहार में रखा गया, जहां आरोपी उसके साथ रेप के साथ मारपीट भी करते थे.

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पीड़िता के परिवार को पता चला
पीड़िता ने बताया कि जब उसके परिवार ने चचेरे भाई से उसके बारे में पूछा तो उसने रोहित को सावधान रहने के लिए कहा. पीड़िता जब कुछ दिनों बाद छत्तीसगढ़ पहुंची तो आरोपियों ने उसकी आजादी के बदले परिवार से 30 हजार रुपये की फिरौती मांगी.

रोहित ने फिर किया अपहरण
रोहित ने साल 2015 की शुरुआत में पीड़िता को फिर से किडनैप कर दबाव बनाना शुरू कर दिया. हालांकि पीड़िता कुछ दिनों में रोहित की गिरफ्त से भाग निकली और छत्तीसगढ़ मे अपने माता पिता के पास पहुंचकर पुलिस में शिकायत करने का फैसला किया, लेकिन किसी भी विभाग की ओर से कार्रवाई न किए जाने पर उसे निराशा ही हाथ लगी. पीड़िता इस वक्त 'बचपन बचाओ आंदोलन' एनजीओ के साथ रह रही है.

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