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तीन महीने से नहीं था सिंधू के पास मोबाइल, गुरु गोपीचंद ने आइसक्रीम खाने पर भी लगा रखा था बैन

जब बात अनुशासन की आती है तो भारत के दिग्गज बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद कोई समझौता नहीं करते और यही वजह रही कि उन्होंने पिछले तीन महीने से पी.वी. सिंधू को फोन से दूर रखा और रियो पहुंचने पर इस रजत पदक विजेता शटलर को आईसक्रीम भी नहीं खाने दी.

तीन महीने से फोन से दूर थी सिंधू तीन महीने से फोन से दूर थी सिंधू
मोनिका शर्मा
  • रियो डि जिनेरियो,
  • 20 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 12:24 PM IST

जब बात अनुशासन की आती है तो भारत के दिग्गज बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद कोई समझौता नहीं करते और यही वजह रही कि उन्होंने पिछले तीन महीने से पी.वी. सिंधू को फोन से दूर रखा और रियो पहुंचने पर इस रजत पदक विजेता शटलर को आईसक्रीम भी नहीं खाने दी.

नरम पड़ गए गोपी
जब कुछ हासिल करना होता है तो फिर जिंदगी में कई बलिदान करने पड़ते हैं और साइना नेहवाल से लेकर सिंधू तक गोपी के सिद्धांत कभी नहीं बदले. लेकिन जिस दिन उनकी शिष्या सिंधू ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी उस दिन एक कड़क शिक्षक भी नरम बन गया और उन्होंने बड़े भाई की तरह भूमिका निभाई. अब मिशन पूरा होने के बाद सिंधू भी एक आम 21 वर्षीय लड़की की तरह जिंदगी जी सकती हैं तथा अपने साथियों को व्हाट्सएप पर संदेश भेजने के अलावा अपनी पसंदीदा आईसक्रीम भी खा सकती है.

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खाने दूंगा आईसक्रीम भी
सिंधू के रजत पदक जीतने के बाद गोपी ने कहा, 'सिंधू के पास पिछले तीन महीने के दौरान उसका फोन नहीं था. पहला काम मैं यह करूंगा कि उसे उसका फोन लौटाउंगा. दूसरी चीज यहां पहुंचने के बाद पिछले 12-13 दिन से मैंने उसे मीठी दही नहीं खाने दी थी जो उसे बहुत पसंद है. मैंने उसे आईसक्रीम खाने से भी रोक दिया था. अब वो जो चाहे खा सकती है.'

इस पल को जीने की हकदार है सिंधू
गोपी ने ओलंपिक से सिंधू के अनुशासन और कड़ी मेहनत की भी तारीफ की. उन्होंने कहा, 'पिछला हफ्ता उसके लिए शानदार रहा. पिछले दो महीनों में उसने जिस तरह से कड़ी मेहनत की वह बेजोड़ था. जिस तरह से बिना किसी शिकायत के उसने बलिदान किए वह शानदार था. वह अब इस पल का आनंद लेने की हकदार है और अब मैं वास्तव में चाहता हूं कि वह ऐसा करे. मैं वास्तव में बहुत बहुत खुश हूं.'

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इस टूर्नामेंट से सिंधू ने सीखा बहुत कुछ
सिंधू अभी 21 साल की हैं और गोपी को उम्मीद है उनकी पसंदीदा शिष्या अभी काफी कुछ हासिल करेगी. उन्होंने कहा, 'सिंधू अभी युवा है. मेरा मानना है कि इस टूर्नामेंट से उसे काफी कुछ सीखने को मिला है. उसके पास आगे बढ़ने की बहुत क्षमता है. आपको अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए. उसने हमें गौरवान्वित किया है. मैं उसके लिए वाकई खुश हूं.' गोपी ने सिंधू को सलाह दी कि वह स्वर्ण पदक से चूकने के कारण निराश होने के बजाय रजत पद जीतने की खुशी मनाए.

हारी नहीं, जीत कर लाई है पदक
उन्होंने कहा, 'मैंने उससे कहा कि वह हार के बारे में नहीं सोचे. यह याद करो कि हमने एक पदक जीता है. मैं उससे कहना चाहता हूं कि वह पिछले हफ्ते के प्रयासों को नहीं भूले जो उसने पोडियम पर दूसरे स्थान पर पहुंचने के लिए किए थे. गोपी ने कहा, 'उसने जो प्रयास किए उससे उसने हम सबको गौरवान्वित किया है. हम बहुत खुश हैं. यह उससे अधिक महत्वपूर्ण मेरे लिए हैं कि हम यह भूल जाएं कि वह मैच हार गई. हम इस पर ध्यान दें कि उसने पदक जीता.'

अलग तरह की खिलाड़ी दिखी सिंधू
गोपी ने हालांकि कहा कि अगर स्टेडियम में राष्ट्रगान बजता तो उन्हें अधिक खुशी होती. उन्होंने कहा, 'मैं भी चाहता था कि हमारा ध्वज थोड़ा और ऊपर फहराया जाता लेकिन यह कहते हुए भी मैं सिंधू की तारीफ करता हूं कि उसने यहां तक पहुंचने के लिए बेहद कड़ी मेहनत की.' टूर्नामेंट की बात करें तो विश्व में दसवें नंबर की सिंधू पूरी तरह से एक अलग तरह की खिलाड़ी दिखी. यहां तक भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी और लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साइना नहेवाल ग्रुप चरण से ही बाहर हो गई थी.

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मारिन बेहतरीन खेली
गोपी ने कहा, 'सिंधू ने चारों मैचों में अच्छा प्रदर्शन किया. फाइनल में भी उसने कड़ी चुनौती पेश की. मुझे वास्तव में गर्व है कि उसने अपनी तरफ से वह सब कुछ किया जो वह कर सकती थी. मारिन बेहतर खेली. सिंधू को इससे सीख मिली है. उम्मीद है कि अगली बार वह और मजबूत होकर कोर्ट पर उतरेगी.' आल इंग्लैंड चैंपियन गोपीचंद सिडनी ओलंपिक 2000 के क्वार्टर फाइनल में हार गए थे. लेकिन कोच के रूप में उनकी दो शिष्या साइना नेहवाल और अब सिंधू के पास ओलंपिक पदक है.

पहले ओलंपिक में ही दिलाया गौरव
उन्होंने कहा, 'जिंदगी में ऐसा एक बार होता है. कई बार लाखों में एक बार और शायद हमारे लिए अरबों में एक. बहुत कम अवसरों पर किसी को पोडियम पर पहुंचने का मौका मिलता है और जो इस पूरी यात्रा का हिस्सा होता है उसके लिए यह विशेष पल होता है.' गोपी ने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं. ईश्वर और उन लोगों का आभारी हूं जिन्होंने हमारा समर्थन किया. जवाब देने के लिए मेरे पास मेरा फोन नहीं है लेकिन कई चीजों जैसे प्रधानमंत्री के ट्वीट से हमें कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा मिली. हर किसी ने ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास किया. उनमें से कुछ लोगों को ही जीत मिली.' उन्होंने कहा, 'हमें भी सोने का तमगा पसंद है लेकिन यह उसका पहला ओलंपिक है और जिस तरह से वह खेली उससे मैं गौरव महसूस कर रहा हूं.'

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