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एक हफ्ते की सेक्स चैट में फंस गया ग्रुप कैप्टन, बोला- पता नहीं क्या हो गया था

दिल्ली स्थित वायुसेना मुख्यालय में स्मार्ट फोन ले जाना मना है. कुछ उच्चाधिकारियों को ही स्मार्ट फोन अंदर ले जाने दिया जाता है. आरोपी अरुण मारवाह चूंकि ग्रुप कैप्टन था, इसलिए उस पर स्मार्टफोन मुख्यालय के अंदर ले जाने पर कोई रोक नहीं थी.

आरोपी वायुसेना अधिकारी ने उगले अहम राज (फोटो फेसबुक से) आरोपी वायुसेना अधिकारी ने उगले अहम राज (फोटो फेसबुक से)
चिराग गोठी/आशुतोष कुमार मौर्य
  • नई दिल्ली,
  • 09 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 4:18 PM IST

पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार हुए वायुसेना के अधिकारी ने पूछताछ में कई अहम खुलासे किए हैं. जानकारी के मुताबिक, हनीट्रैप का शिकार हुए आरोपी अफसर IAF में ग्रुप कैप्टन अरुण मारवाह ने डॉक्यूमेंट्स लीक करने की बात कुबूल कर ली है. गौरतलब है कि मारवाह अगले साल रिटायर होने वाले हैं.

वायुसेना मुख्यालय से इस तरह चुराए दस्तावेज

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दिल्ली स्थित वायुसेना मुख्यालय में स्मार्ट फोन ले जाना मना है. कुछ उच्चाधिकारियों को ही स्मार्ट फोन अंदर ले जाने दिया जाता है. आरोपी अरुण मारवाह चूंकि ग्रुप कैप्टन था, इसलिए उस पर स्मार्टफोन मुख्यालय के अंदर ले जाने पर कोई रोक नहीं थी.

मारवाहा ने अपनी वरिष्ठता का इस्तेमाल किया और मुख्यालय के अंदर हमेशा अपना स्मार्ट फोन ले जाता. मारवाह ने अपने स्मार्ट फोन के जरिए ही खुफिया दस्तावेजों की तस्वीरें खींचीं और बाद में व्हाट्सऐप के जरिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के एजेंट को भेजीं.

दिमाग को क्या हो गया था, पता नहीं: मारवाह

आरोपी अफसर मारवाह ने पूछताछ के दौरान हनी ट्रैप का शिकार होने की बात भी स्वीकार कर ली. उसने बताया कि करीब छह महीने पहले उसकी फेसबुक पर दो महिलाओं से दोस्ती हुई और उनसे बातचीत होने लगी.

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बाद में कथित युवती मारवाह से व्हाट्सऐप और अन्य सोशल प्लेटफॉर्म के जरिए चैट करने लगी. दोनों के बीच अश्लील चैट होने लगीं. दोनों एक दूसरे को अश्लील मैसेज भेजते थे. जानकारी के मुताबिक, दोनों के बीच करीब सप्ताह भर से अधिक समय तक सेक्स चैट का यह सिलसिला चला.

मारवाह को ही क्यों फंसाया?

वायुसेना अधिकारियों के मुताबिक, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की भारतीय सैन्य अधिकारियों को इस तरह फंसाने की टैक्टिस बहुत पुरानी है. पहले भी हनी ट्रैप का सहारा लेकर ISI भारतीय सैन्य अधिकारियों को फंसा चुका है.

अरुण मारवाह वायुसेना में ऊंचे पद पर थे और उनके पास कई अहम डिपार्टमेंट और जिम्मेदारियां थीं. साथ ही मारवाह सोशल प्लेटफॉर्म पर काफी एक्टिव रहते थे. वह अक्सर फेसबुक पर अपनी तस्वीरें और वीडियो अपलोड किया करते थे. इसीलिए उन्हें आसान शिकार समझ फंसाया गया.

किरण रंधावा और महिमा पटेल नाम से थे फेक फेसबुक अकाउंट

मारवाह ने बताया कि करीब छह महीने पहले उनकी फेसबुक पर दो महिलाओं से दोस्ती हुई. फेसबुक पर मारवाह ने किरण रंधावा और महिमा पटेल प्रोफाइल नेम वाली महिलाओं से दोस्ती गांठी. लेकिन जांच में पता चला कि दोनों ही फेसबुक अकाउंट फर्जी हैं और दोनों ही फेसबुक अकाउंट कोई एक ही व्यक्ति मैनेज करता है.

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ISI पहले भी कर चुका है हनीट्रैप का इस्तेमाल

मारवाह ने दोनों महिलाओं की फ्रैंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली. इसके बाद उनके बीच शुरुआत में सिर्फ लाइक्स और छोटे-मोटे कमेंट जैसे ही संवाद होते रहे. कुछ समय बीत जाने के बाद दोनों फेक अकाउंट्स से मारवाह को लुभाने वाले मैसेज आने लगे.

मारवाह के पास थीं वायुसेना की यह जिम्मेदारियां

वायुसेना के पैरा डिवीजन में 1983 में शामिल हुए मारवाह तीन साल बाद ट्रेनर बन गए. शुरू से ही उनकी छवि बेहद पेशेवर सैनिक की रही. चूंकि सभी रक्षा सेवाओं की कमांडो इकाइयों को जमीन, समुद्र और हवा में युद्ध करने का प्रशिक्षण दिया जाता है, इसलिए ग्रुप कैप्टन मारवाह सेना के विशेष बलों, वायु सेना की गरुड़ कमांडो और नौसेना को भी प्रशिक्षण देते थे. जेडी (संचालन) के रूप में शामिल होने के बाद उनके पास कई गोपनीय फाइलों की एक्सेस थी. वह कमांडोज को ट्रेन करते थे.

जांच में पैसों के लेनदेन का सुबूत नहीं

अब तक की जांच में सामने आया है कि वायुसेना अधिकारी मारवाह ने वायुसेना के जो अहम दस्तावेज लीक किए हैं, वह पैसों के चक्कर में नहीं बल्कि हनी ट्रैप में फंसकर किए हैं. वह महिला भेष का जिस ISI एजेंट के संपर्क में थे, उससे उनकी सिर्फ टेक्स्ट चैट होती थी.

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मारवाह से अब तक उनका ऑडियो कॉल, वीडियो कॉल या वीआईपी कॉल के जरिए संपर्क नहीं हुआ था. जानकारी के मुताबिक, मारवाह ने सिर्फ टेक्स्ट डॉक्यूमेंट्स लीक की हैं. उसने किसी तरह की वीडियो या अन्य सामग्री लीक नहीं की है.

हालांकि वायुसेना के अधिकारियों का कहना है कि इसकी जानकारी मारवाह के मोबाइल की फोरेंसिक जांच के बाद ही पता चल पाएगी. फेसबुक से मारवाह के फेसबुक आईडी से किए गए सारे चैट्स और डिलीट की गई सामग्रियों की जानकारी भी मांगी गई है.

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