
भारी खर्च से बचने के लिए सरकार हवा में ईंधन भरने के लिए केवल ट्विन इंजन वाले विमान ही खरीदने की योजना बना रही है. यही नहीं, पैसा बचाने के लिए सेकंड हैंड रीफ्यूलिंग जेट भी खरीदे जा सकते हैं.
वायुसेना अपने बेड़े में शामिल रूसी चार इंजन वाले छह इलयुशिन-78 विमान के विकल्प तलाशने की दिशा में आगे बढ़ रही है. यह विमान संचालन में काफी महंगा है. रीफ्यूलिंग जेट में ट्विन इंजन की शर्त का मतलब यह है कि इस सौदे की दौड़ से रूस बाहर हो सकता है. रूस के पास इस श्रेणी का कोई विमान नहीं है.
सरकार ऐसे सेकंड हैंड रीफ्यूलिंग जेट लेने पर भी विचार कर रही है, जिनकी लाइफ कम से कम 40 साल बची हो. इससे सरकारी खजाने के लिए 3,000 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है. एक वरिष्ठ सरकारी सूत्र ने आजतक के सहयोगी प्रकाशन मेल टुडे को बताया, 'मौजूदा चार इंजन की जगह सिर्फ दो इंजन के रखरखाव की जरूरत से वायुसेना और सरकार के लिए आगे चलकर अच्छी बचत हो सकती है.'
नई योजना के तहत भारतीय वायुसेना ऐसे बोइंग 737 या एयरबस 737 विमान खरीद सकती है, जिनको टैंकर प्लेन में बदला जा सके और जो वायुसेना के अभ्यास या ऑपरेशन के दौरान हवा में जेट विमानों में ईंधन भरने के लिए उपयोगी हो सकें. सूत्र ने बताया, 'वायुसेना ऐसे मॉडिफाइड प्लेन स्वीकार करने को तैयार है, जो कि पैसेंजर ऑपरेशन में इस्तेमाल किए गए हों, लेकिन जिनकी लाइफ कम से कम 40 साल बची हो और जिन्हें टैंकर प्लेन में बदलने की पेशकश की गई हो.'
वायुसेना को लगता है कि इस नई योजना से अब यह सौदा 1.5 से 1.7 अरब डॉलर (9,538 से 10,809 करोड़ रुपये) तक में ही निपट जाएगा, जबकि पहले इसके 2 से 2.3 अरब डॉलर (12,717 से 14,625 करोड़ रुपये) तक होने का अनुमान था.
इसके पहले पिछले दो दशक में वायुसेना के लिए ये विमान खरीदने की योजना लागत और अन्य मसलों की वजह से दो बार निरस्त हो चुका है. इस बारे में औपचारिक टेंडर 30 मार्च तक जारी किया जाएगा.