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iChowk: तलाक चीन में तरक्की का टूल हो सकता है, भारत में तो नहीं

क्या तरक्की का रास्ता तलाक से होकर गुजरता है? बाकियों की राय चाहे जो भी हो चीन के विशेषज्ञों का तो यही मानना है. हालांकि, उनकी ये राय सिर्फ महिलाओं के बारे में है.

तलाक कोर्ट तलाक कोर्ट
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 01 जुलाई 2015,
  • अपडेटेड 7:15 PM IST

क्या तरक्की का रास्ता तलाक से होकर गुजरता है? बाकियों की राय चाहे जो भी हो चीन के विशेषज्ञों का तो यही मानना है. हालांकि, उनकी ये राय सिर्फ महिलाओं के बारे में है.

सामाजिक प्रगति का प्रतीक
चीन सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 में 36 लाख से ज्यादा शादियां टूटीं. तलाक की ये दर 2.7 प्रति हजार रही. साल 2013 में ये दर 2.6 प्रति हजार थी. पता चला है कि साल 2003 के बाद से चीन में तलाक की दर काफी बढ़ गई है.

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सैद्धांतिक तौर पर चीन के विशेषज्ञ इसे दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में नारीवाद के उत्थान और महिलाओं की सामाजिक प्रगति का प्रतीक मान रहे है. सेंट्रल चाइना नॉर्मल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पेंग शियाओहुई कहते हैं, "तलाक की बढ़ती दर दिखाती है कि अब ज्यादा महिलाओं ने अपने समानता के अधिकार के लिए आवाज उठाना शुरू कर दिया है. यह सामाजिक प्रगति का प्रतीक है."

शियाओहुई तर्क देते हैं, "समाज तब प्रगति करता है, जब महिलायें शादी के बाहर खुश रह पाती हैं या जब वे अपने बच्चे खुद पालती हैं और उन्हें भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ता."

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