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Idea और Vodafone मर्जर: उन सवालों के जवाब जो आपके मन में हैं

वोडाफोन के सीईओ विटोरियो ने कहा है कि दोनों कंपनियां मजबूत हैं, इसलिए विलय के बाद भी अलग अलग ब्रांड से चलती रहेंगी. यानी ये दोनों मिलकर कोई नई कंपनी नहीं बनाएंगे, बल्कि वोडाफोन और आइडिया के नाम से ही चलेंगे.

कुमार मंगलम बिड़ला और वोडाफोन सीईओ विटोरियो कुमार मंगलम बिड़ला और वोडाफोन सीईओ विटोरियो
Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 20 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST

दुनिया की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में से एक Vodafone ने आज स्वदेशी टेलीकॉम कंपनी आइडिया के साथ अपने विलय का आधिकारिक ऐलान कर दिया है. अब आपके मन में कई सवाल रहे होंगे. जैसे अगर आपके पास वोडाफोन का सिम है तो क्या होगा या फिर आइडिया का सिम है तो क्या होगा? क्या इन दोनों को मिलकर कोई नई कंपनी आ रही है? क्या टैरिफ और सस्ते होंगे? इंटरनेट सस्ता मिलेगा?

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ऐसे ही सवालों का जवाब यहां आसान और सरल शब्दों में जान लीजिए.

चेयरमैन कौन होगा?

इन दोनों कंपनियों के विलय के बाद इसके चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला होंगे जो आदित्य बिड़ला ग्रुप के हेड हैं. जबकि कंपनी का सीएफओ वोडाफोन की तरफ से रखा जाएगा. इसके अलावा सीईओ की नियूक्ति दोनों कंपनियां मिल कर करेंगी.

दोनों कंपनियों ने मर्जर के बाद कोई नई कंपनी आएगी?
वोडाफोन के सीईओ विटोरियो ने कहा है कि दोनों कंपनियां मजबूत हैं, इसलिए विलय के बाद भी अलग अलग ब्रांड से चलती रहेंगी. यानी ये दोनों मिलकर कोई नई कंपनी नहीं बनाएंगे, बल्कि वोडाफोन और आइडिया के नाम से ही चलेंगे.

क्या आज से ही दो कंपनियों एक हो गई हैं?
नहीं, क्योंकि अभी आधिकारिक ऐलान हुआ है लेकिन प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है. आइडिया के बोर्ड से इस डील को हरी झंडी मिल गई है, लेकिन अभी कई अप्रूवल मिलने बाकी हैं. इनमें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, मार्केट रेग्यूलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सजेंज बोर्ड और फोरेन इनवेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड शामिल हैं. 2018 तक प्रक्रिया पूरी होगी जिसके बाद ये दोनों कंपनियां एक हो जाएंगी.

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किसके कितने होंगे शेयर्स?
विलय होने के बाद कंपनी के शेयर्स में 45.1 फीसदी वोडाफोन के पास होगा जबकि 26 फीसदी आइडिया का होगा. इसके अलावा बाकी शेयरहोल्डर्स का होगा.

क्या नंबर-1 बन जाएगी ये कंपनी?
विलय के बाद इस भारत में इस कंपनी के 400 मिलियन कस्टमर्स होंगे और मार्केट शेयर 35 फीसदी का होगा. यानी एयरटेल फिलहाल नंबर-1 टेलीकॉम कंपनी है, लेकिन विलय के बाद एयरटेल दूसरे नंबर पर चली जाएगी. इस कंपनी के पास सबसे ज्यादा मोबाइल यूजर्स तो होंगे ही साथ ही रेवेन्यू के मामले में भी भारती एयरटेल और जियो को माते देते हुए ये नंबर-1 बन जाएगी.

कमाई में भी होगी नंबर-1?
दोनों कंपनियां का सालाना रेवेन्यू 80 हजार करोड़ रुपये का होगा. यानी रेवेन्यू के मामले में यह कंपनी का मार्केट शेयर 41 फीसदी होगा जबकि यूजर्स के मामले में इसके शेयर 35 फीसदी होगा.

क्या एयरटेल और जियो को होगा नुकसान?
रिलायंस जियो भारत में तेजी से पांव पसार रही है, इसलिए दूसरी कपनियों पर दबाव बढ़ना लाजमी है. इस विलय से एयरटेल और जियो को खास नुकसान नहीं होगा, क्योंकि एयरटेल ने पहले ही टेलीनॉर को खरीद लिया है और कंपनी अपने 4G नेटवर्क को बेहतर करने के लिए तीकोना डिजिटल नेटवर्क से स्पेकट्रम खरीद रही है. इस डील की वैल्यू 1500 से 1700 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है. रिलायंस जियो न सिर्फ मोबाइल सर्विस से बल्कि कई दूसरी सर्विसों से भी अपने कस्टमर्स को रोकने की कोशिश करेगा.

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टैरिफ वॉर हो सकते हैंं तेज

इस मर्जर से यूजर्स को आने वाले दिनों में नए प्लान और पैक्स मिल सकते हैं. क्योंकि पहले जियो को टक्कर देने के लिए एयरटेल नए प्लान लॉन्च कर रही थी, लेकिन अब इसके बाद  एयरटेल के साथ आइडिया-वोडा भी नए प्लान और पैक्स के साथ बाजार में होंगी.

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