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यौन उत्पीड़न की शिकार IAS ने FB पर लिखी आपबीती, पोस्ट वायरल

यौन उत्पीड़न की शिकार IAS अफसर रिजू बाफना ने फेसबुक पोस्ट के जरिए अपनी आपबीती सुनाई है और यौन अपराध के मामलों की सुनवाई पर ज्यूडिशियल सिस्टम पर सवाल खड़े किए हैं. मध्य प्रदेश के सिवनी में पोस्टेड बाफना ने बताया है कि अश्लील मैसेज देने के लिए उन्होंने राज्य के मानवाधिकार आयोग के एक अफसर के खिलाफ एफआआईआर भी दर्ज कराई है.

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 अगस्त 2015,
  • अपडेटेड 11:34 PM IST

यौन उत्पीड़न की शिकार IAS अफसर रिजू बाफना ने फेसबुक पोस्ट के जरिए अपनी आपबीती सुनाई है और यौन अपराध के मामलों की सुनवाई पर ज्यूडिशियल सिस्टम पर सवाल खड़े किए हैं. मध्य प्रदेश के सिवनी में पोस्टेड बाफना ने बताया है कि अश्लील मैसेज देने के लिए उन्होंने राज्य के मानवाधिकार आयोग के एक अफसर के खिलाफ एफआआईआर भी दर्ज कराई है.

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मैजिस्ट्रेट कोर्ट का अनुभव 'डरावना और सदमा देने वाला था': बाफना
बाफना ने कहा कि आरोपी अधिकारी को फौरन पद से हटा दिया गया. लेकिन उसके बाद अदालती सुनवाई के दौरान उनके साथ जो हुआ उससे काफी ठेस पहुंची. बाफना ने बताया कि 1 अगस्त को वो मैजिस्ट्रेट कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराने गई थी. लेकिन वहां का अनुभव बेहद 'डरावना और सदमा देने वाला था'. उन्होंने कहा, 'इस अनुभव के बाद मैंने जाना कि आखिर क्यों यौन उत्पीड़न से पीड़ित महिला इसकी शिकायत नहीं करती है.'

हर कदम पर उल्लू बैठे हैं: बाफना
बाफना ने अपने फेसबुक पोस्ट में बताया कि जब वो अपना बयान दर्ज करने पहुंचीं तब वहां कई लोग मौजूद थे. इसलिए उन्होंने कैमरे पर बयान दर्ज किए जाने की अपील की. लेकिन इससे पहले कि मैजिस्ट्रेट उनकी मांग पर अपना आदेश देते वहां मौजूद एक वकील उनपर भड़क गया बाफना ने कहा, 'वकील ने मुझपर चिल्लाते हुए कहा कि मैं अफसर अपने दफ्तर में होंगी लेकिन यह कोर्ट है और वो यहां से नहीं जाएगा.' उन्होंने कहा, 'वो वकील केस का हिस्सा भी नहीं था. फिर भी उसे मेरी निजता से आपत्ति थी. आखिरकार बहस के बाद वो कमरे से बाहर निकल गया.'

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पीड़िता ने बताया कि इस दौरान मैजिस्ट्रेट ने कुछ भी नहीं कह. जज ये भी फैसला नहीं कर पा रहे थे कि मेरी अपील मानी जाए या नहीं. उन्होंने कहा, 'आखिरकार जब मैंने अपना स्टेटमेंट रिकॉर्ड कराया तो मैजिस्ट्रेट ने टिप्पणी कि कि मैं युवा हूं, और यह मेरी पहली पोस्टिंग है इसलिए मैं प्राइवेसी की मांग कर रही हूं. धीरे धीरे मुझे सिस्टम के बारे में सब समझ में आ जाएगा.'

आखिर में पीड़िता ने कहा, 'हर मोड़ पर उल्लू बैठे हैं. हमारी तकलीफों के प्रति लोग बेहद असंवेदनशील हैं. इसलिए अगर आप इस देश में जन्में हैं तो बेहतर होगा कि आप हर कदम पर खुद को संघर्ष के लिए तैयार कर लें.'

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