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चीन ने मसूद अजहर पर बैन में अगर अब डाला अड़ंगा, तो यूं जवाब देगा भारत

चीन को आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और उसके सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध को लेकर इस हफ्ते के आखिर तक अपना रुख साफ करना होगा. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अजहर पर प्रतिबंध के भारत के प्रस्ताव पर चीन का 'टेक्निटकल होल्ड' एक्स्पायर होने जा रहा है. ऐसे में भारत भी चीन के फैसले के इंतजार में है और उसी को देखते हुए अगला कदम उठाएगा.

मसूद अजहर के बहावलपुर स्थित घर के बाहर सुरक्षा में पुलिस वाले तैनात हैं (रॉयटर्स फोटो) मसूद अजहर के बहावलपुर स्थित घर के बाहर सुरक्षा में पुलिस वाले तैनात हैं (रॉयटर्स फोटो)
साद बिन उमर
  • नई दिल्ली,
  • 30 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 11:29 AM IST

चीन को आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और उसके सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध को लेकर इस हफ्ते के आखिर तक अपना रुख साफ करना होगा. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अजहर पर प्रतिबंध के भारत के प्रस्ताव पर चीन का 'टेक्निटकल होल्ड' एक्स्पायर होने जा रहा है. ऐसे में भारत भी चीन के फैसले के इंतजार में है और उसी को देखते हुए अगला कदम उठाएगा.

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पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड है मसूद अजहर
जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मसूद अजहर पंजाब के पठानकोट स्थित एयरफोर्स बेस पर इस साल की शुरुआत में हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड है. भारत ने इस साल 31 मार्च को संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव रखा था, जिसमें चीन ने अड़ंगा लगा दिया. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 देशों के समूह में अकेला चीन ही ऐसा था, जिसने अजहर को आतंकी घोषित किए जाने के फैसले को 'होल्ड' पर रखा था. इस वजह से भारत की जैश-ए-मोहम्मद पर बैन लगाने की योजना भी नाकामयाब हो गई थी. अगर अजहर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकी घोषित कर दिया जाता है, तो उसकी संपत्ति फ्रीज कर दी जाएगा. इतना ही नहीं, उसके यात्रा करने पर भी रोक लगा दी जाएगी.

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चीन के पास हैं दो रास्ते
चीन के पास अभी दो रास्ते हैं : अगर वह भारत के इस प्रस्ताव पर अपने 'होल्ड' को अब आगे नहीं बढ़ाता और इसे निरस्त होने देता है, तो अजहर अपनेआप आतंकी घोषित हो जाएगा और इसके साथ ही जैश-ए-मोहम्मद भी प्रतिबंधित आंतकी संगठनों की सूचि में शामिल हो जाएगा. वहीं दूसरी ओर चीन अगर अपने 'होल्ड' को 'ब्लॉक' में बदल देता है, अजहर पर प्रतिबंध की भारत की कोशिशों पर विराम लग जाएगा. इससे पाकिस्तान को हर हाल में समर्थन देने की चीन की मंशा साफ हो जाएगी, भले ही उसे इसके लिए आतंकी सरगनाओं की ही वह साथ देता क्यों न दिखे.

इस साल 5 नवंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल और चीन के रक्षा सलाहकार यांग जिएची के बीच हुई बैठक में चीन ने यह साफ कर दिया था कि वह मसूद अजहर पर अपना फैसले बदलने वाला नहीं है. हालांकि विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया था कि दोनों देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते आतंकवाद को लेकर गंभीर हैं.

चीन को आतंकियों का मदद बताएगा भारत
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया कि भारत ने चीन के फैसले के बाद के बाद लिए जाने वाले कई कदम पहले से ही तय कर रखे हैं. भारत मसूद अजहर के भाई अब्दुल रऊफ असगर के साथ लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के कुछ दूसरे आतंकियों पर बैन लगाने का प्रस्ताव रख सकता है. एनआईए ने मसूद अजहर को पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड बताया था जिसके बाद से भारत ने अपनी कवायदें और तेज कर दी थीं.

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अगर चीन मसूद अजहर और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों पर अपना रुख साफ नहीं करता है तो यह इसकी छवि के लिए खतरनाक होगा. चीन ने अभी हाल ही में कहा था कि आतंकवाद से लड़ने के लिए दोहरा रवैया नहीं अपनाया जाना चाहिए और न ही इसके नाम पर राजनीतिक फायदा उठाया जाना चाहिए. हालांकि अब अगर चीन मसूद अजहर के खिलाफ नहीं जाता है, तो वह अपनी ही बातों से मुकर रहा होगा. सूत्रों ने बताया कि भारत चीन को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए तैयार करने के मकसद से पीआर गतिविधियां बढ़ाएगा.

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