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व्यंग्य: अगर मोदी ईश्वर का गिफ्ट हैं तो उनकी टीम क्या है?

संसदीय मामलों के मंत्री वेंकैया नायडू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'ईश्वर का गिफ्ट' और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को 'राष्ट्र की पूंजी' बताया है. वेंकैया ने मुक्त कंठ से दोनों को जो विशेषण दिए हैं, उसकी कई व्याख्याएं की जा सकती हैं.

PM Narendra Modi Cabinet PM Narendra Modi Cabinet
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 अगस्त 2015,
  • अपडेटेड 7:22 PM IST

संसदीय मामलों के मंत्री वेंकैया नायडू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'ईश्वर का गिफ्ट' और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को 'राष्ट्र की पूंजी' बताया है. वेंकैया ने मुक्त कंठ से दोनों को जो विशेषण दिए हैं, उसकी कई व्याख्याएं की जा सकती हैं.

प्रशंसा के ये 'दो शब्द' केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू के हैं. अगर मोदी ईश्वर का गिफ्ट हैं और सुषमा राष्ट्र की पूंजी हैं, तो बीजेपी के अन्य वरिष्ठ नेता क्या हैं? हमने सोचने की कोशिश की है. भूल चूक क्षमा करेंगे.

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1. प्रधानमंत्री मोदी: ईश्वर का उपहार (वेंकैया नायडू के शब्दों में)
नायडू जी ने कह ही दिया है तो हम क्या कहें. बस चापलूसी के इस हुनर पर लट्टू होने का मन करता है.

2. सुषमा स्वराज: राष्ट्रीय पूंजी (वेंकैया नायडू के शब्दों में)
विकास की कुंजी..राष्ट्रीय पूंजी. हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज. तनावग्रस्त देशों में अगवा किए गए भारतीयों को रिहा कराने में उनका कोई सानी नहीं है.

3. लाल कृष्ण आडवाणी: राष्ट्रीय मार्गदर्शक
आडवाणी देश के बड़े मार्गदर्शक हैं. इतने बड़े कि उनकी अगुवाई में पूरा मार्गदर्शक मंडल बनाना पड़ा है. कोई भी प्रवक्ता आपको बता देगा कि मौजूदा सरकार उनके मार्गदर्शन में काम कर रही है और देश भी उन्हीं के मार्गदर्शन में आगे बढ़ रहा है. यह बात दीगर है कि बड़ी बैठकों में अब वह नजर नहीं आते, पर सालाना सम्मेलनों में उनका रुतबा आज भी है. उन्हें देखकर गांव के वे बुजुर्ग याद आते हैं जो चारपाई पर बैठे-बैठे अपने आंगन से ही हर आने-जाने वाले को दो-चार जरूरी मशविरे दे दिया करते हैं, इस बात से निरपेक्ष होकर कि सामने वाला उन्हें ग्रहण कर रहा है या नहीं.

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4. अमित शाह: फ्री गिफ्ट
स्कीम का जमाना है, गिफ्ट के साथ गिफ्ट फ्री आता है. प्रधानमंत्री अगर ईश्वर का गिफ्ट हैं तो अमित शाह उसके साथ मिला फ्री गिफ्ट. राष्ट्रीय फैसले आज कल यही दो 'गिफ्ट' मिलकर ले रहे हैं.

5. राजनाथ सिंह: राष्ट्रीय सेनापति
राजा है तो सेना है और सेना है तो सेनापति है. तीखा, तल्ख और तेज-तर्रार. 'हमले बर्दाश्त नहीं हैं' और 'चुनौती स्वीकार है' जैसे बयान हाथ घुमा-घुमाकर देने में सक्षम है. हालांकि हल्ला है कि राजा और सेनापति में आज कल छन नहीं रही है.

6. अरुण जेटली: राष्ट्रीय चिंतक
देश की किसी भी समस्या पर गंभीरता और बौद्धिकता से बोलने में सक्षम. सामान्य बयानों को भी लच्छेदार भाषा में सामने रख सकते हैं. बड़े मामलों के प्रेस कॉन्फ्रेंस विशेषज्ञ भी हैं.

7. नितिन गडकरी: राष्ट्रीय बागवानी प्रेमी
गडकरी के पास यूं तो सड़क मंत्रालय है, लेकिन सड़क के इर्द-गिर्द उगने वाली वनस्पति पर भी वह प्रेम लुटाया करते हैं. इसीलिए उन्होंने बागवानी की यूरिया पद्धति ईजाद की है जो आगे चलकर हम भारतीयों को कृषि के स्तर पर आत्मनिर्भर बनाएगी. विजन 2050 यू नो.

8. मनोहर पर्रिकर: द ट्रबलशूटर
लगता है कि ये आदमी आने वाले 5 साल में बोलेगा कम और करेगा ज्यादा. हालांकि अभी तक इसका ठोस प्रमाण तो नहीं मिला है. लेकिन लगता है कि तरीके से ज्यादा उनका जोर नतीजे पर रहता है. कांटे से कांटा निकालने वाला बयान याद कीजिए.

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9. सुरेश प्रभु: चेतक
प्रधानमंत्री के चहेते और भरोसेमंद हैं प्रभु और कई मायनों में उनके 'चेतक' की तरह हैं. जो तनिक हवा से बाग हिली लेकर सवार उड़ जाता था, पीएम की पुतली फिरी नहीं तब तक चेतक मुड़ जाता था.

10. शत्रुघ्न सिन्हा:राष्ट्रीय घुड़की प्रमुख
अगर आपने श्रीलाल शुक्ल की 'राग दरबारी' पढ़ी हो तो उसमें एक छोटे पहलवान थे. वे बार-बार अपने बाप कुसहर प्रसाद को लाठी से मारने की धमकी दिया करते थे और हफ्ते-दो हफ्ते में एकाध लाठी टिका भी देते थे. बाप-बेटे में उठापटक चलती रहती थी लेकिन 'कोरट' में दोनों एक हो जाया करते थे. लगता है कि बॉलीवुड का 'छेनू' भी इसी भूमिका में बीजेपी के साथ है. बयानों से बगावत की बू आती है, लेकिन दिल में अब भी कमल बसा है.

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