
भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में मलयाली फिल्म 'एस दुर्गा' की स्क्रीनिंग रोके जाने के बाद शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब आईएफएफआई ने फिल्म देखने के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को भेजी है.
आईएफएफआई के चेयरपर्सन राहुल रावैल ने बताया, हम फिल्म 'एस दुर्गा' देख चुके हैं. ज्यूरी ने अपनी रिपोर्ट सूचना प्रसारण मंत्रालय को भेज दी है. वह अब इस पर फैसला लेगा कि फिल्म की स्क्रीनिंग होगी या नहीं.'
मंत्रालय ने जूरी को बिना बताए IFFI से हटाई एस दुर्गा और न्यूड, चीफ का इस्तीफा
बता दें कि इससे पहले केरल हाई कोर्ट ने गोवा में चल रहे भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में मलयाली फिल्म 'एस दुर्गा' को दिखाए जानें के आदेश दे दिए थे. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कुछ दिन पहले फिल्म को इस महोत्सव में प्रदर्शित की जाने वाली फिल्मों की सूची से हटा दिया था.
फिल्म के निर्देशक सनल कुमार शशिधरन ने हाई कोर्ट के इस फैसले की तारीफ करते हुए कहा था कि अदालत का आदेश 'सिनेमा और लोकतंत्र' की जीत है. अदालत के इस फैसले का भारतीय पैनोरामा के कई ज्यूरी सदस्यों और केरल फिल्म इंडस्ट्री ने स्वागत किया है.
गोवा फिल्म फेस्टिवल में इसलिए नहीं दिखाई गई 'न्यूड' और 'एस दुर्गा'
जज बी विनोद चंद्रन ने निर्देशक सनल कुमार शशिधरन की याचिका स्वीकार करते हुए मंत्रालय को फिल्म को भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 48वें संस्करण में प्रदर्शित करने का निर्देश दिए थे. अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि फिल्म की प्रमाणित प्रति सोमवार से शुरू हुए महोत्सव में प्रदर्शित की जा सकती है.
धार्मिक भावनाएं भड़कने के डर से यहां 'नामंजूर' हुई फिल्म, निर्देशक ने कहा- भारत ईरान जैसा
सूत्रों के मुताबिक, S Durga फिल्म का नाम अब बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ताक्योंकि जूरी के पास जब फिल्म भेजी गयी थी तब उसका नाम Sexy Durga ही था. मंत्रालय ने इस फिल्म को मुंबई फिल्म फेस्टिवल में नहीं दिखाए जाने के बारे में फिल्म महोत्सव की डायरेक्टर अनुपमा चोपड़ा को 19 सितंबर को चिठ्टी लिखी थी. उसमें कहा गया है कि दुर्गा हिन्दुओं की एक प्रमुख देवी का नाम है और मंत्रालय का मानना है कि अगर इस फिल्म को फिल्म फेस्टिवल में दिखाए जाने की अनुमति दी जाती है तो इससे लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचेगी. वहीं कानून व्यवस्था को लेकर समस्या पैदा हो सकती है.