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IIT Madras के प्रोफेसर ने HC से कहा, ट्रेस हो सकते हैं WhatsApp मैसेज

WhatsApp और Facebook मैसेंजर के मैसेज ट्रेस किए जा सकते हैं. आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर ने हाई कोर्ट में ये बातें एक सुनवाई के दौरान कही है. 

Representational Image (aajtak.in) Representational Image (aajtak.in)
Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 4:30 PM IST

WhatsApp एंड टु एंड एन्क्रिप्शन पर काम करता है. यानी इसके द्वारा की गई बातचीत (चैट्स) न तो ये कंपनी पढ़ सकती है और न ही कोई थर्ड पर्सन या एजेंसी. इसे ट्रेस भी नहीं किया जा सकता है. लेकिन आईआईटी मद्रास के एक प्रोफेसर ने दावा किया है कि WhatsApp और Facebook के मैसेज का ऑरिजिन ट्रेस कर पाना मुमकिन है.

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गौरतलब है कि भारत सरकार WhatsApp से लगातार ये कहती आई है कि कंपनी एक टूल बना कर दे जिससे WhatsApp में सेंडर को ट्रेस किया जा सके. इसका मकसद फेक न्यूज और अफवाह रोकना है. लेकिन WhatsApp ने ये साफ कहा है कि ऐसा संभव नहीं है और अगर ऐसा होता है तो WhatsApp जिस खूबी के लिए जाना जाता है वो ही खत्म हो जाएगा.

आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर ने मद्रास हाई कोर्ट को बताया है कि फेसबुक और वॉट्सऐप पर भेजे गए मैसेज के ऑरिजनल सेंडर को ट्रेस कर पाना टेक्निकली संभव है. न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रोफेसर V Kamakoti ने जस्टिस एस. मणिकुमार और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद एक पीआईएल की सुनवाई कर रहे हैं. इसमें सोशल मीडिया से आधार कार्ड लिंक करने की बात है, ताकि साइबर क्राइम में आरोपी की पहचान की जा सके.

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प्रोफेसर Kamakoti ने कहा है कि वॉट्सऐप और फेसबुक मैसेज में आईडेंटिफिकेशन टैग लगाए जा सकते हैं ताकि इनका ऑरिजन पता किया जा सके. चूंकि मैसेंजर और वॉट्सऐप के चैट्स एन्क्रिप्टेड होते हैं, इसलिए कंपनियां ऐसा करना असंभव बताती हैं. 

बेंच ने प्रोफेसर और उनकी टीम को अपने व्यू 31 जुलाई तक फाइल करने को कहा है ताकि इसे सोशल मीडिया कंपनियों को दिया जा सके और इस मैटर पर उनका रिएक्शन जाना जा सके.  

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