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डूब गया ये शैडो बैंक तो टूट जाएगा SBI और LIC का रूरल कनेक्ट

रिजर्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के खिलाफ सख्ती बरती है. जानकारों का मानना है कि ऐसे समय में ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवा कंपनी देश में छोटी वित्तीय सेवा कंपनियों को खत्म कर देंगी...

शैडो बैंकिंग पर खतरा शैडो बैंकिंग पर खतरा
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 28 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 6:45 PM IST

बैंकिंग सेक्टर में एनपीए की समस्या के लिए जिम्मेदार कुछ वित्तीय कंपनियों (शैडो बैंकिंग) के डूबने का खतरा पैदा हो गया है. इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंस सर्विसेज (आईएलएंडएफएस- IL&FS) देश में शैडो बैंकिंग की बड़ी कंपनी है और देश के कई दिग्गज बैंकों का 91,000 करोड़ रुपये कंपनी पर बकाया है.

बैंकिंग इंडस्ट्री के जानकारों का दावा है कि रिजर्व बैंक देश में लगभग 1,500 (शैडो बैंक) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लाइसेंस निरस्त कर सकती है. इन शैडो बैंक्स के पास पर्याप्त मात्रा में कैपिटल मौजूद नहीं है. इसके अलावा रिजर्व बैंक देश में शैडो बैंकिंग का नया लाइसेंस लेने की प्रक्रिया को कठिन करना चाह रही है.

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गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों में रिजर्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के खिलाफ सख्ती बरती है. जानकारों का मानना है कि ऐसे समय में ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवा कंपनी देश में छोटी वित्तीय सेवा कंपनियों को खत्म कर देंगी.

जानकारों का यह भी मानना है कि शैडो बैंकिंग क्षेत्र में जारी समस्या के चलते देश में ग्रामीण इलाकों में छोटा कर्ज लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. गौरतलब है कि देश की 130 करोड़ की आबादी का लगभग दो-तिहाई हिस्सा ग्रामीण इलाकों में है.

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देश के शैडो बैंकिंग सेक्टर में 11,400 से अधिक कंपनियां हैं और इनका कुल कारोबार 22 ट्रिलियन रुपये (304 बिलियन डॉलर) से अधिक है. इन वित्तीय कंपनियों पर सरकार और बैंकिंग रेगुलेटर की निगरानी कम रहती है.

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वहीं बीते कुछ वर्षों के दौरान बैंकिंग सेक्टर के एनपीए के चलते जहां बैंकों द्वारा नया कर्ज देने का काम धीमा पड़ा था, शैडो बैंकों को लगातार नए ग्राहक मिल रहे थे. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक शैडो बैंकों के नए कर्ज देने की रफ्तार बैंकों के नए कर्ज से लगभग दोगुनी है, जिसके चलते इनकी क्रेडिट रेटिंग में अच्छा इजाफा देखने को मिला है.

आईएलएंडएफएस (IL&FS) के चलते देश की शैडो बैंकिंग पर बीते कुछ दिनों से खतरा मंडरा रहा है. बीते कुछ महीनों के दौरान कंपनी की क्रेडिट रेटिंग में लगातार गिरावट दर्ज हुई है. वहीं माना जा रहा है कि IL&FS और अन्य शैडो बैंकों ने बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को कर्ज देने का काम किया है जिनके पास कर्ज लौटने की क्षमता नहीं है.

वहीं शैडो बैंकों का इस्तेमाल मनीलॉन्डरिंग के लिए किए जाने से भी पूरे सेक्टर पर सवाल खड़ा हो रहा है. IL&FS की वार्षिक रिपोर्ट 2018 को देखने से पता चलता है कि कंपनी ने अपने शेयर होल्डर्स को अच्छा रिटर्न देने के लिए वास्तव में कर्ज लेने का काम किया.

आर्थिक जानकारों का यह भी कहना है कि शैडो बैंकिंग क्षेत्र में बड़ा उलटफेर निजी खपत पर ब्रेक लगाने का काम कर सकता है जिससे देश में विकास दर पर विपरीत असर पड़ने का खतरा पैदा हो सकता है. जहां बैंकिंग क्षेत्र के कुछ जानकार दावा कर रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में शैडो बैंकों का एनपीए अमेरिका के कुख्यात वित्तीय संकट ‘लेहमन क्राइसिस’ जैसा हो सकता हालांकि कुछ आर्थिक जानकार कह रहे हैं कि यह समस्या इतनी गंभीर नहीं है.

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हालांकि केन्द्र सरकार साफ कर चुकी है कि शैडों बैंकों को डूबने नहीं दिया जाएगा. इन्हें बचाने की कवायद की जा रही है. एलआईसी और एसबीआई जैसे शेयरहोल्डर बैंक्स ने इन कंपनियों को रीपेमेंट के लिए पर्याप्त धन देने की बात कही है.

रिजर्व बैंक कर्ज में फंसी कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंस सर्विसेज (आईएलएंडएफएस- IL&FS) के हालात में सुधार की योजना पर चर्चा के लिए उसके बड़े शेयरधारकों से मुलाकात करने जा रही है.

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केंद्रीय बैंक के सूत्रों ने इसकी जानकारी दी. इस बैठक में क्रमश: 25.34 प्रतिशत एवं 23.54 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी- LIC) और जापान के ओरिक्स कॉरपोरेशन (ORIX) के भाग लेने का अनुमान है. हालांकि, दो सार्वजनिक बैंकों समेत एचडीएफसी को अल्पांश हिस्सेदारी के कारण बैठक में नहीं बुलाया गया है.

एक शेयरधारक ने कहा, ‘‘शुक्रवार की बैठक रद्द कर दी गयी है क्योंकि रिजर्व बैंक उठाये गये कदमों और कंपनी की रूपरेखा की जानकारी चाहता है.’’इस बीच आईएलएंडएफएस की वार्षिक आम बैठक भी हो रही है. कंपनी के ऊपर 91,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज बकाया है.

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