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केंद्र की रिपोर्ट: बीजेपी शासित 3 बड़े राज्यों में जबरदस्त अवैध खनन

देश में माइनिंग के लिए प्रमुख 10 राज्यों की सूचि में शीर्ष पर शुमार इन तीनों राज्य में अवैध खनन का यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2013-14 से लेकर 2016-17 तक का है. आंकड़ों के मुताबिक 2013-14 के दौरान मध्यप्रदेश में  अवैध खनन के 6,725 मामले पकड़े गए. वहीं 2016-17 करे दौरान कुल 13,880 मामले दर्ज किए गए.

अवैध खनन पर लगाम लगाने की तैयारी? अवैध खनन पर लगाम लगाने की तैयारी?
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 21 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 2:07 PM IST

केन्द्र सरकार के आंकड़ो के मुताबिक मोदी सरकार के कार्यकाल में भारतीय जनता पार्टी द्वारा शासित तीन अहम राज्यों में अवैध खनन की घटनाओं में सौ गुना तक इजाफा दर्ज हुआ है. केन्द्रीय खनन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों में मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान में गैरकानूनी माइनिंग की घटनाओं में क्रमश: 106, 53 और 34 फीसदी इजाफा दर्ज हुआ है.

देश में माइनिंग के लिए प्रमुख 10 राज्यों की सूचि में शीर्ष पर शुमार इन तीनों राज्य में अवैध खनन का यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2013-14 से लेकर 2016-17 तक का है. आंकड़ों के मुताबिक 2013-14 के दौरान मध्यप्रदेश में  अवैध खनन के 6,725 मामले पकड़े गए. वहीं 2016-17 करे दौरान कुल 13,880 मामले दर्ज किए गए.

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बीजेपी शासित गुजरात में जहां 2013-14 के दौरान 5,447 अवैध खनन के मामले सामने आए वहीं 2016-17 में यह बढ़कर 8,325 तक पहुंच गया. वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी शासित राजस्थान है जहां 2013-14 में 2,953 मामलों से बढ़कर 2016-17 में अवैध खनन के 3,945 मामले हो गए.

हालांकि माइनिंग के क्षेत्र में कुछ राज्यों के आंकड़े बेहतर भी हुए हैं. माइनिंग के प्रमुख राज्यों में शामिल झारखंड ने अवैध खनन के मामलों में लगभग 23 फीसदी की गिरावट दर्ज की है. वहीं तमिलनाडु में बीते चार साल के दौरान अवैध खनन के मामले में बड़ी गिरावट दर्ज हुई है. जहां चार साल पहले तमिलनाडु में 1.078 अवैध खनन के मामले सामने आए वहीं 2016-17 के दौरान राज्य में महज 56 मामलों सामने आए.

केन्द्रीय खनन मंत्रालय की इस रिपोर्ट में शामिल प्रमुख माइनिंग वाले राज्यों में इनके अलावा आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा और तेलंगाना भी शामिल है. इन चार सालों के दौरान तमिलनाडु में अवैध खनन के कुल 10,734 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है. इन मामलों से राज्य को 122.85 करोड़ रुपये की कमाई बतौर जुर्माने के तौर पर हुई है. वहीं मध्यप्रदेश ने इस दौरान दर्ज मामलों में जुर्माने से लगभग 1,132 करोड़ रुपये वसूले हैं. लिहाजा, अवैध खनन के मामलों में शीर्ष पर रहने के साथ-साथ मध्यप्रदेश ने अवैध खनन से जुर्माना बटोरने की सूचि में भी शीर्ष जगह बनाई है.

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केन्द्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक बीते चार साल के दौरान आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र ने क्रमश: 143 करोड़, 33 करोड़, 157 करोड़, 112 करोड़ और 282 करोड़ रुपये बतौर जुर्माना वसूला है.

गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने देश में बढ़ते अवैध खनन पर लगाम लगाने के लिए माइनिंग के क्षेत्र में सभी प्रमुख राज्यों के आंकड़ों का संकलन किया है. इस रिपोर्ट के आधार पर केन्द्र सरकार ने अवैध खनन पर लगाम लगाने के लिए खास स्ट्रैटेजी तैयार की है.

अवैध खनन पर लगाम के लिए तीन अहम पहल

पहला, माइनिंग के प्रमुख राज्यों के राज्य अथवा जिला स्तर पर टास्क फोर्स का गठन करना है. इस टास्क फोर्स में इंडियन ब्यूरो ऑफ माइन्स के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.

दूसरा, केन्द्र सरकार माइनिंग के अहम राज्यों से एमएमडीआरए एक्ट 1957 के सेक्शन 23सी के तहत माइनिंग पर लगाम लगाने के लिए कानून बनाने के लिए कहेगी. गौरतलब है कि माइनिंग पर लगाम लगाने के जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है.

तीसरा, माइनिंग क्षेत्र के प्रमुख राज्य को तिमाही आधार पर अवैध माइनिंग के आंकड़ों को केन्द्र सरकार से साझा करना होगा जिससे अवैध खनन को रोकने में केन्द्र सरकार भी अहम कदम उठा सके.

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