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कमजोर पड़ गई मॉनसून की रफ्तार, गर्मी से राहत के लिए बढ़ा इंतजार

मौसम विभाग की जानकारी के मुताबिक 28 मई से लेकर 15 जून तक मानसून की रफ्तार तेज रही है. लेकिन 15 जून के बाद से मानसून की रफ्तार में सुस्ती देखने को मिल रही है. मौसम विभाग के आंकलन के मुताबिक ओडिशा और उत्तर-पूर्व के कुछ हिस्सों में 23-24 जून से अच्छी बारिश देखने को मिलेगी.

सुस्त पड़ गई मॉनसून की रफ्तार सुस्त पड़ गई मॉनसून की रफ्तार
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 18 जून 2018,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

भारत के तटों पर समय से पहले दस्तक देने वाले दक्षिण-पश्चिम मानसून से उत्तर भारत में राहत के लिए अभी लंबा इंतजार करना होगा. मौसम विभाग का ताजा अनुमान है कि देश में बारिश के लिए प्रमुख दक्षिण-पश्चिम मानसून की रफ्तार कमजोर पड़ गई है. मानसून की रफ्तार में दर्ज हुई कमजोरी के चलते अब उत्तर भारत में गर्मी से राहत के लिए इंतजार करना पड़ेगा.

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हालांकि मौसम विभाग ने दावा किया है कि अगले 5-6 दिनों में एक बार फिर मानसून की रफ्तार में तेजी की संभावना दिखाई दे रही है. लिहाजा, जहां देश के दक्षिणी छोर में तेज बारिश और उत्तर पूर्व समेत पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में तेज बारिश के साथ हिमाचल, हरियाणा, चंदीगढ़ और दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में आंधी-तूफान के साथ छिटपुट बारिश देखने को मिलेगी.

मौसम विभाग की जानकारी के मुताबिक 28 मई से लेकर 15 जून तक मानसून की रफ्तार तेज रही है. लेकिन 15 जून के बाद से मानसून की रफ्तार में सुस्ती देखने को मिल रही है. मौसम विभाग के आंकलन के मुताबिक ओडिशा और उत्तर-पूर्व के कुछ हिस्सों में 23-24 जून से अच्छी बारिश देखने को मिलेगी. वहीं आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक समेत दक्षिणी प्रायद्वीप के हिस्सों में 26 जून से अच्छी बारिश के आसार हैं.

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गौरतलब है कि देश में 70 फीसदी बारिश के लिए जिम्मेदार दक्षिण-पश्चिम मानसून ने इस साल इंतजार नहीं कराया था और समय से 3 दिन पहले दक्षिणी छोर पर केरल के तटों पर दस्तक दे दी थी. मौसम विभाग ने पिछले महीने 16 अप्रैल को अनुमान जताया कि इस साल मानसून निराश नहीं करेगा और लगातार चार महीने तक देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अच्छी बारिश देखने को मिलेगी.

मौसम विभाग का अनुमान है कि सामान्य मानसून और समय से पहले आया मानसून इस साल खरीफ फसल के लिए वरदान साबित होगा और इसके साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का काम करेगा. गौरतलब है कि यह दक्षिण-पश्चिम मानसून देश की 2.5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए बारिश के तौर पर रक्तसंचार का काम करता है.

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कृषि क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि मौजूदा स्थिति में मानसून के कमजोर पड़ने का सीधा असर कई राज्यों में खरीफ बुआई पर पड़ेगा. कृषि विभाग के मुताबिक मानसून के कमजोर पड़ने से जहा उत्तर भारत में गर्मी से राहत का इंतजार लंबा हो गया है वहीं इन क्षेत्रों में किसानों को भी खरीफ बुआई के लिए इंतजार करना पड़ेगा. मौसम विभाग के मुताबिक मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश के उन इलाकों में खरीफ बुआई देरी के साथ शुरू होगी जहां बारिश पर निर्भरता अधिक है.

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