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'सामूहिक प्रयास से कम होगा सूखे का प्रभाव'

महाराष्ट्र का मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्र इस समय सदी के सबसे बड़े सूखे से जूझ रहा है. एक तरफ जहां सभी जलस्रोत सूख चुके हैं, वहीं दूसरी तरफ लोगों के पास पीने का पानी तक नहीं है. ऐसे में तीन युवा इंजीनियरों के छोटे से प्रयास की वजह से लोगों के बीच बड़ी उम्मीद जगी है. इन इंजीनियरों ने महाराष्ट्र ट्रक और लारी एसोसिएशन के साथ मिलकर सूखाग्रस्त इलाकों में पानी भेजने का बीड़ा उठाया है.

सदी का सबसे बड़ा सूखा सदी का सबसे बड़ा सूखा
मुकेश कुमार
  • नादेड़,
  • 13 जून 2016,
  • अपडेटेड 7:39 PM IST

महाराष्ट्र का मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्र इस समय सदी के सबसे बड़े सूखे से जूझ रहा है. एक तरफ जहां सभी जलस्रोत सूख चुके हैं, वहीं दूसरी तरफ लोगों के पास पीने का पानी तक नहीं है. ऐसे में तीन युवा इंजीनियरों के छोटे से प्रयास की वजह से लोगों के बीच बड़ी उम्मीद जगी है. इन इंजीनियरों ने महाराष्ट्र ट्रक और लारी एसोसिएशन के साथ मिलकर सूखाग्रस्त इलाकों में पानी भेजने का बीड़ा उठाया है.

जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार के सौजन्य से ट्रक और लारी एसोसिएशन (MLTOA) और इम्पैक्ट गुरू ने साथ मिलकर एक संगठन बनाया है, जो प्रतिदिन 25 हजार लीटर क्षमता वाले 20 टैंकर में पानी लेकर सूखाग्रस्त इलाकों में जा रहा है. लोगों को पीने का पानी मुहैया करा रहा है. MLTOA के सचिव सतनाम सिंह ने बताया कि अभी तक इस संगठन ने 2 करोड़ लीटर पानी सूखाग्रस्त इलाके में पहुंचा चुका है.

इस संगठन में सहयोग कर रहे रक्षा मंत्रालय में प्रबंधक आदित्य रंजन ने बताया कि हमारा यह प्रयास तब तक जारी रहेगा, जब तक इस इलाके में मानसून नहीं आ जाता. हमारा अभियान जिला कलेक्टर के नेतृत्व में चल रहा है. हम उनको जरूरत के हिसाब से परिवहन का खर्च मुहैया करा रहे हैं. एक टैंकर 200 घरों के एक सप्ताह की पानी की जरूरत को पूरा करता है. एक टैंकर के प्रति चक्कर का खर्च करीब चार हजार आता है.

इम्पैक्ट गुरू के फाउंडर पीयुष जैन ने बताया कि इंटरनेट के इस युग में जरूरतमंदों की मदद अब और आसान हो गई है. बस एक क्लिक के जरिए लोगों की मदद की जा सकती है. महाराष्ट्र में करीब 90 लाख किसान सूखे की चपेट में हैं. हम सामूहिक प्रयासों के माध्यम से सूखे के प्रभाव को कम कर सकते हैं. इसके लिए हम एक अभियान भी चला रहे हैं. इसमें अधिक से अधिक लोगों को जुड़कर सूखा प्रभावित लोगों की मदद करनी चाहिए.

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