
गुजरात हाई कोर्ट के एक जज के खिलाफ शुक्रवार को राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया. 58 सांसदों ने जज को हटाने के लिए औपचारिक महाभियोग प्रस्ताव के लिए नोटिस पेश किया. सांसदों ने जज की आरक्षण के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर यह नोटिस दिया.
कब क्या कहा था जज ने
जज ने पटेल समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हार्दिक पटेल के केस की सुनवाई के दौरान कहा था, 'यदि कोई मुझसे पूछे कि देश को कौनसी दो चीजों ने बर्बाद किया है तो मैं कहूंगा आरक्षण और भ्रष्टाचार.' जज ने यह टिप्पणी अपने फैसले के पैरा नंबर 62 में की है.
इन सांसदों ने सौंपा नोटिस
मामले में कांग्रेस के ऑस्कर फर्नांडीज, सीपीआई नेता डी राजा, जेडीयू महासचिव केसी त्यागी सहित 58 सांसदों ने जज को हटाने के लिए महाभियोग के नोटिस पर हस्ताक्षर किए और राज्यसभा अध्यक्ष को सौंप दिया.
शर्मनाक भी बताया था जज ने
जज ने यह टिप्पणी करते हुए कहा था कि 'यह देश के किसी भी नागरिक के लिए बेहद शर्मनाक है कि वह आजादी के 65 साल बाद भी आरक्षण मांगता है. संविधान जब बनाया गया था तो कहा गया था कि आरक्षण की व्यवस्था सिर्फ 10 साल के लिए की गई है. लेकिन दुर्भाग्य से यह 65 साल बाद भी लागू है.'
क्या है मामला
हार्दिक पटेल के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज है. मामले में अहमदाबाद पुलिस ने एफआईआर दाखिल की है. लेकिन नवंबर में हार्दिक ने हाई कोर्ट में अपील कर इस एफआईआर को खारिज करने की मांग की थी. हार्दिक ने याचिका में कहा था कि आरक्षण के लिए आंदोलन न तो देशद्रोह है और न ही सरकार के खिलाफ युद्ध. जबकि पुलिस का कहना था कि एफआईआर इंटरसेप्ट की गई उन फोन कॉल्स पर आधारित है, जिनमें आंदोलन की रणनीति बनाई गई थी.