Advertisement

तभी तो बेहद शुभ व मंगलकारी है अक्षय तृतीया

हमारे धर्मशास्त्रों में अक्षय तृतीया के महत्व पर बहुत सारी बातें बताई गई हैं. अक्षय तृतीया को ऐसा मुहूर्त बताया गया है, जिसमें किसी भी शुभ काम की शुरुआत की जा सकती है. इस दिन श्रद्धा के साथ पूजा-उपासना करने और दान-पुण्य करने का विधान है.

Symbolic Image Symbolic Image
अमरेश सौरभ
  • नई दिल्ली,
  • 19 अप्रैल 2015,
  • अपडेटेड 8:26 PM IST

हमारे धर्मशास्त्रों में अक्षय तृतीया के महत्व पर बहुत सारी बातें बताई गई हैं. अक्षय तृतीया को ऐसा मुहूर्त बताया गया है, जिसमें किसी भी शुभ काम की शुरुआत की जा सकती है. इस दिन श्रद्धा के साथ पूजा-उपासना करने और दान-पुण्य करने का विधान है. 21 अप्रैल को है अक्षय तृतीया

ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया अनंत फलदायक होती है. 'अक्षय' का मतलब होता है, जिसका कभी क्षय न हो. इसके हिसाब से इस तृतीया को किए गए सारे काम शुभ फल देने वाले होते हैं. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है.

Advertisement

माना जाता है कि इस दिन जिन जोड़ों का विवाह होता है, उनका सौभाग्य अखंड रहता है. धन-संपत्त‍ि से जुड़े बड़े काम भी इस दिन किए जाते हैं. लक्ष्मी की प्राप्ति‍ के लिए भी विशेष अनुष्ठान करने का चलन है.

पुराणों के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन ही सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था. भगवान विष्णु के 24 अवतारों में भगवान परशुराम अक्षय तृतीया के दिन ही धरती पर आए.

इस दिन लक्ष्मीनारायण की पूजा सफेद और पीले फूलों से करने पर हर मनोकामना पूरी होती है. लोग भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की भी पूजा करते हैं. महिलाएं इस दिन शिव मंदिर जाकर गले में लाल धागा और माथे पर सिंदूर लगाकर पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं.

अक्षय तृतीया नि:स्वार्थ भाव से जरूरतमंदों को दान करने का महापर्व है. कहा जाता है कि इस खास दिन लोग जितना दान-पुण्य करते हैं, उससे उतना ही आध्यात्म‍िक लाभ मिलता है. यही लाभ आगे चलकर लोगों के घरों में बरकत लाती है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement