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भाग्य संवारेगा पौष पूर्णिमा का महास्नान, हर कष्ट से मिलेगी मुक्ति

जीवन में सूर्य और चंद्रमा का बहुत महत्व है. इन दोनों का एक अद्भुत संयोग है, पौष पूर्णिमा की तिथि. यहां जानें कैसे यह संयोग तिथि मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है.

पौष पूर्णिमा का महास्नान पौष पूर्णिमा का महास्नान
दीपल सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 3:01 PM IST

ज्योतिष या जानकारों का कहना है कि पौष महीने में सूर्य देव ग्यारह हजार रश्मियों के साथ तप करके सर्दी से राहत देते हैं. पौष के महीने में सूर्य देव की विशेष पूजा-उपासना से मनुष्य जीवन-मरण के चक्कर से मुक्ति पा सकता है.

क्या है इस पूर्णिमा का महत्व:
पौष पूर्णिमा के दिन गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान, दान और सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है. माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से तन, मन और आत्मा तीनों नए हो जाते हैं. इसीलिए इस दिन संगम तट पर स्नान के लिए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. पौष का महीना सूर्य देव का महीना माना जाता है. पूर्णिमा की तिथि चन्द्रमा के अनुसार होती है.
सूर्य-चन्द्रमा का यह अद्भुत संयोग केवल पौष पूर्णिमा को ही मिलता है. इस दिन सूर्य और चन्द्रमा दोनों की उपासना से पूरी होती हैं मनोकामनाएं. इस दिन ग्रहों की बाधा शांत होती है और मोक्ष का वरदान भी मिलता है. इस बार यह तिथि शनिवार 23 जनवरी को है.

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इस पौष पूर्णिमा पर ग्रहों का क्या संयोग होगा:
ग्रहों और नक्षत्रों के अच्छे-बुरे प्रभाव जिंदगी पर पड़ते ही रहते हैं. तो यहां जानें इस साल पौष पूर्णिमा पर ग्रहों का क्या संयोग बनेगा, जो आपको लाभ देगा. इस बार पौष पूर्णिमा को शुक्र और बुध, बृहस्पति की राशि में होंगे. देव गुरु और दैत्य गुरु का अद्भुत सम्बन्ध बना रहेगा. चन्द्रमा और शुक्र के सम्बन्ध से अमृत वर्षा होगी. शनि और सूर्य का पवित्र संयोग बना रहेगा. इस बार पवित्र नदी में स्नान से मुक्ति और मोक्ष की ज्यादा संभावना है.

इस तिथि पर कैसें करें पूजा और स्नान:
पौष पूर्णिमा को सुबह स्नान के पहले संकल्प लें. पहले जल को सिर पर लगाकर प्रणाम करें फिर स्नान करें. साफ कपड़े पहनें और सूर्य को अर्घ्य दें. फिर मंत्र जाप करके कुछ दान जरूर करें. इस दिन व्रत रखना और भी अच्छा होगा. पौष पूर्णिमा पर स्नान के बाद कुछ विशेष मंत्रों के जाप से कष्टों से मुक्ति पाई जा सकती है.
इन मंत्रों का जाप करें - पहला मंत्र - 'ऊँ आदित्याय नमः', दूसरा मंत्र - 'ऊँ सोम सोमाय नमः', तीसरा मंत्र- 'ऊँ नमो नीलकंठाय', चौथा मंत्र - 'ऊँ नमो नारायणाय'. पौष पूर्णिमा के महत्व को समझकर, आप भी इसका लाभ उठाइए और अपने जीवन को खुशहाल बनाइए.

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