
साल 2015 में मौसम के मिजाज में बहुत उतार-चढ़ाव देखने को मिला. एल-नीनो के प्रभाव से मॉनसून की कमी के चलते साल के दौरान गर्मी रही और देश के कई हिस्सों में सूखे जैसे हालात बने रहे जबकि तमिलनाडु, गुजरात और राजस्थान को भारी बारिश की वजह से बाढ़ का सामना करना पड़ा.
देर से पहुंचा मानसून
भारत मौसम विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक लक्ष्मण सिंह राठौड़ ने बताया, ‘2015 गर्म साल के रूप में रिकॉर्ड किया गया.’ दक्षिण-पश्चिम मानसून पांच जून को केरल तट पर देर से पहुंचा. जून में 16 प्रतिशत अधिक बारिश हुई. बहरहाल, जुलाई के दौरान बारिश में 16 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई.
लगातार दूसरे साल कम बारिश
अगस्त और सितंबर में अल्पवृष्टि में इजाफा हुआ और यह क्रमश: 22 और 24 प्रतिशत रही. कुल मिला कर मानसून में 14 प्रतिशत कम बारिश हुई. यह लगातार दूसरा साल है, जब बारिश कम हुई. कमजोर मानसून के लिए एल-नीनो घटना को जिम्मेदार माना गया.
यूपी और महाराष्ट्र में सबसे कम बारिश
देश के कुछ क्षेत्रों को सूखे जैसे हालत का सामना करना पड़ रहा है. पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में सबसे कम बारिश हुई. पूर्वी उत्तर प्रदेश में 41 में से 31 जिले में कम बारिश हुई, जबकि शेष भाग में भी अपर्याप्त बारिश हुई. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 30 में से सिर्फ तीन जिलों में सामान्य बारिश हुई. कम और अपर्याप्त बारिश वाले जिले क्रमश: 20 और 7 हैं.
हरियाणा में 37 प्रतिशत कम बारिश
हरियाणा में कुल मिला कर 37 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई. यहां पर सामान्य बारिश वाले दो जिले रहे, जबकि कम बारिश वाले 17 और अपर्याप्त बारिश वाले दो जिले रहे. इसी तरह महाराष्ट्र के दो उप संभागों मध्य महाराष्ट्र में 33 प्रतिशत और मराठवाड़ा में 39 प्रतिशत कम बारिश हुई.
कई हिस्सों में बहुत बारिश हुई
कमजोर मानसून के कारण खाद्यान्न उत्पादन में भी 1.78 प्रतिशत की कमी हुई. खरीफ सत्र में 2015-16 के दौरान 12.405 करोड़ टन अनाज की पैदावार हुई. 2014-15 खाद्यान्न वर्ष में (जुलाई-जून) खरीफ (गर्मी) सत्र के दौरान 12.631 करोड़ टन अनाज की पैदावार हुई थी. दूसरी तरफ राजस्थान, गुजरात और असम के कई हिस्सों में बहुत बारिश हुई और बाढ़ आ गई.
अक्टूबर-दिसंबर के दौरान भारतीय प्रायद्वीप में उत्तर-पूर्वी मानसून का मौसम रहा. दक्षिणी प्रायद्वीप विशेषकर तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, तमिलनाडु और पुडुचेरी में यह मानसून की गतिविधि की महत्वपूर्ण अवधि है.
उत्तरपूर्वी मानसून ज्यादा सक्रिय
उत्तरपूर्वी मानसून इस साल ज्यादा सक्रिय रहा. इसके कारण भारी बारिश हुई और तमिलनाडु और पुडेचेरी में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ. उत्तर-पूर्वी मानसून के कारण चेन्नई में पिछले 100 साल के दौरान सबसे ज्यादा बारिश हुई.
इस साल एक अन्य दिलचस्प घटना एल-नीनो के कारण हुई. इसके चलते बंगाल की खाड़ी में चक्रवात संबंधी घटनाएं नहीं हुई. इस साल, अरब सागर की खाड़ी में ‘बेहद गंभीर रूप से चक्रवात’ की दो घटनाएं हुईं, जबकि बंगाल की खाड़ी में ऐसी घटनाएं नहीं हुई.
आईएमडी के चक्रवात चेतावनी विभाग के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने बताया, ‘जब एल-नीनो की घटना मजबूत हुई, तब बंगाल की खाड़ी पर चक्रवात बनने की गतिविधि दब गई. सामान्य चरण में बंगाल की खाड़ी में चार चक्रवात आता है, जबकि अरब की खाड़ी में एक चक्रवात आता है.
इनपुट- भाषा