
अब साल 2015 अलविदा होने वाला है और नए साल यानी 2016 के आगाज की तैयारियां जोरों पर हैं. आइए उत्तर प्रदेश पर राजनैतिक तौर पर एक नजर डालते हैं. साल 2015 में देश में यूपी ने खूब सुर्खियां बटोरी आखिर ऐसी क्या वजह रही जिससे सभी नेताओं की जुबान पर यूपी का नाम छाया रहा. पढ़िए विशेष रिपोर्ट.
लोकायुक्त नियुक्ति को लेकर सरकार और राजभवन आमने सामने
साल 2015 में उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार और राजभवन के बीच लोकायुक्त नियुक्ति को लेकर चले उठापटक को लेकर प्रदेश देश भर मे काफी सुर्खियों में रहा. पहले प्रदेश सरकार ने अपने खास रिटायर्ड जस्टिस रविन्द्र सिंह को लोकायुक्त बनाने के लिए हर हथकंडे अपनाए. लेकिन हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की आपत्ति के बाद सरकार ने कैबिनेट के जरिए नियुक्ति करने का फैसला किया, लेकिन गवर्नर राम नाईक ने तीन बार लोकायुक्त नियुक्ति की फाइल को लौटा दिया और सरकार को निर्देश दिया की किसी अन्य नाम पर विचार करे जिसपर सबकी सहमति हो.
सुप्रीम कोर्ट ने किया एेतिहासिक फैसला, नियुक्ति किया लोकायुक्त
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रदेश सरकार को लोकायुक्त नियुक्ति में हो रही देरी के लिए जमकर फटकार लगाई. लगभग साल भर के जद्दोजहद के बाद अन्त में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को दो दिन का अल्टीमेटम देते हुए एक नाम पर फैसला करने का आदेश सुनाया. इसके वावजूद किसी एक नाम पर सहमति न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने विशेषाधिकार की धारा 142 का प्रयोग करते हुए लोकायुक्त की नियुक्ति कर दी. एक बार लगा कि प्रदेश को नया लोकायुक्त मिल गया. सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्र सिंह के नाम पर मुहर लगा दी थी. लेकिन एक बार फिर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने सरकार द्वारा सुझाए गए पांच नामों में से जस्टिस वीरेंद्र सिंह के नाम पर आपत्ति जताई. उन्होंने राज्यपाल को भेजे अपने पत्र में लिखा कि पांच नामों में से जस्टिस वीरेंद्र सिंह का नाम चयन समित के समक्ष रखा ही नहीं गया था. इस बीच राज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए जस्टिस वीरेंद्र सिंह की नियुक्ति पर अपने हस्ताक्षर कर दिए. शपथ ग्रहण 20 दिसंबर को होना था लेकिन ठीक उसी समय सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की आपत्ति को संज्ञान में लेते हुए शपथ ग्रहण पर 4 जनवरी तक रोक लगा दी.
गौ मांस खाने की अफवाह पर दादरी में की घटना से शर्मसार हुआ प्रदेश
साल 2015 उत्तर प्रदेश के लिए काफी शर्मसार करने वाला रहा. दादरी में उग्र भीड़ द्वारा अखलाक को गौ मांस खाने और रखने की अफवाह के बाद पीट-पीटकर मार डाला. इस घटना की पूरे विश्व में निंदा हुई. लेकिन इस घटना की सबसे बुरी बात यह रही कि सभी राजनीतिक पार्टियों ने इस मौके का फायदा उठाने की कोशिश की. हालांकि मुख्यमंत्री अखिलेश तुरंत डैमेज कंट्रोल मोड में आए और अखलाक के परिवार 45 लाख का मुआवजा देने की घोषणा कर दी. एक बात तो सच है राजनीति, मुआवजा और हमदर्दी के बीच एक इंसान की जान सिर्फ एक जानवर के मांस की वजह से चली गई. हालाकि यह मुद्दा बिहार विधानसभा चुनाव में काफी छाया रहा.
अमिताभ ठाकुर और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के बीच तकरार
यूपी के सीनियर आईपीएस अमिताभ ठाकुर और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के बीच तनातनी भी इस साल सुर्खियों में रही. मामला तब सामने आया जब अमिताभ ठाकुर ने कथित तौर पर मुलायम सिंह द्वारा उन्हें धमकाए जाने वाला ऑडियो टेप मीडिया में जारी कर दिया. फिर क्या था सपा सरकार ने उन्हें सबक सिखाने की ठान ली और उन्हें अनुशासनहीनता समेत कई अन्य मामलों में आरोपित करते हुए सस्पेंड कर दिया. इस समय अमिताभ ठाकुर मुलायम सिंह यादव के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.
आईएस सूर्य प्रताप का सरकार के प्रति बागी रूख
1980 बैच के आईएएस डॉ. सूर्य प्रताप सिंह तेज-तर्रार अफसरों में गिने जाते हैं. अपने 34 साल के करियर में एसपी सिंह नौ साल तक विदेश में रहे. इसके बाद वे 2004 में स्टडी लीव पर गए थे. जब वह वापस लौटे तो सरकार ने उन्हें औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव के पद पर तैनाती दी. हाल ही में वे माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव बनाए गए थे. इस समय वह प्रमुख सचिव सार्वजनिक उद्यम विभाग में तैनात हैं. डॉ. सूर्य प्रताप सिंह जब माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव थे, तब उन्होंने बोर्ड एग्जाम से पहले नकल माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाई थी. यह विरोध उन्हें बहुत भारी पड़ा और सरकार ने उनका तबादला लघु सिंचाई विभाग में कर दिया था. यहां भी चेकडैम घोटाले के चर्चा में आने के बाद उन्हें सार्वजानिक उद्यम विभाग भेज दिया गया. हालांकि, इसके बाद भी सूर्य प्रताप सिंह लगातार सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुए हैं. वर्तमान में वह प्रदेश में नई राजनीतिक पार्टी बनाने की तैयारी में हैं.
1.72 लाख शिक्षा मित्रों का समायोजन रद्द
यह साल कई महत्वपूर्ण याचिकाओं और कोर्ट के अहम फैसलों के लिए भी जाना जाएगा. इस साल हाई कोर्ट का सबसे बड़ा फैसला था प्रदेश सरकार द्वारा 1.72 लाख शिक्षा मित्रों का सहायक टीचर्स के पद पर समायोजन अवैध करार देते हुए रद्द करना. इस फैसले ने पूरे प्रदेश में कोहराम मचा दिया. कई शिक्षामित्रों ने आत्महत्या कर ली. इसके बाद शुरू हुआ प्रदर्शन जंतर-मंतर तक भी पहुंचा. शिक्षा मित्रों के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर हस्तक्षेप की मांग भी की. बहरहाल साल के आखिरी महीने में सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा मित्रों को थोड़ी राहत देते हुए हाई कोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया है.
कमलेश तिवारी के बायन से कलह
हिंदू महासभा के नेता कमलेश तिवारी ने दो दिसंबर को पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी. इसको लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है. यूपी से लेकर देश के दूसरे हिस्सो में प्रदर्शनों का दौर जारी है. हालांकि, टिप्पणी को लेकर कमलेश तिवारी जेल में हैं, लेकिन प्रदर्शनकारियों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है. कमलेश तिवारी को फांसी देने की मांग की जा रही है.
यूपी सरकार के कद्दावर मंत्री आजम खां ने आरएसएस को पर हमला करते हुए कहा, 'आरएसएस में लोग इसलिए शादी नहीं करते क्योंकि वो समलैंगिक होते हैं.' इसके विरोध में कमलेश तिवारी ने मोहम्मद साहब को गे कह डाला. सोशल मीडिया पर मोहम्मद हजरत साहब के खिलाफ की गई यह टिप्प्णी वायरल हो गई. मुस्लिम संगठनों के धर्मगुरु सड़कों पर उतर आए. आखिरकार सरकार को कमलेश तिवारी को जेल भेजना पड़ा. रासुका के तहत वह लखनऊ जेल में बंद है.
मैगी छाई रही सुर्खियो में
मैगी के दीवाने इस साल को भूल नहीं पाएंगे. बाराबंकी में एक फूड सिक्युरिटी ऑफिसर ने जांच कराई तो मैगी के टेस्ट मेकर में लेड की मात्रा मानक से अधिक मिली. इसके बाद देश के कई राज्यों में नेस्ले के नूडल्स के नमूने जांच में फेल हो गए. 5 जून को फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने मैगी को बैन कर दिया. अगस्त में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मैगी से कुछ शर्तों के साथ पाबंदी हटा दी थी, जिन्हें पूरा करने के बाद 9 नवंबर को मैगी की फिर बाजार में वापसी हुई. मैगी का भारत के करीब 80 फीसदी नूडल बाजार पर कब्जा है. मैगी की विदाई जितनी चर्चा में रही, उतनी ही वापसी के बाद.
काली कमाई के धन कुबेर नोएडा के यादव सिंह के खिलाफ सीबीआई जांच
सरकार के तमाम कोशिशों के बावजूद काली कमाई के धन कुबेर नोएडा के इंजीनियर-इन-चीफ यादव सिंह को सस्पेंड किया गया. हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश पारित किया. सीबीआई जांच में जो बातें सामने आई उससे जांच एजेंसी के भी होश फाख्ता हो गए. सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक इतना बड़ा घोटाला उनके सामने कभी नहीं आया. हालाकि वंही यादव सिंह को लेकर सरकार उन्हें बचाने की कोशिश में लगी है. जिसको लेकर विपक्षियो ने यूपी सरकार पर आरोप लगाया था कि सरकार उन्हे इसलिए बचा रही है कि इससे कहीं बड़े दिग्गज भी इसके लपेटे में न आ जाए.
साल के अन्त में राम मन्दिर मुद्दा हुआ गरम
साल 2015 खत्म होते राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर गरम हो गया. इसको लेकर तमाम राजनीतिक पार्टिया अपनी अपनी रोटी सेकने में लगी है. अब इसको लेकर राम मंदिर के अगुआ विनय कटियार खुलकर सामने आ गए हैं. उन्होने इसको लेकर तीन तरीके से इस मुद्दो को साल्व करने की बात कह रहे हैं. हम आपको बता दें कि आयोध्या में पत्थरों के खेप लगातार आ रहे हैं. वहीं विनय कटियार ने कहा कि जब राम मंदिर बनेगा तो चोरी छिपे नही बनेगा. बनाते समय ढोल नगाड़े के साथ लाखों लोगों को बुलाकर बताया जाएगा. गौरतलब है कि यूपी विधानसभा चुनाव को केवल एक साल ही बचा जिसको लेकर एक बार फिर राम मंदिर का मुद्दा गर्म हो जाने से 2017 विधानसभा चुनाव काफी रोमांचक होने वाला है.
यूपी के 2017 के चुनावों पर है सबकी नजर
2016 में प्रदेश सरकार और विपक्षी दलों की निगाहें 2017 के चुनावों पर होगी. अभी से ही सभी दल इलेक्शन मोड में आ चुके हैं, जहां एक ओर मुख्यमंत्री एक के बाद एक परियोजनाओं का शिलान्यास कर रहे हैं वहीं विपक्षी पार्टियां सरकार की नाकामी को गिनने में जुटी हुई हैं. बहुजन समाज पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस अभी से ही अपनी जमीन तलाशने में जुट गई हैं. अगर कहा जाए के नया साल चुनावी सरगर्मियों की वजह से ही चर्चा में रहेगा. और यहां पर सभी पार्टियां अपने-अपने दांव में लगी हैं. क्योंकि देश की राजनीति का एजेण्डा यूपी से होकर ही गुजरता है.