
खाओ.. पीओ और शिकार करो. अपने मजहबी दुश्मनों का खात्मा करो. और अगर इन सबके बीच मारे जाओगे तो तुम्हे सीधे जन्नत नसीब होगी. इसी फॉर्मूले को अपनाकर ओसामा बिन लादेन भी आतंकियों की भर्ती करता था और अब ओसामा का चेला बगदादी भी यही कर रहा है. वह नौजवानों को जन्नत के सपने दिखाकर बहका रहा है, उनका ब्रेनवाश कर रहा है. उसके इस ट्रैप में दुनिया के तमाम देशों के नौजवान फंसते जा रहे हैं. और आतंकी इसी के सहारे अपना लाव-लश्कर खड़ा कर रहे हैं.
जन्नत के नाम पर करते हैं गुमराह
चाहे ओसामा बिन लादेन हो. हाफिज सईद हो. बैतुल्लाह हो या अल-जवाहिरी. या फिर अब अबू बकर अल बगदादी. आतंक के ये चेहरे भेल ही अलग हैं लेकिन इन सबका मकसद और काम करने का तरीका एक जैसा ही है. यहां तक कि नौजवानों को झांसा देने का फार्मूला भी एक है. ये जन्नत के नाम पर मुसलमानों को गुमराह कर उनकी जिंदगी जहन्नम से भी बदतर बना देते हैं.
भारत में खुला था राज़
आतंकियों के इस राज़ का पर्दाफाश हिंदुस्तान में खुद एक आतंकी ने किया था. वो आतंकी था मुंबई हमले के दौरान जिंदा पकड़ा गया अजमल कसाब. वह पाकिस्तान के एक गरीब परिवार से था. बेहद कम पढ़ा-लिखा. सिर्फ चौथी पास. पर उसके दिल-दिमाग में जन्नत और जन्नत की खूबसूरत हूरों की बातें ऐसे ठूंस दी गईं कि वह सबको मार कर खुद मरने पाकिस्तान से मुंबई चला आया. और पकड़े जाने के बाद भी उसे यही गुमान था कि वह अब जन्नत में जाएगा. जहां उसे हूरें मिलेंगी. उसके बदन से खुशबू आएगी.
पछतावा होने पर रोया था कसाब
कसाब ने जब पुलिस हिरासत में ये बातें कही थीं तब अगले ही दिन मुंबई पुलिस के एक सीनियर अफसर कसाब को उस अस्पताल के मुर्दाघर ले गए थे जहां उसके बाकी नौ साथी आतंकवादियों की लाशें रखी हुई थीं. लाशों से बदबू आ रही थी. कसाब तब अपनी नाक बंद करने लगा तो उस पुलिस अफसर ने उसका हाथ पकड़ कर उसे मजबूर किया कि वो उस बदबू को महसूस करे. इसके बाद उसने कसाब से पूछा कि तुम्हारे आका ने तो कहा था कि मरने के बाद जन्नत मिलेगी और बदन से खुश्बू आएगी. फिर तुम क्यों अपनी नाक बंद कर रहे हो? बताते हैं कि मुर्दा घर से लौटने के बाद कसाब को पहली बार अपने किए पर पछतावा हुआ और वो बहुत रोया था.
सामने आ गई थी जन्नत की हकीकत
आतंकी अजमल कसाब को तो अहसास हो चुका था कि उससे झूठ बोला गया था. लेकिन इसी एक झूठ के सहारे आज भी ऐसे सैकड़ों, हजारों कसाब पैदा किए जा रहे हैं. कहीं बगदादी तो कहीं बोको हरम जैसे आतंकी संगठन नौजवानों को जन्नत के ख्वाब दिखाकर आतंकी की आग में झोंक रहे हैं. उन्हें यह भरोसा दिलाया जाता है कि तुम्हें जन्नत मिलेगी. तुम्हें हूरें मिलेगीं. लेकिन हकीकत में उन्हें केवल मिलती है मौत या फिर जहन्नम से बदतर जिंदगी.
गरीब, बेरोजगार नौजवानों पर है आईएस की नजर
आईएसआईएस का सरगना बग़दादी जन्नत के नाम पर ही मुस्लिम नौजवानों को गुमराह कर रहा है. उसकी नजर कम पढ़े-लिखे, गरीब और बेरोजगार नौजवानों पर रहती है. बगदादी ऐसे नौजवानों का इस्लाम के नाम पर ब्रेनवाश करता है. उन्हें समझाता है कि मर गए तो सीधे जन्नत मिलेगी.
बेगुनाहों का कत्ल करने वालों को मिलती है जहन्नम
बगदादी को पता है कि उसके अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए कोई और चाल काम नहीं आएगी. किसी को मरने-मारने के लिए दौलत, लालच या धमकी से काम नहीं बनेगा. काम बनेगा तो बस जन्नत का सब्ज बाग दिखाने से. मगर बगददी के चंगुल में फंसने वाले ऐसे नौजवानों को कौन समझाए कि मासूम और बेगुनाह मर्द, औरतों और बच्चों को मार कर जन्नत नहीं मिलती. बल्कि उलटे जिंदगी ही जहन्नम बन जाती है.