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BPL कार्ड धारकों के नाम 50 एकड़ जमीन, आयकर विभाग ने किया अटैच

दोनों शख्स बतौर नौकर रोज कमाने खाने वाले लोग हैं. लेकिन करोड़ों की जमीन के मालिक भी हैं. दोनों प्रेम सिंह सलूजा नामक एक स्थानीय कारोबारी के यहां काम करते हैं. आयकर विभाग ने प्राथमिक जांच में ही इस संपत्ति को बेनामी करार दे दिया. जमीन का वास्तविक मालिक प्रेम सिंह सलूजा बताया जा रहा है. उसे नोटिस जारी कर आयकर विभाग ने संपत्ति के श्रोत की जानकारी मांगी है.

आयकर भवन छत्तीसगढ़ आयकर भवन छत्तीसगढ़
अजीत तिवारी/सुनील नामदेव
  • नई दिल्ली,
  • 24 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 5:41 PM IST

छत्तीसगढ़ में आयकर विभाग ने एक बार फिर सख्त कार्रवाई करते हुए रायगढ़ जिले के कुनकुनी इलाके में एक शख्स की 50 एकड़ जमीन अटैच कर ली. सात करोड़ से ज्यादा की यह जमीन बीपीएल कार्डधारी भानुप्रताप सिंह और नेहरू लकड़ा के नाम दर्ज है.

यह दोनों शख्स बतौर नौकर रोज कमाने खाने वाले लोग हैं. लेकिन करोड़ों की जमीन के मालिक भी हैं. दोनों प्रेम सिंह सलूजा नामक एक स्थानीय कारोबारी के यहां काम करते हैं. आयकर विभाग ने प्राथमिक जांच में ही इस संपत्ति को बेनामी करार दे दिया. जमीन का वास्तविक मालिक प्रेम सिंह सलूजा बताया जा रहा है. उसे नोटिस जारी कर आयकर विभाग ने संपत्ति के श्रोत की जानकारी मांगी है.

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आयकर विभाग ने अपने जांच में पाया कि यह जमीन खरसिया इलाके में 38 स्थानीय किसानों से वर्ष 2011-12 में खरीदी गई थी. खरीददार ने अपने मुलाजिम भानुप्रताप सिंह और नेहरू लकड़ा के नाम जमीन की रजिस्ट्री कराई थी. जबकि दोनों ही शख्स बीपीएल कार्ड से राशन खरीदते हैं. गरीबी की वजह से उनकी माली हालत बताती है कि वे करोड़ों की संपत्ति अर्जित नहीं कर सकते.

दोनों की आमदनी तीन-तीन हजार रुपए महीना है. पूछताछ में उन्होंने आयकर अधिकारीयों को बताया कि इस जमीन का मालिकाना हक प्रेम सिंह सलूजा के पास है. बेनामी संपत्ति की जानकारी हासिल होने के बाद आयकर विभाग ने जमीन के मालिकाना हक रखने वाले प्रेम सिंह सलूजा को तीन माह के भीतर अपनी संपत्ति का पूरा ब्यौरा पेश करने का नोटिस जारी किया है.

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आयकर विभाग ने इस संपत्ति को अपने कब्जे में लेने के बाद रायगढ़ जिला कलेक्टर और तहसीलदार एवं रजिस्ट्रार को सूचना जारी कर कहा है कि इस संपत्ति की खरीदी-बिक्री की प्रक्रिया रोकने संबधित निर्देश जारी किया जाए. इसके पहले इसी इलाके में आयकर विभाग ने 85 एकड़ जमीन जप्त की थी. यह जमीन भी बेनामी थी.

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