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चंदा कोचर के पति की मुश्किलें बढ़ी, CBI के बाद IT का शिकंजा, भेजा नोटिस

अरविंद गुप्ता ने दावा किया था कि 2008 में वीडियोकॉन के चीफ वेणुगोपाल धूत ने चंदा के पति दीपक कोचर और उनके 2 अन्य रिश्तेदारों के साथ 50:50 की साझेदारी में नूपावर रिन्यूवेबल्स प्राइवेट लिमिटेड (NRPL)बनाई थी.  एक साल बाद ही जनवरी 2009 में धूत ने यह कंपनी छोड़ दी.

सांकेतिक तस्वीर (नूपावर रीन्यूएबल ग्रुप की वेबसाइट से) सांकेतिक तस्वीर (नूपावर रीन्यूएबल ग्रुप की वेबसाइट से)
aajtak.in/मुनीष पांडे
  • नई दिल्ली,
  • 03 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 4:35 AM IST

3250 करोड़ रुपये के लोन मामले में आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ और प्रबंध निदेशक चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की परेशानी बढ़ती नजर आ रही हैं. आयकर विभाग (IT) ने आईसीआईसीआई लोन मामले में अपनी जांच शुरू कर दी है. आयकर विभाग के सूत्रों ने आजतक को बताया कि एजेंसी ने दीपक कोचर की नूपॉवर रिन्यूएबल को आईटी अधिनियम की धारा 131 के प्रावधानों के तहत नोटिस जारी किया गया है. दीपक कोचर नूपॉवर रिन्यूएबल लिमिटेड के संस्थापक और सीईओ हैं.

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सूत्र के मुताबिक दीपक कोचर और फर्म के कुछ अन्य लोगों को आयकर विभाग ने नोटिस जारी किया है. इन सभी को कंपनी के फाइनेन्स से जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है. एक हफ्ते तक जांच पड़ताल करने के बाद विभाग की ओर से आईटी एक्ट के यू/एस 131 के तहत यह नोटिस जारी किया गया है. 

आईसीआईसीआई बैंक को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाली बैंक की सीईओ चंदा भी इस बार सवालों के घेरे में हैं. उन पर वीडियोकॉन समूह को करीब 4 हजार करोड़ रुपये का लोन देने के मामले में अन‍ियमितता बरतने का आरोप लगा है. इस संबंध में सीबीआई जल्द ही आईसीआईसीआई बैंक की प्रमुख चंदा कोचर से पूछताछ करेगी. सीबीआई जल्द ही उनका बयान दर्ज कर सकती है. चंदा से उनके पति दीपक कोचर से पूछताछ हो सकती है. फिलहाल उसने दीपक कोचर के खिलाफ जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है.

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अरविंद ने लगाए थे आरोप

पिछले दिनों आईसीआईसीआई  बैंक और वीडियोकॉन ग्रुप के निवेशक अरविंद गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर बैंक के ऋण देने के तौर तरीकों पर सवाल उठाया. उन्होंने चंदा कोचर पर वेणुगोपाल धूत के वीडियोकॉन कारोबारी समूह को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया. गुप्ता ने प्रधानमंत्री को 15 मार्च 2016 को ये चिट्ठी लिखी थी.

उनका आरोप है कि चंदा ने वीडियोकॉन को करीब 4000 करोड़ रुपये के दो ऋण मंजूर करने के बदले में गलत तरीके से निजी लाभ लिया. गुप्ता ने चंदा पर मॉरिशस और केमेन आइलैंड जैसे टैक्स हैवेन देशों में स्थित कंपनियों के जरिये वीडियोकॉन को लोन देने का आरोप लगाया है.

हालांकि आईसीआईसीआई ने अपने सीईओ चंदा का बचाव किया है. उसकी ओर से कहा गया है कि बैंक का कोई भी व्यक्ति अपने पद पर इतना सक्षम नहीं है कि बैंक के क्रेडिट से जुड़े फैसलों को प्रभावित कर सके.

अरविंद गुप्ता ने दावा किया था कि 2008 में वीडियोकॉन के चीफ वेणुगोपाल धूत ने चंदा के पति दीपक कोचर और उनके 2 अन्य रिश्तेदारों के साथ 50:50 की साझेदारी में नूपावर रिन्यूवेबल्स प्राइवेट लिमिटेड (NRPL)बनाई थी.  एक साल बाद ही जनवरी 2009 में धूत ने यह कंपनी छोड़ दी. उन्होंने सवाल उठाए और कहा कि हमें जानने की जरूरत है कि क्यों दीपक कोचर और धूत ने साझा उपक्रम बनाया और फिर धूत ने उसे छोड़ दिया.

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धूत ने NRPL के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया और अपने करीब 25,000 शेयर दीपक कोचर को हस्तांतरित कर दिए. इसके अलावा मार्च 2010 में धूत के स्वामित्व वाली एक कंपनी सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड ने NRPL को 64 करोड़ रुपये का सेक्योर्ड लोन दिया, लेकिन मार्च 2010 तक सुप्रीम एनर्जी ने NRPL का बहुल स्वामित्व अपने हाथ में ले लिया और दीपक के पास महज 5 फीसदी स्वामित्व ही बचा.

2012 में दिए गए लोन

इसके करीब 8 महीने बाद धूत ने सुप्रीम एनर्जी की अपनी पूरी हिस्सेदारी अपने एक सहयोगी महेश चंद्र पंगलिया को ट्रांसफर कर दी. फिर इसके करीब दो साल बाद पंगलिया ने कंपनी की अपनी पूरी हिस्सेदारी सिर्फ 9 लाख रुपये में दीपक कोचर की कंपनी पिनाकल एनर्जी को ट्रांसफर कर दी.

हालांकि पिछले हफ्ते आईसीआईसीआई ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि नूपावर रिन्यूएबल्स एनर्जी का कोई भी इन्वेस्टर आईसीआईसीआई बैंक का कर्जदार नहीं है.

अप्रैल, 2012 में आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप की 5 कंपनियों को 3,250 करोड़ रुपये दिए. इसके बाद तुरंत बाद 660 करोड़ रुपये केमन आइलैंड की एक शेल कंपनी को दिए गए. आईसीआईसीआई की तरफ से दी गई 3,250 करोड़ रुपये की रकम अब बैड लोन बन चुकी है.

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