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इनकम टैक्स के नोटिस से खुली बैंक की पोल!

नोटबंदी के दौरान पांच लाख से ज्यादा की रकम जमा करने वाले ग्राहकों को इनकम टैक्स विभाग नोटिस जारी कर आय के श्रोत की जानकारी मांग रहा है. इसी दौरान रायपुर के एक शक्श को तगड़ा झटका लगा. उसने ना तो बैंक में खाता खुलवाया था और ना ही किसी अकाउंट में कोई रकम जमा की थी. इसके बावजूद उसे इनकम टैक्स विभाग का नोटिस मिल गया.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
सुनील नामदेव
  • रायपुर,
  • 19 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 10:11 AM IST

नोटबंदी के दौरान पांच लाख से ज्यादा की रकम जमा करने वाले ग्राहकों को इनकम टैक्स विभाग नोटिस जारी कर आय के स्रोत की जानकारी मांग रहा है. इसी दौरान रायपुर के एक शक्श को तगड़ा झटका लगा. उसने ना तो बैंक में खाता खुलवाया था और ना ही किसी अकाउंट में कोई रकम जमा की थी. इसके बावजूद उसे इनकम टैक्स विभाग का नोटिस मिल गया.

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रायपुर के रहने वाले मनीष प्रजापति पेश से आर्किटेक्ट हैं. मनीष से विजय बैंक के उनके करंट बैंक अकाउंट से हुए 40 करोड़ रुपये के लेन-देन का ब्यौरा मांगा गया. मनीष के मुताबिक, जिस बैंक खाते से यह लेन-देन हुआ, वह बैंक खाता उन्होंने खुलवाया ही नहीं और ना ही उस खाते का कभी इस्तेमाल किया. उन्होंने बैंक जाकर खाते की जानकारी मांगी, तो बैंक अधिकारियों ने उन्हें कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया. काफी जिरह करने और मामले की पुलिस में शिकायत करने की चेतावनी के बाद बैंक कर्मियों ने उन्हें उस खाते की जानकारी दी. बैंक स्टेटमेंट को देख कर मनीष भौचक रह गए कि जिस खाते में करोड़ों का लेन-देन हुआ है, वह खाता मनीष के नाम से ही है.

मनीष का कहना है कि उन्होंने कभी ना तो विजया बैंक की फाफाडीह शाखा में खाता खुलवाया और ना ही इसकी जानकारी उन्हें थी. बैंक लेनदेन और खाते खुलवाने के दस्तावेजों में जिस दस्तखत का इस्तेमाल हुआ है, वो भी उनकी नहीं है.

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वहीं बैंक से मिली जानकारी के मुताबिक, अप्रेल 2014 में मनीष के नाम से मधुर कॉरपोरेट फर्म का करेंट बैंक अकाउंट खोला गया. इसके खाते में प्रतिमाह चेक से लाखों रुपये आते थे. पिछले दो साल में इस खाते से 40 करोड़ रुपये का लेन देन हुआ और नोटबंदी के दौरान 18 लाख 80 हजार रुपये के पुराने नॉट खाते में जमा किए गए.

मनीष के मुताबिक, उनके साथ हुए इस आर्थिक अपराध में बैंक की भूमिका संदिग्ध है, क्योंकि सिर्फ पैन कार्ड से खाता खोला गया है. यही नहीं खाता खोलने के फॉर्म में उनकी फोटो का भी इस्तेमाल हुआ है और तो और स्थायी पता-ठिकाने का कोई दस्तावेज भी जमा नहीं कराया गया. मनीष के हस्ताक्षर जो अंग्रेजी में है, उसे बदलकर हिंदी में किया गया है. इस खाते की बैंक ने ना तो पासबुक जारी की, ना ही चेक बुक और ATM कार्ड.

मनीष की शिकायत पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. जांच अधिकारी सी.एस.पी संजय ध्रुव के मुताबिक, मामला गंभीर है. काफी सोच समझ कर खाता खुलवाया गया है और उससे नियमित ट्रांजैक्शन भी होता रहा है. हालांकि अभी बैंक से सभी दस्तावेज मंगाए गए हैं और उसकी जांच के बाद आरोपियों की खोजबीन होगी.

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