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आइसोलेशन बेड बढ़ाने में बाधा बन रही आर्थिक तंगी

यूपी में कोरोना मरीजों के लिए आइसोलेशन बेड बढ़ाने की योगी सरकार की योजना के सामने निजी मेडिकल कालेजों ने हाथ खड़े कर दिए हैं.

प्रतिनिधि तस्वीर प्रतिनिधि तस्वीर
आशीष मिश्र
  • लखनऊ,
  • 24 मई 2020,
  • अपडेटेड 7:24 PM IST

यूपी में कोरोना मरीजों के लिए आइसोलेशन बेड बढ़ाने की योगी सरकार की योजना के सामने निजी मेडिकल कालेजों ने हाथ खड़े कर दिए हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में एक लाख आइसोलेशन बेड स्थापित करने का लक्ष्य रखा है. इस हिसाब से यूपी में २८ निजी मेडिकल कालेजों को 25 हजार आइसोलेशन बेड स्थापित करना है.

आइसोलेशन बेड बनाने को लेकर अब निजी मेडिकल आनकानी कर रहे हैं.

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निजी मेडिकल कालेजों के प्रबंधन का कहना है कि अपने मेडिकल कालेजों के कोविड-19 के अस्पतालों में स्थापित 6 हजार आइसोलेशन बेड के संचालन और बेडों पर भर्ती मरीजों के इलाज में ही उनका काफी पैसा खर्च हो चुका है. ऐसी हालत में जब तक उनका भुगतान नही हो जाता है, तब तक वे नए आइसोलेशन बेड नहीं स्थापित कर सकते हैं.

लखनऊ में एक निजी कालेज के प्राचार्य डा. डी. पी. मिश्र बताते हैं “मेरे मेडिकल कालेज में एमबीबीएस और एमडी कोर्सों के छात्रों के पढ़ाई नहीं हो रही है. सरकार ने छात्रों से फीस न लेने को कहा है. छात्रों की फीस न आने के बावजूद फैकल्टी को वेतन दिया गयसा है. ऐसे में हमारे पास कोविड अस्पताल को आगे चलाने का कोई आय का स्रोत भी नहीं रहा.”

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चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 24 सरकारी चिकित्सा विश्वविद्यालयों, चिकित्सा संस्थानों और मेडिकल कालेजों समेत 28 निजी मेडिकल कालेजों में कोविड-19 के अस्पतालों में 10 हजार आइसोलेशन बेड स्थापित किए हैं. इनमें 800 गंभीर मरीजों के लिए वेंटीलेटर युक्त बेड हैं. इनमें अकेले 6 हजार बेड 28 निजी मेडिकल कालेजों के कोविड अस्पतालों में स्थापित हैं.

प्रदेश सरकार के निर्देश पर निजी मेडिकल कालेजों ने अपने यहां कोविड अस्पताल तो स्थापित कर लिए. उनके यहां 300 वेंटीलेटर युक्त बेड भी हैं. कोविड अस्पतालों में अपने डॉक्टरों नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को लगा रखा है. कोविड अस्पताल चलाने का पूरा खर्चा निजी मेडिकल कालेज ही वहन कर रहे हैं.

सरकार की ओर से उन्हें केवल पीपीई किट और एन-95 मास्क ही दिए जा रहे हैं.निजी मेडिकल कालेजों के प्रबंध तंत्र ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपनी बात चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना के सामने रखी है. इसके बाद ही सरकार के निर्देश पर निजी मेडिकल कालेजों को प्रति बेड के हिसाब से कुछ रकम भुगतान करने की चिकित्सा शिक्षा विभाग ने कार्ययोजना तैयार करनी शुरू कर दी है.

भुगतान की प्रक्रिया तय हो जाने के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रस्ताव को कैबिनेट में मंजूरी के लिए ले जाया जाएगा. विभागीय अधिकारियों के अनुसार अब निजी मेडिकल कालेजों को प्रति बेड के हिसाब से उनके द्वारा खर्च की गई रकम का आकलन किया जा रहा है. उसके बाद उनके भुगतान की एक नीति तैयार की जाएगी.

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