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चीन में जिनपिंग के मजबूत होने से यूं बढ़ जाएंगी PM मोदी की चुनौतियां?

शी जिनपिंग की ताकत में होने वाले इस इजाफे का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा. इसका खास असर भारत पर पड़ना तय हैं. एशिया में चीन के बाद भारत वैश्विक स्तर पर उभरती सबसे बड़ी शक्ति है. लिहाजा, चीन के इस कदम के बाद भारत सरकार के लिए वैश्विक स्तर पर निम्न चुनौतियों में इजाफा देखने को मिलेगा.

भारत की चुनौती कैसे शी जिनपिंग से बने मजबूत रिश्ता भारत की चुनौती कैसे शी जिनपिंग से बने मजबूत रिश्ता
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 27 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 5:38 PM IST

चीन सरकार ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग को आजीवन राष्ट्रपति बनाने की पहल की है. सरकार ने संसद के सामने देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए महज दो बार पद संभालने की बाध्यता को खत्म करने का प्रस्ताव रखा है जिसके बाद माना जा रहा है कि 2023 के बाद भी शी जिनपिंग चीन की सत्ता पर काबिज रहेंगे. चीन के इस कदम के बाद शी जिनपिंग भी माओ जेदॉंन्ग और डेंग जियोपिंग की तरह चीन के बेहद ताकतवर नेता के तौर पर दुनिया के सामने होंगे.

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शी जिनपिंग की ताकत में होने वाले इस इजाफे का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा. इसका खास असर भारत पर पड़ना तय हैं. एशिया में चीन के बाद भारत वैश्विक स्तर पर उभरती सबसे बड़ी शक्ति है. लिहाजा, चीन के इस कदम के बाद भारत सरकार के लिए वैश्विक स्तर पर निम्न चुनौतियों में इजाफा देखने को मिलेगा.

जानें कैसे बढ़ जाएगी भारत की चुनौतियां?

1. पड़ोसियों पर भारी पड़ेगा चीन: शी जिनपिंग के ताकतवर होने से चीन का भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंध बेहद मजबूत होने की संभावना बढ़ जाएगी. गौरतलब है कि 2013 में सत्ता की कमान संभालने के बाद जिनपिंग की नीतियों से लगातार पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका समेत भारत के अन्य पड़ोसियों के चीन से संबंध मजबूत हुए हैं. इनके अलावा भूटान, मालदीव, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों को भी चीन ने साधने की कवायद करते हुए एशिया के इस क्षेत्र में भारत को अकेला करने की उसकी नीति और आक्रामक हो सकती है.

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2. एशिया में महत्वपूर्ण चुनाव: साल 2018 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान में चुनाव होने हैं. इसके तुरंत बाद 2019 में भारत में आम चुनाव है. चीन में शी जिनपिंग के आजीवन राष्ट्रपति रहने के विकल्प के बीच एशिया के सभी देशों को चीन के प्रति अपनी नीति में बदलाव करने की जरूरत है. वहीं चीन सरकार के इस कदम के बाद एशिया में चीन के बेहद नजदीक जगह बनाने में कामयाब हो चुका पाकिस्तान अन्य एशियाई देशों  में भारत को कमजोर करने की कवायद तेज कर देगा. शी की लंबी राजनीतिक पारी का असर जहां अफगानिस्तान और बांग्लादेश के चुनावों पर देखने को मिलेगा वहीं भूटान और मालदीव जैसे देश भी चीन के प्रति अपने रुख को बदलने का दबाव महसूस करेंगे.

3. एशिया में पाकिस्तान का बढ़ेंगा कद: चीन सरकार का राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए लंबी पारी का रास्ता साफ करने के पीछे शी जिनपिंग की वन बेल्ट वन रोड योजना का भी अहम रोल है. यह चीन सरकार की अबतक की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है जिसके चलते अगले कई दशकों तक वह वैश्विक कारोबार का रुख चीन की तरफ मोड़ सकता है. एशिया में पाकिस्तान ने सीपीईसी के तहत ओबीओआर में महत्वपूर्ण बढ़त बना ली है लिजाहा आने वाले दिनों चीन के इस विस्तार में उसे एशिया में अहम भूमिका अदा करने को मिल सकती है.

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4. अमेरिका और यूरोप की भी बदलेगी चीन नीति: शी जिनपिंग के लंबे कार्याकल का सीधा असर अमेरिका और यूरोपीय देशों की चीन नीति पर पड़ेगा. अभी तक जहां दोनों अमेरिका और यूरोप में चीन की नीति में सत्ता परिवर्तन अहम किरदार में था अब उन्हें अगले कुछ दशकों तक शी जिनपिंग को ही केन्द्र में रखते हुए नीति निर्धारित करनी होगी. लिहाजा, अमेरिका और यूरोप में होने वाले इस बदलाव का असर भारत पर भी पड़ेगा और उसकी भी कोशिश शी जिनपिंग के संभावित लंबे कार्यकाल में द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने की होगी.

 

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