
डोकलाम पर चीन के साथ तनातनी से सबक लेते हुए भारत ने नॉर्थ ईस्ट में अपनी सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करने में जुट हुआ है. भारतीय सेना ने लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक के इलाकों के दर्रों पर 17 टनल बनाने की मांग की है, जिसमें से नौ टनल के काम को प्राथमिकता पूरा करने को कहा गया है.
इसके चलते अब भारत सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा के नजदीक तक पहुंचने के लिए सुरंग का काम जल्द पूरा करने की योजना बना ली है. सीमा सड़क संगठन को इसका काम भी सौंपा जा चुका है. बताया जा रहा है कि 475 मीटर और 1.79 किमी की सुरंग बनाई जाएगी, जो 11,000 फुट और 12,000 फुट की ऊंचाई पर होगी. यह सुरंग दो लेन की होगी.
हाल में रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने सरहद के फॉरवर्ड पोस्टों की यात्रा के दौरान बॉर्डर पर मूलभूत निर्माण में तेजी लाने पर जोर दिया गया था, जिसके बाद से सरकार इन कामों को जल्द पूरा करने में जुटी हुई है. सुरंग बनने के बाद 13,700 फुट ऊंचे सेला दर्रे का उपयोग नहीं करना पड़ेगा. इतना ही नहीं, इस सुरंग से यात्रा मार्ग की दूरी घटकर सिर्फ सात किलोमीटर रह जाएगी.
इसके लिए सीमा सड़क संगठन (BRO) ने अरुणाचल सरकार से जमीन अधिग्रहण का काम शुरू कर दिया है. इसी तरह इस साल के आखिरी तक देश की सबसे महत्वपूर्ण रोहतांग सुरंग का काम पूरा हो जाएगा. 8.8 किलोमीटर लंबी इस सुरंग के दोनों छोर जोड़ दिए जाएंगे. साउथ पोटर्ल में टनल का काम लगातार जारी है. इसी तरह नॉर्थ पोर्टल का काम भी युद्ध स्तर पर चल रहा है.
साल 2005 में भारत सरकार ने 73 सामरिक रोड और सुरंग बनाने का प्लान तैयार किया था, जिनको साल 2013 तक पूरा किया जाना था, लेकिन इसकी मियाद को टालकर साल 2020 तक कर दिया गया था. हालांकि अब कोशिश की जा रही है कि इनको तय अवधि से पहले ही पूरा कर लिया जाए. भारतीय सेना ने लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक के इलाकों के दर्रों पर 17 टनल बनाने की मांग की है, जिनमें से नौ को प्रथम प्राथमिकता पर रखा गया है.
उत्तरी सीमा पर मनाली-लेह एक्सिस का काम चल रहा है. इस एक्लेसिस पर तीन पास पर तीन टनल बनाए जाने हैं. वहीं, हर मौसम में इस्तेमाल की जा सकने वाली टनल सड़क नीमू-पदम-धारचू एक्सिस पर दो पास पर दो सुरंग बनाए जाने की मांग की गई है. इसे सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा गया है. उधर, पूर्वी कमान में तवांग एक्सेसिस पर सेला पास के नीचे से एक सुरंग बनाए जाने की मांग सेना ने की है, जिसे पहली प्राथमिकता पर रखा गया है.
इसी तवांग एक्सिस पर भालुकपौंग निचीपू पास पर सुरंग को दूसरी और बॉमडिला की सुरंग को तीसरी प्राथमिकता दी गई है. इस पास के जरिए तवांग को सीधे जोड़ा जा सकेगा. सुरंगों के इस नए जाल से सेना को सरहद पर साल भर तैनाती और निगरानी मजबूत करने में मदद मिलेगी. साथ ही सुरक्षा व्यवस्था कड़ी होगी.