
बीसीसीआई इंग्लैंड के खिलाफ भारत की आगामी घरेलू सीरीज के दौरान फैसला समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) के इस्तेमाल के लिये गंभीर रूप से विचार कर रहा है और इस कदम को उसके अपने पूर्व के पक्ष से हटना कहा जा सकता है. अगर डीआरएस का इस्तेमाल किया जाता है तो यह पहली बार होगा जब भारत में द्विपक्षीय टेस्ट सीरीज में इस तकनीक को अपनाया जाएगा. पिछली बार भारतीय सरजमीं पर इसका इस्तेमाल 2011 आईसीसी विश्व कप के दौरान किया गया था.
डीआरएस का इस्तेमाल हो सकता है
आईसीसी के एक प्रवक्ता ने पुष्टि की कि वैश्विक संस्था के क्रिकेट महाप्रबंधक ज्योफ अलार्डिस तकनीकी सहयोग मुहैया कराने वाली कंपनी के प्रतिनिधियों के साथ बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों और कोच अनिल कुंबले से मुलाकात करेंगे. आईसीसी प्रवक्ता ने कहा, 'अगले हफ्ते की बैठक में डीआरएस टेक्नालॉजी टेस्टिंग प्रोजेक्ट (एमआईटी इंजीनियरों द्वारा आयोजित) की सिफारिशों के साथ हॉकआई बॉल ट्रैकिंग टेक्नालॉजी पर भी चर्चा की जाएगी, जिसे हालिया वर्षो में शुरू किया गया है.' कुंबले की मौजूदगी अहम इसलिए भी है क्योंकि वह आईसीसी क्रिकेट समिति के अध्यक्ष हैं और उन्होंने पिछले साल बॉल ट्रैकिंग और हॉक आई टेक्नालॉजी की प्रगति को मॉनिटर करने के लिये एमआईटी लैबोरेटरी का भी दौरा किया था.
'टेक्नालॉजी फूलप्रुफ नहीं है'
भारत के सीमित ओवरों के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का मानना था कि बॉल ट्रैकिंग टेक्नालॉजी फूलप्रूफ नहीं है. बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के कार्यकाल में बोर्ड डीआरएस की खामियों और फायदे पर चर्चा के लिए चर्चा करने के लिए तैयार ही नहीं था.