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चीन की बढ़ती हिमाकत पर लगाम लगाने के लिए भारत और अमेरिका ने बनाई ये रणनीति...

पीएम मोदी और ट्रंप की बैठक की एक बड़ी सफलता साउथ चाइना सी में चीन की बढ़ती गतिविधि पर लगाम लगाने के लिए भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता रक्षा सहयोग है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि हिंद महासागर में अमेरिका, भारत और जापान की नौसेना का सबसे बड़ा सैन्य संयुक्त अभ्यास होगा.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
मंजीत नेगी
  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2017,
  • अपडेटेड 10:53 PM IST

पीएम मोदी और ट्रंप की बैठक की एक बड़ी सफलता साउथ चाइना सी में चीन की बढ़ती गतिविधि पर लगाम लगाने के लिए भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता रक्षा सहयोग है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि हिंद महासागर में अमेरिका, भारत और जापान की नौसेना का सबसे बड़ा सैन्य संयुक्त अभ्यास होगा.

इससे पहले 2007 में और फिर पिछले साल 2015 में बंगाल की खाड़ी में तीनों देशों की नौसेना ने साथ में अभ्यास किया था. इस अभ्यास के जरिये कोशिश होती है कि अगर भविष्य में तीनों देशों की नौसेना एक साथ किसी अभियान में हिस्सा लेती है तो उससे पहले एक-दूसरे के काम का तरीका सीख लें, ताकि इकट्ठे होकर कार्रवाई कर सकें.

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भारत को मिलेंगे 22 गार्जियन ड्रोन
दूसरे मोर्चे पर अमेरिका ने भारत को 22 गार्जियन ड्रोन देने पर सहमति दे दी है. भारत को हिंद महासागर में निगरानी के लिए हाई-टेक मल्टी मिशन ड्रोन की जरूरत थी. एक साथ 22 ड्रोन आने से हिंद महासागर में भारत की समुद्री ताकत बढ़ जाएगी. ये सौदा 2 अरब डॉलर का होगा.

पिछले कुछ वक्त से चीन समंदर में अपना दायरा बढ़ाने की कोशिश में जुटा है. ऐसे में भारतीय समुद्री सीमा में ड्रैगन के बढ़ते कदमों को ये ड्रोन पहले ही रोक देगा. पाकिस्तान से समंदर के रास्ते हिंदुस्तान में दाखिल होने का ख्वाब देखने वाले आतंकियों पर भी गार्जियन ड्रोन से नजर रखी जा सकेगी. अमेरिका का ये ड्रोन प्रिडेटर का अपडेटेड वर्जन है, जिसे MQ-9 प्रिडेटर कहा जाता है. ये आम ड्रोन के मुकाबले तीन गुना ज्यादा रफ्तार से उड़ सकता है. यह वो ड्रोन है जो अब तक अमेरिकी नेवी, सीआईए और नासा के पास होता था, लेकिन अब ये भारतीय नौसेना के पास भी होगा.

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अमेरिकी ड्रोन का ये सबसे अपडेटेड वर्जन है जिस पर खुद अमेरिका को भी जबरदस्त भरोसा है. अमेरिका से भारत को ये ड्रोन मिलने के संकेत को भारत-अमेरिका के रिश्तों में बढ़ती मजबूती के तौर पर देखा जा रहा है. इसके बाद अमेरिका ने भारत को बड़े रक्षा साझेदार का दर्जा दिया था. अमेरिकी प्रशासन को भी लगता है कि इस तरह की साझीदारी से भारत और अमेरिका के रिश्ते और मजबूत होंगे और चीन को रोकने के लिए भी फायदेमंद रहेगा.

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