
श्रीलंका दौरे में 9-0 से मिली अभूतपूर्व जीत से विराट ब्रिगेड के हौसले बुलंद हैं. अब टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलियाई चुनौती का सामना करना है. पांच वनडे मैचों की सीरीज का पहला वनडे 17 सितंबर को चेन्नई में खेला जाएगा. यहीं मंगलवार को कंगारुओं ने जमकर अभ्यास किया और बोर्ड प्रेसिडेंट इलेवन को 103 रनों से हराया.
इस सीरीज में टीम इंडिया को होम एडवांटेज जरूर मिलेगा, लेकिन कंगारुओं के खिलाफ मुकाबले आसान नहीं होंगे. नजर डालते हैं विराट ब्रिगेड के लिए यह सीरीज असली परीक्षा क्यों मानी जा रही है.
1. भारत की परिस्थितियों से अनजान नहीं कंगारू
14 सदस्यीय ऑस्ट्रेलियाई स्क्वॉड में 8 ऐसे खिलाड़ी हैं, जो भारत की परिस्थितियों से वाकिफ हैं. सबसे बढ़कर डेविड वॉर्नर, एरॉन फिंच, ग्लेन मैक्सवेल और जेम्स फॉकनर ने आईपीएल में अपना दम दिखाया है. साथ ही भारत दौरे पर आईपीएल के दौरान साल में करीब 50 दिन बिताए हैं. गुवाहाटी को छोड़ दें, तो चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद, नागपुर, इंदौर और रांची की परिस्थितियों से ये खिलाड़ी अनजान नहीं हैं, जहां इस सीरीज में मुकाबले होने हैं.
2. भारतीय स्पिन आक्रमण के पास कम अनुभव
भारत के दोनों स्पिनर्स रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर रहे हैं, लेकिन वनडे में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है. कई बार तो अश्विन के हिस्से एक भी विकेट नहीं आया. दूसरी तरफ जडेजा की बात करें, तो चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान उनकी भी गेंदबाजी नहीं चली. दोनों अब टीम से बाहर हैं. अक्षर पेटल, यजुवेंद्र चहल और कुलदीप यादव को कम मौके मिले हैं. इन तीनों के कम अनुभव टीम के आड़े आ सकते हैं.
3. स्पिन पर हाथ खोलने में पीछे नहीं ऑस्ट्रेलियाई
स्टीव स्मिथ स्पिन के जबर्दस्त बल्लेबाज के रूप में उभरे हैं. ऐसे में स्पिनरों के खिलाफ उनकी बल्लेबाजी तकनीक भारी पड़ सकती हैं. स्पिन के आगे मैक्सवेल भी खुद को रोक नहीं पाते हैं. टीम के दूसरे बल्लेबाज भी स्पिन पर अपने हाथ खोल सकते हैं. वैसे ऑस्ट्रेलियाई शीर्ष बल्लेबाजी क्रम में शामिल डेविड वॉर्नर, एरॉन फिंच और स्टीव स्मिथ किसी भी आक्रमण की धज्जियां उड़ा सकते है.
4. बड़ी टीमों के खिलाफ विराट ब्रिगेड का खेलना बाकी
चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान ऑस्ट्रेलियाई टीम को मौसम की मार झेलनी पड़ी. दूसरी तरफ चैंपियंस ट्रॉफी में भारत ने बांग्लादेश और द. अफ्रीका जैसी टीमों का सामना किया, जो उस वक्त अपनी ऊंचाइयों पर नहीं थे. फिर भी श्रीलंका और पाकिस्तान ने उस दौरान भारत की कमजोर कड़ी की पोल खोलकर रख दी थी. इसके बाद टीम इंडिया ने वेस्टइंडीज और श्रीलंका को उनके घर में जरूर मात दी, जो टीमें बिल्कुल खराब दौर से गुजर रहे हैं.
5. चौथे नंबर पर बल्लेबाजी को लेकर अब भी चिंता
टीम इंडिया ने हालांकि चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में जगह बनाई, लेकिन टीम में कई खामियां अब भी हैं. खासकर भारत का मिडिल ऑर्डर जूझता रहा है. यह तय नहीं हैं चौथे नंबर पर कौन बल्लेबाजी करेगा. इस स्थान को भरने के लिए युवराज सिंह को पिछले साल टीम में बुलाया गया. लेकिन टीम की उम्मीदों पर वह खरे नहीं उतरे. एक बार फिर उन्हें टीम से बाहर रखा गया है. अजिंक्य रहाणे लंबे समय से टीम में हैं, लेकिन कप्तान का उनपर भरोसा और प्रदर्शन की बात करें, तो दोनों ही उल्लेखनीय नहीं माने जा सकते.
6. डेथ ओवरों में बल्लेबाजी नहीं परखी जा सकी
केएल राहुल लंबे समय तक चोटिल रहे. श्रीलंका सीरीज के दौरान तीन पारियों में उनके बल्ले से 28 रन ही निकले. ऐसे में मनीष पांडे बेहतर विकल्प नजर आ रहे हैं, जिन्होंने श्रीलंका के खिलाफ टी-20 में अर्धशतकीय पारी खेली. चौथे नंबर के अलावा छठे नंबर की बात करें, तो महेंद्र सिंह धोनी ने श्रीलंका में जरूर अपनी मजबूती दिखाई, लेकिन डेथ ओवरों में उनकी बल्लेबाजी परखी नहीं जा सकी. केदार जाधव ने इस साल घरेलू सीरीज में इंग्लैंड के खिलाफ शानदार पारियों खेलीं, लेकिन उसके बाद से वैसा प्रदर्शन नहीं दोहरा पाए.
7. भारत को मिडिल ऑर्डर फिर लड़खड़ा सकता है
टीम इंडिया के टॉप ऑर्डर ने कई बार अपनी बल्लेबाजी के बूते मिडिल ऑर्डर को दबाव लेने नहीं दिया. लेकिन पैट कमिंस, जोश हेजलवुड के आगे भारतीय मध्यक्रम लड़खड़ा सकता है. पारी के बीच के ओवरों में एडम जांपा भारत पर अंकुश लगा सकते हैं. श्रीलंका में ऐसा ही कुछ अकिला धनंजय ने किया था.
8. 2016-17 में टीम इंडिया ने अपने घर में 8 वनडे ही खेले
जहां तक भारत में खेलने की बात है, तो भारत ने पिछले दो साल में अपनी धरती पर ज्यादातर टेस्ट मैच खेले हैं. अपनी धरती पर भारत ने 2016-17 में महज 8 वनडे खेले. जिनमें इंग्लैंड और न्यूजीलेंड के खिलाफ क्रमशः 5 मैच और 3 मैच शामिल हैं. ऐसे में भारत के लिए लय हासिल करना आसान नहीं होगा.