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विस्तारवादी रहा है चीन, लद्दाख ही नहीं अरुणाचल-सिक्किम में भी है भारत से सीमा विवाद

भारत चीन का सीमा विवाद दशकों पुराना है. एशिया की इन दो महाशक्तियों को लगभग एक ही समय आजादी मिली. दोनों देशों के बीच तकरीबन 3500 किलोमीटर लंबी सीमा है, लेकिन आजादी के 72 साल बाद भी सीमा विवाद का निपटारा नहीं हो सका. इसी सीमा विवाद को लेकर भारत चीन के बीच 1962 में जंग भी हुई थी.

गलवान घाटी में भारतीय सेना की पेट्रोलिंग (Getty Image) गलवान घाटी में भारतीय सेना की पेट्रोलिंग (Getty Image)
पन्ना लाल
  • नई दिल्ली,
  • 17 जून 2020,
  • अपडेटेड 12:16 PM IST

  • भारत-चीन के बीच करीब 3500 किमी लंबी सीमा
  • मैकमोहन रेखा को नहीं मानता है पड़ोसी चीन
  • डोकलाम और नाथू ला में हो चुका है टकराव

दूसरों का जमीन हड़प कर अपना क्षेत्र विस्तार करना चीन की पुरानी नीति रही है. यही वजह से चीन का अपने तकरीबन सभी पड़ोसियों से सीमा विवाद है. चीन का बॉर्डर सीमांकन को लेकर जापान, रूस और वियतनाम से टकराव चल रहा है. दक्षिण चीन सागर में तो चीन जबरन वियतनाम की समुद्री सीमा में घुसपैठ कर रहा है.

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चीन ने भारत के साथ भी लगती सीमाओं पर अपनी विस्तारवादी नीति अपनानी चाही. हालांकि भारत ने सालों पहले एक बिंदु पर चीन को रोक दिया, लेकिन लद्दाख के अलावा अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम में भी भारत का चीन के साथ सीमा विवाद चल रहा है. भारत जब अपनी सीमाओं की निगहबानी को मजूबत कर रहा है तो चीनी चौधराहट को चुनौती मिलने लगी है. इसी का नतीजा है चीन गाहे-बगाहे अपनी झूठी अकड़ दिखाते रहता है. साल 2017 में इसकी बानगी तब देखने को मिली थी जब भारत-भूटान और चीन के मिलन बिंदु पर चीन अवैध रूप से सड़क निर्माण कर रहा था. भारत ने चीन के इस निर्माण को रोक दिया.

भारत चीन सीमा विवाद

भारत चीन का सीमा विवाद दशकों पुराना है. एशिया की इन दो महाशक्तियों को लगभग एक ही समय आजादी मिली. दोनों देशों के बीच तकरीबन 3500 किलोमीटर लंबी सीमा है, लेकिन आजादी के 72 साल बाद भी सीमा विवाद का निपटारा नहीं हो सका. इसी सीमा विवाद को लेकर भारत चीन के बीच में 1962 में जंग भी हुई थी.

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भारत और चीन के बीच लद्दाख के अलावा कई ऐसे इलाके हैं जहां दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर विवाद है.

अक्साई चीन

चीन, पाकिस्तान और भारत की मिलती जुलती सीमा पर तिब्बती पठार के उत्तर पश्चिम में स्थित अक्साई चीन एक विवादित क्षेत्र है. ऐतिहासिक रूप से अक्साई चीन भारत को रेशम मार्ग से जोड़ने का जरिया था और भारत और हजारों साल से मध्य एशिया के पूर्वी इलाकों और भारत के बीच संस्कृति, भाषा और व्यापार का रास्ता रहा है. भौगोलिक दृष्टि से अक्साई चीन तिब्बती पठार का भाग है और इसे खारा मैदान भी कहते हैं. यहां आबादी का नामो निशान नहीं है. बंजर होने के बावजूद सामिरक दृष्टिकोण से ये इलाका महत्वपूर्ण है.

1950 के दशक से इस क्षेत्र पर चीन ने कब्जा कर रखा है. भारत इस पर अपना दावा जताता रहा है. भारत का कहना है कि चीन ने जम्मू कश्मीर के अक्साई चीन में उसकी लगभग हजारों किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर रखा है. कहीं ये आंकड़ा 38 हजार किलोमीटर है तो कहीं 41 हजार किलोमीटर.

अरुणाचल प्रदेश में सीमा विवाद

भारत और चीन के बीच सरहद पर टकराव का दूसरा मोर्चा देश का पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश है. जहां से काल्पनिक मैकमोहन रेखा गुजरती है. 1914 में भारत-तिब्बत नक्शे पर काल्पनिक मैकमोहन रेखा खींची गई थी.

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अरुणाचल प्रदेश तिब्बत से लगा भारत का एक पहाड़ी राज्य है. अरुणाचल प्रदेश 1913-14 में ब्रिटिश भारत का हिस्सा था. 1913-14 में ही ब्रिटिश इंडिया, चीन और तिब्बत के बीच हुए सीमा समझौता हुआ. इसमें तवांग जो अब अरुणाचल प्रदेश में है. उसे भी ब्रिटिश भारत का हिस्सा माना गया. अंग्रेजों ने उस समय अरुणाचल प्रदेश को नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी यानी एनईएफए का नाम दिया था. जिसका नाम 1972 में बदलकर अरुणाचल प्रदेश रखा गया.

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तिब्बत इस संधि से राजी था, लेकिन चीन ने इसे मानने से इनकार कर दिया. चीन ने 1951 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया. इसके बाद से ही चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा मानता है. हाल के दिनों में अरुणाचल प्रदेश से सटे बॉर्डर पर चीन की सक्रियता बढ़ी है. 2017 में चीन भारत और भूटान से सटती सीमा पर स्थित डोकलाम में सड़क का निर्माण कर रहा था. भारत ने इसका पूरजोर विरोध किया और दोनों देशों की सेनाएं महीनों तक आमने-सामने रही, हालांकि बाद में चीन को पीछे हटना पड़ा था.

नाथू ला पर भी नजर

चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत सिक्किम पर भी अपनी बुरी नजर डालता रहता है. नाथू ला हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है जो भारत के सिक्किम राज्य और दक्षिण तिब्बत में चुम्बी घाटी को जोड़ता है. यह दर्रा सिक्किम की राजधानी गंगटोक से 54 किमी पूर्व में स्थित है.

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नाथू ला दर्रा भारत के लिए अहम है. इस इलाके से होकर ही चीनी तिब्बत क्षेत्र में स्थित कैलाश मानसरोवर की तीर्थयात्रा के लिए भारतीय श्रद्धालुओं का जत्था यहां से गुजरता है.

इस साल मई में नाथू ला के पास भारत और चीन के सेनाओं के बीच झड़प की खबरें आई है. इस घटना में दोनों तरफ के सैनिकों को चोटें भी आई थीं. तब दोनों देशों ने इस विवाद को सुलझा लिया था.

चीनी सेना इस इलाके में सड़क निर्माण करने की कोशिश कर रही है. चीन यहां चुम्बी घाटी में पहले ही रोड बना चुका है इसे वह और विस्तार देकर आगे ले जाना चाहता है. चीन की ये सड़क भारत के लिए सामरिक रूप से अहम 'चिकन नेक' इलाके से महज पांच किमी दूर है.

2017 में भी यहां भारत और चीन के बीच टकराव हुआ था. जब भारत की सेना ने चीनी जवानों को विवादित इलाके में निर्माण कार्य करने से रोक दिया था.

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