
ना अब धोखा शेयर होगा. ना दुश्मन की नापाक निगाहें ज़ूम होंगी और ना ही गुस्ताखी भरी कोई टॉक होगी. कैम स्कैनर में भी चीन की धोखेबाजी का कोई रिकार्ड अब सेव नहीं हो पाएगा. क्योंकि मसला अब गलवान घाटी या भारत-चीन बार्ड़र या बॉर्डर पर तैनात सैनिकों तक ही नहीं रह गया है, बल्कि भारत-चीन के बीच लड़ाई अब आर्थिक मोर्चे तक जा पहुंची है. और इस लड़ाई की शुरूआत हुई है टिकटॉक, शेयर इट और कैम स्कैनर जैसे 59 चीनी एप्स पर भारत में पांबदी लगा कर.
भारत-चीन के बीच गलवान घाटी पर जारी तनाव अब सिर्फ सरहद का मुद्दा नहीं रहा. गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने जो धोखे शेयर किए उसका हिसाब अब शेयर इट से होगा. गलवान घाटी पर कब्जे के लिए चीन ने सरहद पर मुस्तैद भारतीय सैनिकों की हलचल को कैमरे पर जूम कर-कर के देखा. अब उस ज़ूम का कैमरा ही भारत में बंद हो जाएगा. हर बार सीमा विवाद पर चीन ने बात की और फिर लगे हाथ पीठ पीछे छुरा भी घोंपा. लिहाज़ा अब चीनी टिकटॉक भी भारत में खामोश हो जाएगा. हमसे ही पैसे कमाए और उन्हीं पैसों से हमें ही ज़ख्म दे, चीन के इस दोहरे चरित्र को बेनकाब करने के लिए जरूरी है और जरूरी था कि चीन को चोट ऐसी दो जो सीधे दिल पर लगे और असर तिजोरी पर पड़े.
चीन के साथ बिगड़े रिश्ते के मद्देनजर भारत सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए 59 चीनी एप्स पर बैन लगा दिया है. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद जानकारों का मानना है कि इससे चीनी ऐप्स को संचालित करने वाली कंपनियों और खुद चीन को बड़ा आर्थिक नुकसान हो सकता है. एक अंदाजे के मुताबिक अकेले टिकटॉक के बैन होने से ही कंपनी को 100 करोड़ रुपये की चपत लग सकती है. क्योंकि भारत में सिर्फ मार्च से मई 2020 के बीच 10 में से पांच सबसे ज़्यादा डाउनलोड होने वाली मोबाइल एप्स चीनी कंपनियों के ही हैं. इनमें टिकटॉक, जूम, Helo, Uvideo और यूसी ब्राउजर वो एप्स हैं जिन्हें लाखों करोड़ों भारतीयों ने अपना रखा है. हालांकि इनमें से कुछ एप्स अभी भी इस लिस्ट में शामिल नहीं हैं.
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इसमें शक़ नहीं कि इनमें से कुछ चीनी एप्स से हमारे देश के लोग भी पैसे कमा रहे थे. ये ऐप्स उनकी रोज़ी रोटी का ज़रिया भी बन चुकी थीं. मगर आपको बता दें कि रोज़ी रोटी और इंटरटेनमेंट की आड़ में ये ऐप देश के लोगों की जासूसी भी कर रही थीं. मसलन कोई चीनी ऐप अगर आप डाउनलोड करते हैं. तो वो कई तरह की इजाजत मांगता है. जिससे आप से जुड़ी कई जानकारियां चीन के सर्वर पर सेव होती चली जाती हैं. और इस तरह उनके पास इन डेटा का गलत इस्तेमाल करने का हथियार पहुंच जाता है. कुल मिलाकर चीन बड़ी आसानी से घर बैठे ही हिंदुस्तान और हिंदुस्तान के लोगों की जासूसी कर रहा है. इसलिए भारत की सुरक्षा को भी इससे खतरा था.
इनफॉर्मेशन टेक्नॉलजी एक्ट 2000 के सेक्शन 69ए के मुताबिक भारत सरकार को ये अधिकार है कि कोई भी एप भारत की संप्रभुता, एकता और सुरक्षा के लिए खतरा हो तो वो उसे ब्लॉक कर सकती है. 59 चीनी एप्स बैन तो हो गए मगर उसके बदले भारतीय यूज़र्स के पास इन एप्स का विकल्प क्या है. हालांकि इनमें से कई ऐप्स हैं जो अभी इस बैन लिस्ट में भी शामिल नहीं हुई हैं. मगर उन चीनी ऐप्स को हम जाने अनजाने इस्तेमाल कर रहे हैं. उनमें शेयर इट, ज़ूम, टिकटॉक, यूसी ब्राउज़र, क्लब फैक्ट्री और ब्यूटी प्लस शामिल हैं.
इसके अलावा वीचैट, कैम स्कैनर और पबजी जैसे मोबइल ऐप जो भारत में टिकटॉक के बाद सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किए जाते हैं. हालांकि इनके अभी बेहतर विकल्प भारत के पास तो नहीं हैं मगर इनके कई विदेशी विकल्प हमारे पास मौजूद हैं. जो चाइनीज़ नहीं हैं. जिनमें शेयर ऑल, सिस्को वेब-एक्स, शेयर चैट, एपिक ब्राउज़र, मिंत्रा और सेल्फी कैमरा जैसे भारतीय एप्स शामिल हैं.
अब सवाल ये है कि आखिर 59 चाइनीज़ ऐप्स पर ये बैन लगेगा कैसे. तो सुनिए भारत सरकार ने देश के तमाम इंटनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को ये निर्देश दिए हैं कि वो इन एप्स को बैन करें.. मसलन.. अगर आप वोडाफोन.. एयरटेल.. जियो या किसी और कंपनी के ज़रिए इंटरनेट इस्तेमाल कर रहे हैं.. तो आप इन ऐप्स को अब देख भी नहीं पाएंगे. इसके अलावा जिन स्टोर्स से आप एंड्रायड या आईओएस के ज़रिए इन ऐप को डाउनलोड किया जाता था, उन्हें भी भारत में इस एप को डॉउनलोड ना करने के लिए निर्देश दिए गए हैं.
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मगर क्या ये ऐप्स अभी से ही आपके स्मार्टफोन में काम करना बंद कर देंगी? तो इसका जवाब है नहीं. ऐप बैन और ब्लॉक दो अलग अलग चीजें हैं. जिन्हें पहले समझना होगा. इससे पहले भी चीनी ऐप्स भारत में बैन की जा चुकी हैं. सरकार के आदेश के बाद कंपनियां कुछ वक्त लेती हैं और इसके बाद ही इन्हें एप प्लेटफॉर्म से हटाया जाता है. एक बड़ा सवाल इन ऐप्स में सेव कॉन्टेंट को लेकर भी है. भारत में TikTok और कैम स्कैनर जैसी एप्स के करोड़ों यूजर्स हैं. ऐसे में टिक टॉक के वीडियोज कहां जाएंगे? यूजर्स टिक टॉक पर कॉन्टेंट से पैसे भी कमाते हैं उन यूजर्स का डेटा कहां रखा जाएगा?
तो इसको ऐसे समझिए कि भारत में पहले भी कुछ चीनी एप्स को बैन किया गया था. इनमें Tik Tok भी शामिल था. तब भी बैन करने के बाद इसे गूगल प्ले स्टोर और एप स्टोर से हटा दिया गया था. यानी कोई नया यूजर इसे इंस्टॉल नहीं कर सकता था. और अगर इस बार पिछली बार की तरह ही सरकार बैन लगाती है. तो आपके स्मार्टफोन पर ये एप काम करते रहेंगे. लेकिन नया यूजर इसे डाउनलोड नहीं कर पाएगा. हालांकि अगर सरकार चाहे तो ये सभी 59 एप्स को पूरी तरह ब्लॉक कर सकती है. मगर इसके लिए सरकार को आईपी एड्रेस का सहारा लेना पड़ेगा. ऐसा करने से यूजर इन एप्स को यूज ही नहीं कर पाएंगे.